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कोयल कमाल के शातिर चालाक व बर्बर परिंदे
Posted on 16 Mar, 2019 05:12 AM महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य के कथनानुसार जो ज्यादा ही अधिक मीठा बोलता है वो अक्सर भरोसेमन्द नहीं होता। ऐसे लोग प्राय: आलसी, कामचोर, चालाक व धूर्त प्रवृत्ति के होते हैं। वहीं इनकी शारीरिक भाषा एवं आँखों की पुतलियों की हरकत भी अलग सी होती है।
एशियन मादा कोयल
कोट एवं किले
Posted on 15 Mar, 2019 01:11 PM

अल्मोड़ा संग्रहालय में सुरक्षित छठी शताब्दी के उत्तर गुप्त कालीन ब्राह्मी लिपि संस्कृत भाषा में अंकित तालेश्वर ताम्रपत्र में सबसे पहले कोट शब्द का प्रयोग मिलता है। इसके अनुसार पर्वताकार राज्य की राजधानी ब्रह्मपुर में द्वितीवर्मा के मंत्री भद्रविष्णु का कार्यालय कोट में था (कोटाधिकारण अमात्य भद्रविष्णु पुरसरेणच)। राजा ललितसूर के ताम्रशासन में भी वर्त्मपाल, कोटपाल आदि का उल्लेख मिलता है। इसी प्रक

दार्चुलाःअतीत के आईने में
Posted on 15 Mar, 2019 11:46 AM

बचपन तो बचपन ही होता है चाहे वह किसी भी परिवेश में बीता हो। बचपन की यादों की बारात भी लम्बी होती है। सरयू और रामगंगा के मध्य में बसे गंगावली क्षेत्र यानी परगना गंगोलीहाट में पट्टी बेल के 105 और भेरंग के 95 गाँव शामिल हुआ करते थे। वर्तमान गंगोलीहाट बाजार को तब जान्धवी (अपभ्रंश में जान्धबि) कहा जाता था। जान्धवी नौले का जल गंगा के समान पवित्र और निर्मल माना जाता था। कहते हैं कि श्वीलधुरा के शीर्ष

एलिजाबेथ स्टाइनर की कब्र
मन्दिर और मूर्तियाँ
Posted on 14 Mar, 2019 12:22 PM

उत्तराखण्ड के पूर्वी सीमान्त जिलों- पिथौरागढ़ एवं चम्पावत, जो संयुक्त रूप से काली नदी के जलागम क्षेत्र के अन्तर्गत आते हैं, का विविध संस्कृतियों एवं पुरा मानव समूहों की विचरण व निवास स्थलों के रूप में विशिष्ट स्थान रहा है। इन जनपदों मेें पुराकालीन मानव-संस्कृति के अस्तित्व को पुरातात्विक स्रोत प्रमाणित कर चुके हैं, यथा-देवीधुरा (चम्पावत) व विशाड़ (पिथौराग

राजबुंगा का प्रवेश द्वार
पिथौरागढ़ एवं चम्पावत का सूर्य स्थापत्य
Posted on 13 Mar, 2019 09:11 PM
जिला पिथौरागढ़ एवं चम्पावत के अन्तर्गत जहाँ कहीं भी सूर्य मन्दिर एवं प्रतिमाएँ प्रकाश में आई हैं, उनका सार संक्षेप इस लेख के माध्यम से प्रस्तुत किया जा रहा है। कुमाऊँ में मोस्टी बकौड़ा सूर्य प्रतिमा अभिलेख युक्त है। अभिलेख प्रतिमा के प्रभामण्डल में लिखा गया है। राम सिंह इस प्रतिमा अभिलेख को 7वीं सदी का मानते हैं । परन्तु भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग 8वीं
Sun Temple
मेरे बचपन की गंगावली
Posted on 09 Mar, 2019 08:25 PM

बचपन तो बचपन ही होता है चाहे वह किसी भी परिवेश में बीता हो। बचपन की यादों की बारात भी लम्बी होती है। सरयू और रामगंगा के मध्य में बसे गंगावली क्षेत्र यानी परगना गंगोलीहाट में पट्टी बेल के 105 और भेरंग के 95 गाँव शामिल हुआ करते थे। वर्तमान गंगोलीहाट बाजार को तब जान्धवी (अपभ्रंश में जान्धबि) कहा जाता था। जान्धवी नौले का जल गंगा के समान पवित्र और निर्मल माना

महाकाली मन्दिर गंगोलीहाट
जन सुनवाई में जनता से खतरा क्यों
Posted on 01 Mar, 2019 10:42 PM
27 फरवरी, 2019। जखोल साकरी बाँध, सुपिन नदी, जिला उत्तरकाशी, उत्तराखण्ड की 01 मार्च, 2019 को दूसरी पर्यावरणीय जनसुनवाई की घोषणा हुई है। इस बार जनसुनवाई का स्थल परियोजना स्थल क्षेत्र से 40 किलोमीटर दूर है। यह मोरी ब्लॉक में रखी गई है ताकि वह जनविरोध से बच जाए। सरकार ने प्रभावितों को उनकी भाषा में आज तक भी जानकारी नहीं दी जो कि वे आसानी से कर सकते थे।
जन सुनवाई में शामिल न किये जाने से आक्रोशित लोग
मेरा पिथौरागढ़
Posted on 01 Mar, 2019 01:28 PM
उस समय मैंने जवानी की दहलीज में कदम रखा ही था। पिता का स्थानान्तरण चमोली के जनजातीय सीमान्त से कुमाऊँ के सीमान्त मुनस्यारी हो गया था। यह पिथौरागढ़ को छूने का मेरा पहला मौका था। बागेश्वर से कपकोट पैदल सामाधूरा से होकर परिवार चला जा रहा था। सारे रास्ते मुझे नीती घाटी वाले ही लग रहे थे। यहाँ बस नाम बदले थे –सामाधुरा, तेजम, गिरगाँव। बड़े-बड़े कुत्तों से बच रहा थ
गंगोलीहाट, पिथौरागढ़
जखोल साकरी बाँध: बिना जानकारी पुलिस के साये में जनसुनवाई
Posted on 28 Feb, 2019 02:43 PM
प्रकृति तब सबसे अधिक सुन्दर दिखती है, जब फिजा में बसन्ती हवा की खुशबू फैलने लगती है और पेड़-पौधें यहाँ तक कि हर एक पत्ता अलमस्त धूप में खिलखिलाने लगता है। तभी तो चित्रकार की कूची सबसे अधिक बसन्त ऋतु में ही प्रकृति के चित्र उकेरती है…
सुपिन नदी
महुआ ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सदाबहार पोषक
Posted on 27 Feb, 2019 06:16 PM वनस्पति जगत में ऐसे पेड़-पौधे बहुत कम हैं जिनका हर भाग व अंग जैसे तना, छाल, पत्तियाँ, फूल, फल व बीज किसी-न-किसी रूप में न केवल इंसानों के बल्कि विभिन्न प्रजाति के जीव-जन्तुओं के लिये बहु उपयोगी होते हैं।
महुआ पेड़ की पत्तियाँ
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