पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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उत्तम खेती मध्यम बान
Posted on 20 Mar, 2010 04:15 PM
उत्तम खेती मध्यम बान।
निषिद चाकरी भीख निदान।।


भावार्थ- घाघ का कहना है कि खेती सबसे अच्छा कार्य है। व्यापार मध्यम है, नौकरी निषिद्ध है और भीख माँगना सबसे बुरा कार्य है।

इतवार करै धनवन्तरि होय
Posted on 20 Mar, 2010 04:11 PM
इतवार करै धनवन्तरि होय, सोम करै सेवा फल होय।
बुध बिहफै सुक्रै भरै बखार, सनि मंगल बीज न आवै द्वार।।

आधा खेत बटैया देके
Posted on 20 Mar, 2010 04:08 PM
आधा खेत बटैया देके, ऊँची दीह किआरी।
जो तोर लइका भूखे मरिहें, घघवे दीह गारी।।


भावार्थ- घाघ कहते हैं कि यदि किसान के पास खेत अधिक है तो आधा बटाई पर दे देना चाहिए और आधे खेत में ऊँचे मेंढ़ बाँधकर खेती करनी चाहिए। यदि इतना करने पर भी पैदावार अच्छी न हो तो मुझे गाली देना।

आसपास रबी बीच में खरीफ
Posted on 20 Mar, 2010 04:06 PM
आसपास रबी बीच में खरीफ।
नोन मिर्च डालके का गया हरीफ।।


शब्दार्थ- हरीफ- शत्रु, प्रतिद्वंदी।

भावार्थ- यदि किसान ने खरीफ की फसल के चारों तरफ रबी की फसल की बोवाई की है तो उसका शत्रु नमक मिर्च लगा कर उसे खा जायेगा अर्थात् पैदावार अच्छी नहीं होगी।

खेती सम्बन्धी कहावतें
Posted on 20 Mar, 2010 04:02 PM
आकर कोदो, नीम जवा।
गाडर गेहूँ, बैर चना।।


शब्दार्थ- आकर-मदार। गाडर- एक घास जिसकी जड़ ‘खस’ कहलाती है।

भावार्थ- जिस वर्ष मदार खूब फूलें औऱ फलें तो समझो उस वर्ष कोदों की पैदावार अच्छी होगी। जब गाडर घास की अधिकता हो तो गेहूँ की फसल अच्छी होती है। जब बेर की फसल अच्छी हो तो चना की पैदावार अच्छी होती है।

सावन कृष्ण एकादसी
Posted on 20 Mar, 2010 03:27 PM
सावन कृष्ण एकादसी, गर्जि मेघ घहरात।
तुम जाओ प्रिय मालवै, हम जाबै गुजरात।।


भावार्थ- यदि सावन के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मेघ गरज कर घहरायें (गंभीर ध्वनि करें) तो निश्चय ही अकाल पड़ने वाला है। अतः हे प्रिय! तुम, मालवा जाओ और मैं गुजरात जाऊँगी।

सावन सुक्र न दीसै
Posted on 20 Mar, 2010 03:17 PM
सावन सुक्र न दीसै,
निहचै पड़ै अकाल।


भावार्थ- सावन के महीने में यदि शुक्र न दिखे अर्थात् अस्त हो तो निश्चित ही अकाल पड़ेगा।

सावन सुक्ला सत्तमी
Posted on 20 Mar, 2010 03:11 PM
सावन सुक्ला सत्तमी, गगन स्वच्छ जो होय।
कहै घाघ सुन भड्डरी, पुहुमी खेती खोय।।


भावार्थ- सावन महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को यदि आसमान साफ हो तो घाघ कहतें हैं कि हे भड्डरी! यह जान लो कि अकाल पड़ने वाला है और खेती नष्ट हो जायेगी।

सावन सूखा स्यारी
Posted on 20 Mar, 2010 03:09 PM
सावन सूखा स्यारी।
भादौं सूखा उन्हारी।


शब्दार्थ- स्यार-खरीफ। उन्हारी-रबी की फसल।

भावार्थ- यदि सावन मास में वर्षा न हुई तो खरीफ की फसल को अत्यधिक नुकसान होता है इसी प्रकार यदि भादों में वर्षा न हुई तो रबी की फसल नष्ट हो जाती है।

सावन सुक्ला सत्तमी
Posted on 20 Mar, 2010 03:06 PM
सावन सुक्ला सत्तमी, जो गरजै अधिरात।
बरसे तो सूखा पड़े, नाहीं समो सुकाल।।


भावार्थ- सावन शुक्ल सप्तमी को यदि आधी रात में बादल गरज कर बरसें तो सूखा पड़ेगा, नहीं तो समय अच्छा बीतेगा।

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