उत्तराखंड

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पानी उठाने के लिए उचित स्थानो पर हाइड्रम की स्थापना
Posted on 23 Sep, 2008 11:01 AM हाइड्रालिक रैम एक स्वचालित पानी उठाने का यन्त है जो कि विश्व मे कई वर्षों से प्रयोग हो रहा है भारत वर्ष के पहाड़ी इलाको मे पानी उठाने के लिए अत्यन्त उपयुक्त है। पहाड़ी इलाको मे विघुत एवं डीजल से चलने वाले पानी उठाने के यन्त्रो की मरम्मत व चलाने की लागत अधिक होने के कारण सफल नही हो सकते है। उत्तराखन्ड की पहाड़ियो मे सिचाई के लिए पानी उठाने के लिए हाइड्रम एक दूसरा विकल्प है। उत्तराखन्ड के पहाड़ी स्थ
लोग हमारे साथ
Posted on 23 Sep, 2008 09:07 AM

चिपको, शराबबंदी और उत्तराखंड आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाली और गांधी शांति प्रतिष्ठान की अध्यक्ष राधा भट्ट इन दिनों राज्यव्यापी नदी बचाओ अभियान में सक्रिय हैं। उनके नेतृत्व में उत्तराखंड में इस साल (नदी बचाओ अभियान वर्ष) मनाया जा रहा है। इस अभियान के बारे में आपसे बातचीत:

राधा भट्ट
नेग में मिली हरियाली
Posted on 19 Sep, 2008 06:37 PM आप मानें या न मानें, उत्तराखंड की लड़कियों ने शादी के लिए आए दूल्हों के जूते चुरा कर उनसे नेग लेने के रिवाज को तिलांजलि दे दी हैं। वे अब दूल्हों के जूतें चुराकर रूढ़ि को आगे नहीं बढ़ातीं। बलकि उनसे अपने मैत (मायके) में पौधे लगवाती हैं। इस नई रस्म ने वन संरक्षण के साथ-साथ सामाजिक समरसता और एकता की एक ऐसी परंपरा को गति दी है जिसकी चर्चा अब उत्तराखंड तक सीमित नहीं रह गई है।
भारत की नदियां
Posted on 19 Sep, 2008 06:18 PM

भारत की नदियों को चार समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है जैसे, हिमाचल से निकलने वाली नदियाँ, डेक्‍कन से निकलने वाली नदियाँ, तटवर्ती नदियाँ ओर अंतर्देशीय नालों से द्रोणी क्षेत्र की नदियाँ। हिमालय से निकलने वाली नदियाँ बर्फ और ग्‍लेशियरों के पिघलने से बनी हैं अत: इनमें पूरे वर्ष के दौरान निरन्‍तर प्रवाह बना रहता है। मॉनसून माह के दौरान हिमालय क्षेत्र में बहुत अधिक वृष्टि होती है और नदियाँ बारिश

नदियां
वर्षा पर आधारित खेती हेतु भूमि एवं जल संरक्षण
Posted on 17 Sep, 2008 11:34 AM

भूमि एवं जल प्रकृति द्वारा मनुष्य को दी गयी दो अनमोल सम्पदा हैं, जिनका कृषि हेतु उपयोग मनुष्य प्राचीन काल से करता आया है। परन्तु वर्तमान काल में इनका उपयोग इतनी लापरवाही से हो रहा है कि इनका सन्तुलन बिगड़ ही गया है तथा भविष्य मे इनके संरक्षण के बिना मनुष्य का अस्तित्व ही खतरे मे पड़ जायेगा। हमारे देश की आर्थिक उन्नति मे कृषि का बहुमूल्य योगदान है। देश मे लगभग 70 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि वर्षा पर

water harvesting structure
नीयत का कमाल
Posted on 16 Sep, 2008 02:34 PM मैत्री आंदोलन के प्रवर्तक कल्याण सिंह रावत से बातचीत

क्या मैती आंदोलन के इस तरह व्यापक होने की उम्मीद पहले से थी?

इस आंदोलन की जो अवधारणा थी और जो ताना-बाना बुना गया था, उससे ही यह उम्मीद हो गई थी कि लोग जरूर इस आंदोलन को अपनाएंगे और इसमें अपनी भावनात्मक दिलचस्पी जरूर दिखाएंगे। उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल में, यह आंदोलन अपने आप फैलता चला गया।
पानी संग्रहण की परंपरागत पहाड़ी विधियां
Posted on 15 Sep, 2008 04:28 PM

नौलेनौलेपरम्परागत विधिया टिकाऊ और कम खर्चीली तो हैं ही साथ ही साथ हमारे वातावरण के लिये भी अनुकूल हैं। इनको संचालित करने के लिये किसी भी तरह की ऊर्

नौले
यमुना को जीवनदान देगा एफआरआई
Posted on 14 Sep, 2008 08:35 AM

देहरादून। राजधानी दिल्ली में लगभग मृतप्राय हो गई गंगा-जमुनी तहजीब की प्रतीक यमुना नदी को भारतीय वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) के वैज्ञानिक जीवनदान देंगे। एफआरआई ने यमुना को प्रदूषण मुक्त करने की एक योजना दिल्ली विकास प्राधिकरण को भेजी है।

इसके तहत सबसे पहले राजघाट के निकट यमुना के पानी को जैविक तरीके से साफ किया जाएगा।

यमुना
उत्तराखंड की प्रमुख नदियाँ
Posted on 11 Sep, 2008 09:35 AM

हिमालय पर्वतमाला को विश्व का उत्तम जल स्तम्भ कहा जाता है। हिमालय से पिघलते बर्फ से कई निरन्तर बहती नदियों का जन्म हुआ है जिन पर मानव जीवन निर्भर है। हिमालय में बर्फवारी अक्टूबर से अप्रैल तक होती है, जबकि जनवरी- फरवरी में अधिकतम बर्फ गिरती है। चौखम्भा शिखर के उत्तरी-पश्चिमी भाग पर स्थित गंगोत्री हिमशिखर की 4000 मी0 ऊँचाई पर गौमुख से भगीरथी नदी का उद्गम हुआ है।

भागीरथी
उत्तराखंड की प्रमुख झीलें
Posted on 11 Sep, 2008 09:08 AM

पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला पदार्थ जल है, जिससे पृथ्वी का 70 प्रतिशत् भाग ढका है। कुल जल की मात्रा का 97.3 प्रतिशत (135 करोड़ घन किमी0) सागर और महासागर के रूप में तथा 2.7 प्रतिशत (2.8 करोड़ घन किमी0) बर्फ से ढका है। इसके अतिरिक्त 7.7 घन किमी0 जल भूमिगत है।

झील
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