उत्तर प्रदेश

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चंबल नदी में घडियाल आबाद
Posted on 24 Jul, 2009 08:09 AM
वन्य जीव प्रेमियों के लिए चंबल क्षेत्र से एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। किसी अज्ञात बीमारी के चलते बड़ी संख्या में हुई डायनाशोर प्रजाति के विलुप्तप्राय घडि़यालों के कुनबे में सैकड़ों की संख्या में इजाफा हो गया है। अपने प्रजनन काल में घडि़यालों के बच्चे जिस बड़ी संख्या में चंबल सेंचुरी क्षेत्र में नजर आ रहे हैं वहीं चंबल सेंचुरी क्षेत्र के अधिकारियों की अनदेखी से घडि़यालों के इन नवजात बच्चों क
इटावा का पानी
Posted on 24 Jul, 2009 07:43 AM जल निगम द्वारा कराई गई पानी की जांच में यह भी सामने आया है कि जनपद के अन्य ब्लाकों में ताखा ब्लाक के ग्राम रौरा में 1-92, महेवा ब्लाक के अहेरीपुर में 1-8 मिग्रा फ्लोराइड की मात्रा पाई गई है। इसके साथ ही जसवंतनगर ब्लाक के ही ग्राम शाहजहांपुर में 1-6, दर्शनपुरा में 1-8, खनाबाग में 1-6, ताखा ब्लाक के ग्राम नगला ढकाउ में 1-8 मिग्रा, नगला कले में 1-6, भर्थना ब्लाक के ग्राम हरनारायणपुर में फ्लोराइड की मात्रा 1-6 मिग्रा, लीटर पाई गई है जो निर्धातिर मानकों से काफी अधिक है।मौसम में लगातार हो रहे असंतुलन ने भूजल को बुरी तरह प्रदूषित किया है. पीने के लिए सरकार द्वारा लगवाए गए हैंडपंपों के पानी में जिस प्रकार से रसायनिक अवयवों का संतुलन बिगड़ा है, उससे यह पानी स्वास्थय पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। उत्तर प्रदेश राज्य जल निगम की इटावा शाखा द्वारा पेयजल के लिए गए नमूनों में जिस प्रकार से पेयजल के अवयवों में फ्लोराइड आयरन एवं नाइट्रेट की मात्रा बढ़ जाने से यह पानी लोगों की अपंगता का कारण बनता जा रहा है।

वहीं नाइट्रेट की बढ़ी मात्रा तो बच्चों की मौत का कारण तक बन जाती है। आश्चर्यजनक यह है कि पेयजल के लिए गए नमूनों के बाद शोधकर्ताओं ने साफ किया कि पानी के अवयवों का संतुलन नहीं बनाया जा सकता है और इसका एकमात्र उपाय यही है कि पेयजल की आपूर्ति पानी की टंकी के माध्यम से की जाए।

कैसे धुलेगा गंगा का मैल
Posted on 14 Jul, 2009 02:28 PM हर रोज की तरह आज कछला घाट सूना सूना नहीं था। रविवार की दोपहर से ही वहां दूर दराज से लोगों का आना शुरू हो गया था। शाम होते-होते हजारों की तादाद में लोगों से भरे वाहनों की भीड़ गंगा किनारे आ लगी थी। इससे भी ज्यादा भीड़ थी सोरों में जो अगले दिन के इंतजार में सोरों में ही रात गुजारने की तैयारी में थी। उत्तरप्रदेश के जनपद काशीरामनगर (एटा) स्थित सोरों के पास महज 13 किलोमीटर की दूरी पर ही है गंगा का
अपने हक के लिए आगे आए नरेगा के जॉब कार्ड धारक
Posted on 05 Jul, 2009 06:43 PM

हमीरपुर। इस जनपद की राठ तहसील के अंतर्गत एक गाँव है नौरंगा। नौरंगा में ज्यादातर दलित और पिछड़ी जाति के लोग निवास करते है , यहाँ की प्रधान हैं सुश्री अशोक रानी जो की पिछड़ी जाति से है । गाँव काफी संपन्न प्रतीत होता है बाहर से, लेकिन प्रशासनिक अमले के अनदेखी का शिकार है । इस गाँव में ग्राम सचिव तो है लेकिन उसे कार्यभार नहीं मिला है । कार्यभार विहीन सचिव ग्राम में क्या कार्य करेगा यह अपने आप मे
रेनवाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य
Posted on 23 Jun, 2009 02:55 PM

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की एक खण्डपीठ ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में इलाहाबाद विकास प्राधिकरण को निर्देश दिया है कि सम्पूर्ण जिले में भवनों के नक्शे स्वीकृत करते समय उनमें “रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम” (Rainwater Harvesting) का होना अनिवार्य करें एवं इसका कड़ाई से पालन किया जाये। न्यायालय ने अपने निर्देश में कहा है कि भवन मालिकों को पूर्णता प्रमाण-पत्र तथा भवन का कब्जा देने से पहले यह स

Rainwater harvesting
यूपी के महाराजगंज के भूजल में आर्सेनिक की स्थिति
Posted on 25 Apr, 2009 05:21 PM
जल पर्यावरण का जीवनदायी तत्व है. परिस्थितिकी के निर्माण में जल आधारभूत कारक है. वनस्पतियों से लेकर जीव-जंतु अपने पोषक तत्वों की प्राप्ति जल से करते हैं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश की धज्जी
Posted on 24 Apr, 2009 06:01 PM वाराणसी। रोज सुबह आठ ट्रैक्टर टालियां मिट्टी लेकर डाफी-लंका मार्ग से पहुंचती हैं शुक्रेश्वर तालाब। शुक्रेश्वर तालाब एक ऐतिहासिक तालाब है, जो कि धीरे –धीरे पट रहा है।
सोनभद्र में विजुल नदी सूखने के कगार पर
Posted on 23 Apr, 2009 03:20 PM ओबरा ( सोनभद्र). मध्यप्रदेश के सीधी जिले में औषधीय वृक्षों के जल से बनी रेणुकापार क्षेत्र की जीवनरेखा विजुल नदी पहली बार सूखने के कगार पर है. गुप्त काशी को अपनी अविरल धाराओं से सींचकर गोठानी स्थित प्रत्यक्ष संगम में समाहित हो जाने वाली विजुल नदी पर आये गंभीर संकट से तीन लाख से ज्यादा
गोरखपुर की आमी नदी हुई जानलेवा
Posted on 22 Apr, 2009 08:42 PM
गोरखपुर| उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल के तीन जिलों सिद्धार्थनगर, बस्ती और गोरखपुर से होकर बहने वाली आमी नदी का पानी औद्योगिक कचरे के कारण इतना जहरीला हो गया है कि उसे पीकर जानवर तो मौत के मुंह में पहुंच ही रहे हैं, उसके किनारे बसे ग्रामीण भी कई तरह की बीमारियों के शिकार होने लगे हैं|
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