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कुदरेमुख - मामला पर्यावरण और विकास का
कुदरेमुख चिकमंगलूर, उडुपी, दक्षिण कन्नड और शिमोगा जिलों में फैला है। पश्चिमी घाट के 'घोड़ेनुमा' अक्स से इसे यह नाम मिला है। यह क्षेत्र लौह अयस्क से समृद्ध है। दरअसल पश्चिमी घाट दुनिया के जैव विविधता से समृद्ध 18 इलाकों में से एक है। Posted on 15 Dec, 2023 11:10 AM

कर्नाटक के कुदरेमुख क्षेत्र में स्थित कुदरेमुख लौह अयस्क कम्पनी (KIOCL) के खनन कार्य पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से कई अनिश्चितताओं पर विराम लगा गया है। KIOCL सार्वजनिक क्षेत्र की एक मुनाफा कमाने वाली कम्पनी है। यह निर्णय एक ऐसे वक्त में आया जब कर्नाटक के मांड्या और मैसूर ज़िलों में कावेरी मुद्दे पर संघर्ष जारी हैं। हालांकि प्रभावशाली वोक्कालिगा जाति और सत्ताधारी पार्टी की राजनीति के चलते कावेरी

कुदरेमुख - मामला पर्यावरण और विकास का
भारत की भूजल चुनौतियां
भूजल का आपके लिए महत्व तभी होता है जब आप पानी का अभाव भोग रहे होते हैं। इक्कीसवीं सदी का भारत जिन सबसे जटिल व सामाजिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण मुद्दों का सामना कर रहा है उनमें से बहुत से मुद्दे भूजल प्रबंधन से सम्बंधित हैं। इनका निराकरण किस तरह किया जाता है इसका सीधा प्रभाव पर्यावरण और अधिकांश ग्रामीण व शहरी लोगों की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी पर पड़ेगा। Posted on 14 Dec, 2023 10:56 AM

भूजल का आपके लिए महत्व तभी होता है जब आप पानी का अभाव भोग रहे होते हैं। इक्कीसवीं सदी का भारत जिन सबसे जटिल व सामाजिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण मुद्दों का सामना कर रहा है उनमें से बहुत से मुद्दे भूजल प्रबंधन से सम्बंधित हैं। इनका निराकरण किस तरह किया जाता है इसका सीधा प्रभाव पर्यावरण और अधिकांश ग्रामीण व शहरी लोगों की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी पर पड़ेगा। भूजल एक छुपा हुआ संसाधन है। यही कारण है कि इस सं

भारत की भूजल चुनौतियां
जल संरक्षण: क्या करें,क्या न करें (Water Conservation: What to do,What not In Hindi)
शहरों में भूजल स्तर लगातार नीचे को खिसकता जा रहा है। पारंपरिक जल संरक्षण के व्यावहारिक उपायों को हमने आधुनिकता के दबाव में त्याग दिया। लेकिन आज जल संरक्षण को एक राष्ट्रीय दायित्व के रूप में अपनाने का समय आ गया है। लेखक भारतीय संदर्भ में जल संसाधन के अनुभवी विशेषज्ञ है और प्रस्तुत लेख में उन्होंने भारत में जल के भौगोलिक वितरण, वर्षा के पैटर्न, पेयजल, तालाब संस्कृति और जल संरक्षण हेतु जल जागरूकता जैसे मुद्दों पर चर्चा की है। Posted on 12 Dec, 2023 03:55 PM

आज समूची दुनिया के जल संसाधन गहरे संकट में हैं। भारत भी जल संकट का सामना कर रहा है। देश के बहुत बड़े भूभाग पर जल संकट की छाया मंडरा रही है। देश के जल स्रोत सिमटते जा रहे हैं। नदियों तथा झीलों में जल की मात्रा कम होती जा रही है। जो जल शेष है, वह भी प्रदूषण की चपेट में है। शहरों में भूजल स्तर लगातार नीचे को खिसकता जा रहा है। पारंपरिक जल संरक्षण के व्यावहारिक उपायों को हमने आधुनिकता के दबाव में त्

जल संरक्षण: क्या करें,क्या न करें 
जल बजट क्या है
जल बजट क्षेत्र के पानी के इनपुट और आउटपुट के बीच संबंध को दर्शाता है" जल बजट आमतौर पर इस बारे में ज्ञान प्रदान करता है कि कितना पानी उपलब्ध है, यह प्रवाह की गतिशीलता की विस्तृत समझ के साथ कहां उपलब्ध है। जल बजट अध्ययन जल विज्ञान चक्र के विभिन्न जलाशयों के भीतर पानी की और पुनर्भरण से निर्वहन तक प्रवाह पथ पर विचार करता है। Posted on 12 Dec, 2023 03:32 PM

जल बजट पानी के निवेश और निकासी (Input & Output) का लेखा-जोखा है जो किसी स्थान का जल संतुलन चाहे वह कृषि क्षेत्र हो, वाटरशेड, पृथ्वी की सतह पर पानी के इनपुट, आउटपुट और भंडारण परिवर्तनों की गणना करके निर्धारित किया जाता है। पानी का प्रमुख इनपुट वर्षा जल से होता है और आउटपुट वाष्पीकरण-वाष्पोत्सर्जन आदि से है।

जल बजट
भूजल भण्डार
पिछले कुछ सालों में यहां पानी की कमी बहुत गंभीर हो गई है। गांव का मुख्य कुआं गंगाजलिया भी 1993 की गर्मियों में सूख गया था। बाहर से टैंकर बुलवाकर गंगाजलिया में पानी डालना पड़ा था। इस वर्ष से पहले जब गर्मियों में अरलावदा के बहुत सारे कुएं सूख जाते थे तब भी गंगाजलिया में पानी रहता था। इसलिये लोग इस पर बहुत भरोसा करते थे। कुछ साल पहले गंगाजलिया से पास के एक शहर को भी पानी सप्लाई किया गया था। Posted on 12 Dec, 2023 12:12 PM

जब कई महीनों वर्षा नहीं होती, तालाब और छोटी नदियां सूख जाती हैं तब भी हमें कुओं से पानी मिलता रहता है।तब यह भी देखा होगा कि किसी साल बरसात कम हो तो बहुत से कुएं भी सूख जाते हैं। जब वर्षा होती है, तब कुएं में फिर से पानी आ जाता है। यही नहीं, कुओं को लेकर अलग-अलग जगहों के हालात भी अलग-अलग हैं। उदाहरण के लिए मालवा के पठार में एक गांव है, अरलावदा। पिछले कुछ सालों में यहां पानी की कमी बहुत गंभीर हो

भूजल भण्डार
अभिसरण
अभिसरण वह प्रक्रिया है जिसके परिणामस्वरूप, वित्तीय और मानव संसाधनों के लक्षित और कुशल उपयोग के माध्यम से सामान्य उद्देश्यों की प्राप्ति होती है। समन्वित योजना और सेवा वितरण कई स्रोतों से समय पर इनपुट सुनिश्चित करता है। साथ ही साथ दोहराव और अतिरेक से बचा जाता है। योजना Posted on 12 Dec, 2023 11:59 AM

अभिसरण परिभाषित

अभिसरण वह प्रक्रिया है जिसके परिणामस्वरूप, वित्तीय और मानव संसाधनों के लक्षित और कुशल उपयोग के माध्यम से सामान्य उद्देश्यों की प्राप्ति होती है। समन्वित योजना और सेवा वितरण कई स्रोतों से समय पर इनपुट सुनिश्चित करता है। साथ ही साथ दोहराव और अतिरेक से बचा जाता है। योजना की प्रक्रिया पारस्परिक रूप से सहमत कार्यक्रमों से आती है, लक्ष्य समय सीमा, साझ

अभिसरण
पर्यावरण संरक्षण
पर्यावरण संरक्षण का तात्पर्य है कि हम अपने चारों ओर के वातावरण को संरक्षित करें तथा उसे जीवन के अनुकूल बनाए रखें। पर्यावरण और प्राणी एक-दूसरे पर आश्रित हैं। यही कारण है कि भारतीय चिन्तन में पर्यावरण संरक्षण की अवधारणा उतनी ही प्राचीन है जितना यहाँ मानव जाति का ज्ञात इतिहास है।  Posted on 12 Dec, 2023 11:06 AM

पर्यावरण शब्द का निर्माण दो शब्दों से मिलकर हुआ है "परि" जो हमारे चारो ओर है और "आवरण" जो हमें चारो ओर से घेरे हुए हैं अर्थात् पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ है होता है चारो ओर से घिरे हुए। पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत एक इकाई है जो किसी जीवनधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविका को तय करते हैं। पर्यावरण वह है जो कि प्रत्येक जीव क

पर्यावरण संरक्षण
जल सुरक्षा नियोजन
जल संसाधन विभाग द्वारा जल स्रोतों के निर्माण, इसके उपचार और वितरण के उद्देश्य से विभिन्न योजनाएं शुरू की गई हैं। मुख्य रूप से सतह और भूजल दोनों स्रोतों का उपयोग करते हुए। Posted on 11 Dec, 2023 05:19 PM

जल सुरक्षा नियोजन का प्रस्तावित निरूपण

गांव के सभी निवासियों को भूगर्भ से जलापूर्ति प्रदान करने का प्रस्ताव है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से जल संसाधन विभाग द्वारा जल स्रोतों के निर्माण, इसके उपचार और वितरण के उद्देश्य से विभिन्न योजनाएं शुरू की गई हैं। मुख्य रूप से सतह और भूजल दोनों स्रोतों का उपयोग करते हुए। हालांकि इस संबंध में विभिन्न गतिविधिय

जल सुरक्षा योजना
फसल जल प्रबंधन
सिंचाई का प्रभाव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में परिलक्षित होता है। पानी के अभाव के कारण गरीबी बढ़ती है जिससे अशिक्षा, अज्ञानता, कुपोषण, बेरोजगारी, अस्वच्छता व बीमारियाँ आदि समस्यायें मनुष्य को चारों तरफ से घेर लेती हैं। असिंचित क्षेत्रों की अपेक्षा सिंचित क्षेत्रो में केवल फसलों की उत्पादन क्षमता ही अधिक नहीं होती है बल्कि मानव की क्षमता अधिक होती है। Posted on 11 Dec, 2023 03:51 PM

मानव जाति के आर्थिक विकास में प्राकृतिक परिस्थितियों एवं भौगोलिक विशेषताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। प्रकृति ने मानव के भरण-पोषण हेतु अनेक प्राकृतिक स्रोत भी उपलब्ध करायें हैं, जिसका सदुपयोग कर मानव समाज अधिकाधिक लाभान्वित होने का प्रयत्न करता है। उपलब्ध प्राकृतिक स्रोतों में जल का प्रमुख स्थान है जिनके अभाव में केवल मानव ही नहीं वरन् सामान्यता सम्पूर्ण जीव समाज का अस्तित्व ही संकट में पड़

फसल जल प्रबंधन
जल संरक्षण एवं संवर्धन के उपाय
कम ढालू भूमि में ये बंधियां बड़ी उपयोगी सिद्ध हुई है। यह पानी को रोक कर इकट्ठा करती है और भूमि कोकटने व बहने से बचाती है। समतल खेत की मेढ़ मजबूत बनाकर रखनी चाहिए, जिससे खेत का पानी बाहर न निकल सकें। ये बांध खेत के चारों ओर सीमा पर बनाये जाते हैं। समतल खेतों में इनका क्रॉस-सेक्शन बहुत कम होता है, किन्तु असमतल खेतों में इनका आकार पानी रोकने की दृष्टि से बड़ा बनाया जाता है। इन बांधों से घेर बाड़ का भी कार्य लिया जाता है Posted on 11 Dec, 2023 01:09 PM

वर्षा जल संग्रहण पर विशेष ध्यान देते हुए प्रथम प्राकृतिक संसाधनों का संपूर्ण गुणवत्तापूर्ण प्रबंधन तथा वर्षा जल को बेकार बहने से बचाना एवं इसके लिए जल प्रबन्धन विधियों को अपनाकर ही जल संरक्षण, जल संवर्धन तथा जल संचयन कार्य किया जा सकता है। वर्षा जल संचयन / मृदा क्षरण को हम निम्न विधियों से कम कर सकते हैं-

जल संरक्षण एवं संवर्धन के उपाय
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