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नदी अस्मिता को मिले कानूनी अधिकार
Posted on 25 Mar, 2017 12:48 PM


उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने लगभग तीन साल की अल्पावधि में मोहम्मद सलीम की जनहित याचिका पर नदियों के हित में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। यह फैसला उन्हें जीवित व्यक्ति का दर्जा देता है। यह फैसला विश्व जल दिवस के दो दिन पहले अर्थात 20 मार्च 2017 को आया है। इस फैसले ने एक ओर यदि नदियों को उनकी अस्मिता एवं जीवन की रक्षा का कानूनी कवच पहनाया है तो समाज तथा नदी प्रेमियों को वर्ष 2017 का सबसे बड़ा तोहफा दिया है।

इस फैसले के बाद गंगा तथा यमुना को देश के नागरिकों की ही तरह वे सभी अधिकार प्राप्त होंगे जो भारत के आम नागरिक को संविधान के अन्तर्गत मिले हैं। उन्हें प्रदूषित करना या हानि पहुँचाना अपराध की श्रेणी में आएगा। अब वे अनाथ नहीं होगी। इस फैसले ने उनके लिये तीन अभिभावक भी तय कर दिये हैं। अभिभावक हैं नमामि गंगे के महानिदेशक, उत्तराखण्ड राज्य के मुख्य सचिव और उत्तराखण्ड राज्य के ही महाधिवक्ता। जाहिर है गंगा तथा यमुना और उनकी सहायक नदियों के अभिभावकों को अदालत द्वारा प्रदत्त अधिकार दी गई कानूनी जिम्मदारी के बाद हालात बदलेंगे।

यमुना नदी
भारत के मध्य क्षेत्र की सूखती और प्रदूषित होती नदियों का सन्देश
Posted on 06 Mar, 2017 12:58 PM


मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से सटे सीहोर, अशोकनगर, रायसेन, गुना, राजगढ़ और विदिशा जिले में बहने वाली 32 नदियों में से केवल पाँच नदियों में थोड़ा-बहुत प्रवाह बचा है। रायसेन और विदिशा जिले की जीवनरेखा कही जाने वाली बारहमासी बेतवा नदी मार्च के पहले सप्ताह में ही अपने मायके में सूख गई है।

बेतवा नदी
तालाब - समझने से ही बात बनेगी
Posted on 19 Feb, 2017 12:00 PM


भारत के लगभग हर गाँव हर बसाहट के आसपास तालाब मौजूद हैं। यहाँ तक कि अनेक विलुप्त तालाब भी समाज की स्मृति में जिन्दा हैं। उनके नाम गाँव, मोहल्लों के नामों तथा उपनामों में रचे-बसे हैं। आज भी भारत में सैकड़ों साल पुराने अनेक तालाब मौजूद हैं। अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’ तथा सेंटर फॉर साईंस एंड एनवायरनमेंट, नई दिल्ली की किताब ‘बूँदों की संस्कृति’ में देश के विभिन्न भागों में मौजूद परम्परागत तालाबों का विवरण उपलब्ध है।

हमारे आसपास दो प्रकार के तालाब अस्तित्व में हैं। परम्परागत और आधुनिक तालाब। उन दोंनों प्रकार के तालाबों के अन्तर को समझने का मतलब है समस्याओं को बेहतर तरीके से स्थायी तौर पर सुलझाना।

तालाब
भूजल रीचार्ज के मास्टर प्लान का नजरिया बदले तो बात बने
Posted on 11 Feb, 2017 04:22 PM


भारत सरकार के सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड ने देश के लगभग 941541 वर्ग किलोमीटर ऐसे इलाके की पहचान की है जो सामान्य बरसात के बावजूद, बाकी इलाकों की तरह, तीन मीटर तक नहीं भर पाता है। अर्थात उस इलाके में भूजल का स्तर तीन मीटर या उससे भी अधिक नीचे रहता है। यह स्थिति, उस इलाके के भूजल के संकट का मुख्य कारण है।

सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड का मानना है कि, बरसात के मौसम में भूजल रीचार्ज के कृत्रिम तरीके को अपनाकर उस इलाके की खाली जगह को भरा जा सकता है। इस खाली जगह को भरने के लिये सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड ने भारत के लिये सन 2013 में भूजल रीचार्ज का मास्टर प्लान तैयार किया था। उस प्लान को इस अपेक्षा के साथ सभी राज्यों को भेजा था कि वे अगले दस सालों में मास्टर प्लान में सुझाए सभी कामों को पूरा कर लगभग 855650 लाख घन मीटर बरसाती पानी को जमीन के नीचे उतारेंगे।

बढ़ता भूजल दोहन
नदी में प्रवाह होगा तभी तो सफाई होगी
Posted on 24 Jan, 2017 01:48 PM


वाटर सेक्टर की 21वीं सदी की सबसे बड़ी चुनौती जलस्रोतों की निरापद सफाई है। 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध से जलस्रोतों में इको-सिस्टम की बर्बादी, बढ़ती गन्दगी, बढ़ता अतिक्रमण और घटती क्षमता के पुख्ता संकेतों का मिलना शुरू हो गया था। वैज्ञानिकों ने उनका अध्ययन और इंजीनियरों ने बढ़ती गन्दगी को कम करने की दिशा में काम करना प्रारम्भ कर दिया था।

सबसे पहले, सन 1986 में गंगा को साफ करने का प्रयास प्रारम्भ हुआ। इस हेतु गंगा के किनारे बसे सबसे अधिक प्रदूषित 25 स्थानों पर सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए। अगस्त 2009 में यमुना, महानदी, गोमती और दामोदर नदी की सफाई को जोड़कर गंगा एक्शन प्लान का दूसरा चरण प्रारम्भ हुआ। पर बात नहीं बनी।

गंगा
सिंधु के मोर्चे पर
Posted on 14 Dec, 2016 12:48 PM

भारत- पाक आपसी सौहार्द्र से सुलझाएं मतभेदः विश्वबैंक


सिंधु नदी बेसिनसिंधु नदी बेसिनसिंधु में खून और पानी दोनों एक साथ कैसे बह सकता है? पाकिस्तान को हमसे पानी भी चाहिए और आए दिन लोगों का खून भी बहाता रहेगा। अगर इस मामले में कोई टांग अड़ाने की कोशिश करेगा तो भारत उसको दरकिनार कर देगा। भारत के इस स्पष्ट संदेश के बाद विश्वबेंक को समझ में आ गया है कि अगर कोई बाहरी ताकत से सिंधु मामले को सुलझाने की कोशिश की गई तो मामला और बिगड़ सकता है। भारत अब आर-पार के मूड में है।

विश्वबैंक ने कहा है कि सिंधु जलसंधि-1960 को सबसे सफल अतरराष्ट्रीय संधियों में से एक संधि के रूप में देखा जाता है। यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बावजूद भी बनी रही है। अब विश्वबैंक ने अपने आप को पीछे किया है और भारत-पाकिस्तान से उम्मीद की है कि वे आपस में कोई नया समझौता कर लें। विश्वबैंक द्वारा उठाए गए इस कदम का भारत ने स्वागत किया है।

Jim Yong Kim
प्राकृतिक जलचक्र के संकट को तलाश है समाधान की
Posted on 24 Nov, 2016 04:43 PM
कुदरत ने पृथ्वी पर 1300 करोड़ साल पहले प्राकृतिक जलचक्र की स्थापना की थी। तब से वह पृथ्वी पर संचालित है। कुदरत ने ही उसके लिये पानी की आवश्यक मात्रा का बन्दोबस्त किया है। कुदरत ने ही उसके स्वभाव को निर्मल और फितरत को घुमक्कड़ बनाया है। सभी लोगों की नजर में वह, कुदरत की नियामत और अनमोल प्राकृतिक संसाधन है। हवा के बाद, वह दूसरा प्राकृतिक संसाधन है जो जीवन की निरन्तरता के लिये जरूरी है। कुदरती
जल चक्र
पृथ्वी पर पानी
Posted on 17 Nov, 2016 04:13 PM
पृथ्वी पर पानी, प्राकृतिक जलस्रोतों तथा मनुष्यों द्वारा बनाई संरचनाओं में मिलता है। प्राकृतिक जलस्रोतों में समुद्र, बादल, वर्षा, बर्फ की चादरें एवं हिमनदियाँ, दलदली भूमि, नदी, झरनों सहित भूजल भण्डार और गर्म पानी के सोते प्रमुख हैं। मानव निर्मित जल संरचनाओं में तालाब, तडाग, पोखर, जलाशय, सरोवर, पुष्कर, पुष्करणी, कुआँ, बावड़ी, वापी, बाँध, बैराज, नलकूप और स्टॉपडैम इत्यादि उल्लेखनीय हैं।
पृथ्वी
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