समाचार और आलेख

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ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राउंड वाटर की खराब स्थिति
Posted on 09 May, 2014 02:15 PM शहरों में दोहन की वजह से भूजल स्तर में निरंतर गिरावट दर्ज की जा रह
बढ़ते प्रदूषण से तबाह हो रहे फरीबाद के लोग
Posted on 04 May, 2014 01:56 PM

मुक्ति के लिए संचालित सभी योजनाएं हुईं बेअसर

दिल्ली में महज पांच फीट नीचे मीठा पानी
Posted on 04 May, 2014 10:32 AM 1. बेहतर जल प्रबंधन के जरिए कायम की मिसाल
डीडीए-डीयू के संयुक्त प्रयास से यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क में ऊपर आया जलस्तर
बुराड़ी-वजीराबाद में हजारों मकानों के निर्माण के बावजूद जलस्तर में सुधार

नदी तंत्र और मानवीय हस्तक्षेप
Posted on 02 May, 2014 10:45 AM

विकास गतिविधियों के बढ़ने के कारण नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में मौजूद जंगल कम हो रहे हैं। अतिवृष्टि तथा जंगल घटन

नदी तंत्र
गंगा शुद्धिकरण प्रयासों का लेखा जोखा
Posted on 02 May, 2014 10:23 AM
गंगा नदी के प्रारंभिक जलमार्ग में अनेक बाँधों के निर्माण के कारण जलग्रहण क्षेत्र से परिवहित मलबा, आर्गनिक कचरा तथा पानी में घुले रसायन बाँधों में जमा होने लगा है जिसके कारण बाँधों के पानी के प्रदूषित होने तथा जलीय जीव-जंतुओं और वनस्पतियों पर पर्यावरणीय खतरों के बढ़ने की संभावना बढ़ रही है। बाढ़ के गाद युक्त पानी के साथ बह कर आने वाले कार्बनिक पदार्थों और बाँधों के पानी में पनपने वाली वनस्पतियों के आक्सीजनविहीन वातावरण में सड़ने के कारण मीथेन गैस बन रही है। गंगा, अनादिकाल से स्वच्छ जल का अमूल्य स्रोत और प्राकृतिक जलचक्र का अभिन्न अंग रही है। उसने अपनी उत्पत्ति से लेकर आज तक, अपने जलग्रहण क्षेत्र पर बरसे पानी की सहायता से कछारी मिट्टी को काट कर भूआकृतियों का निर्माण कर रही है तथा मुक्त हुई मिट्टी इत्यादि को बंगाल की खाड़ी में जमा कर रही है। उसने लाखों साल से वर्षाजल, ग्लेशियरों के पिघलने से प्राप्त सतही जल तथा भूमिगत जल के घटकों के बीच संतुलन रख, सभ्यता के विकास को सम्बल प्रदान कर सामाजिक तथा आर्थिक कर्तव्यों का पालन किया है। वह, कछार की जीवंत जैविक विविधता का आधार है।

कहा जा सकता है कि भारत में, मानव सभ्यता के विकास की कहानी, काफी हद तक गंगा के पानी के उपयोग की कहानी है।
गंगा
माटी पुत्र की भेंट
Posted on 01 May, 2014 02:23 PM प्याऊभोपाल-इंदौर मार्ग पर सड़क के किनारे सीहोर से आष्टा और देवास तक के बीच दो-तीन प्याऊ दिख जाएंगे। खजूर के पत्तों और पुरानी चटाइयों के टुकड़ों से बनी छोटी-सी झोपड़ी में रखे मटकों
पानी के लिए सड़क पर उतरे लोग
Posted on 01 May, 2014 01:54 PM हल्की सी गर्मी बढ़ते ही शहर जल संकट से जूझने लगा है। परेशान होकर लोग स्थानीय नेताओं के दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। सोमवार को डबुआ कालोनी के वार्ड नंबर नौ की दर्जनों महिला-पुरुष पानी के लिए सड़क पर उतर आए। सर्वप्रथम लोगों ने स्थानीय विधायक व श्रम मंत्री पंडित शिवचरण शर्मा के मस्जिद स्थित कार्यालय पर गुहार लगाई, लेकिन वहां उन्हें कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। इसके बाद प्रदर्शनकारी निगम मुख्यालय पह
जल संरक्षण में जन भागीदारी
Posted on 29 Apr, 2014 11:23 AM
हमारी पृथ्वी के सतह का 70 प्रतिशत भाग जलमग्न है। इस जल का 2.5
हरियाणा के सैकड़ों एकड़ वन पर बनेगा ‘कंक्रीट का जंगल’
Posted on 27 Apr, 2014 10:12 AM एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की बैठक में लिया गया वनक्षेत्र की श्रेणी को नेचुरल कंजरवेशन जोन में बदलने का फैसला
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