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मध्य प्रदेश
नर्मदा कछार के बाँध - बढ़ता जल संकट
Posted on 13 Apr, 2018 03:44 PM
नर्मदा के जल के अतिदोहन और उसके कछार प्रदेश में अबाध रूप से जारी रेत के खनन ने पूरे इलाके के बाँधों में जल भण्डारण व जलचक्र पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। इसकी झलक आपको मध्य प्रदेश के जल संसाधन विभाग की बेवसाइट पर उपलब्ध जानकारी से मिल जाएगी।
![नर्मदा नदी](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/narmada_17.jpg?itok=Q7fmiDK0)
सूख गईं नदियाँ, रह गईं तो बस कहानियाँ
Posted on 10 Apr, 2018 06:18 PM
गर्मी ने दस्तक दिया नहीं कि जल संकट की खबरें आम हो जाती हैं। पर मध्य-प्रदेश के सतपुड़ा व अन्य इलाकों की स्थिति कुछ अलग है। यहाँ पानी की किल्लत मौसमी न रहकर स्थायी हो गई है। ज्यादातर नदियां सूख गई हैं। नरसिंहपुर और होशंगाबाद जिले की, सींगरी, बारूरेवा, शक्कर, दुधी, ओल, आंजन, कोरनी, मछवासा जैसी नदियां पूरी तरह सूख गई हैं। इनमें से ज्यादातर बारहमासी नदियां थीं। पीने के पानी से लेकर फसलों के लिए भी पानी का संकट बढ़ गया है।
![दम तोड़तीं नदियाँ](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Dry%20river_11.jpg?itok=wIuBEzpi)
35 प्रतिशत आबादी को मयस्सर नहीं पानी
Posted on 01 Apr, 2018 02:03 PM
अभी तो वैद्य कॉलोनियों को ही पानी देने की मुश्किल आ रही है तो अवैध को देना कैसे संभव है। इन कॉलोनियों में कुछ स्थान पर बोर कराए हैं लेकिन भूजलस्तर कम होने पर वह काम नहीं कर रहे हैं। नर्मदा जल आने पर ही इन कॉलोनियों में पानी सप्लाई हो सकेगी। - कृष्णा गौर, महापौर
![जल संकट](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/%E0%A4%9C%E0%A4%B2%20%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A4%9F_1_3.jpg?itok=PSRbDELd)
आदिवासियों ने खुद खोजा अपना पानी
Posted on 30 Mar, 2018 03:39 PMजल दिवस की सार्थकता इसी में निहित है कि हम अपने पारम्परिक जल संसाधनों को सहेज सकें तथा प्रकृति की अनमोल नेमत बारिश के पानी को धरती की कोख तक पहुँचाने के लिये प्रयास कर सकें। अपढ़ और कम समझ की माने जाने वाले आमली फलिया के आदिवासियों ने इस बार जल दिवस पर पूरे समाज को यह सन्देश दिया है कि बातों को जब जमीनी हकीकत में अमल किया जाता है तो हालात बदले जा सकते हैं। आमला फलिया ने तो अपना खोया हुआ कुआँ और पानी दोनों ही फिर से ढूँढ लिया है लेकिन देश के हजारों गाँवों में रहने वाले लोगों को अभी अपना पानी ढूँढना होगा।
मध्य प्रदेश के एक आदिवासी गाँव में बीते दस सालों से लोग करीब तीन किमी दूर नदी की रेत में झिरी खोदकर दो से तीन घंटे की मशक्कत के बाद दो घड़े पीने का पानी ला पाते थे। आज वह गाँव पानी के मामले में आत्मनिर्भर बन चुका है। अब उनके ही गाँव के एक कुएँ में साढ़े पाँच फीट से ज्यादा पानी भरा हुआ है। इससे यहाँ के लोगों को प्रदूषित पानी पीने से होने वाली बीमारियों तथा सेहत के नुकसान से भी निजात मिल गई है।आखिर ऐसा कैसे हुआ कि गाँव में दस सालों से चला आ रहा जल संकट आठ से दस दिनों में दूर हो गया। कौन-सा चमत्कार हुआ कि हालात इतनी तेजी से बदल गए। यह सब सिलसिलेवार तरीके से जानने के लिये चलते हैं आमली फलिया गाँव। कुछ मेहनतकश आदिवासियों ने पसीना बहाकर अपने हिस्से का पानी धरती की कोख से उलीच लिया।
![कुआँ](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80%20%E0%A4%B8%E0%A5%87%20%E0%A4%AD%E0%A4%B0%E0%A4%BE%20%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%86%E0%A4%81_3.jpg?itok=R-5o8wsh)
नए भागीरथ चाहिए
Posted on 19 Mar, 2018 06:11 PMकुछ देशों के नागरिकों की जीवन पद्धति एवं प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग का स्तर
नर्मदा अंचल के वन एवं वन्य जैवविविधता
Posted on 19 Mar, 2018 06:01 PMनर्मदा अंचल के वनों और नदियों के प्रवाह के बीच नाजुक रिश्ते के बारे में जानकारी दे चुकने के बाद नर्मदा अंचल के वनों और वन्य जैव विविधता के बारे में संक्षिप्त जानकारी देना प्रासंगिक होगा। यहाँ कैसे जंगल हैं और उनमें वन्य जैवविविधता कैसी है इसी विषय पर संक्षिप्त जानकारी आगे दी गई है। प्राचीन भारतीय साहित्य में नर्मदा को बड़ा महत्त्व दिया गया है। कूर्म पुराण, मत्स्य पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण, वामन पुराण, नारद पुराण तथा भागवत पुराण आदि में नर्मदा के बारे में विवरण के साथ ही इसके अंचल में पाये जाने वाले वनों की शोभा भी बखानी गई है।
![नर्मदा नदी](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/16244031746_9f73d180bc_3.jpg?itok=99qfwwVt)
नर्मदा की जान जंगल
Posted on 18 Mar, 2018 06:53 PMनर्मदा या हिमविहीन ऐसी ही किसी भी दूसरी नदी के लिये जंगल अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। सामान्य बोलचाल की भाषा में यदि कहा जाये कि जलग्रहण क्षेत्र के वनों में नर्मदा की जान बसती है और जंगल उसके प्राणदाता हैं तो अतिश्योक्ति न होगी। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या जंगल वास्तव में हिमविहीन नदियों के लिये प्राणदाता की भूमिका निभाते हैं? या यह केवल एक भावनात्मक वक्तव्य है?
![नर्मदा नदी](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/15203596521_64560e2e80_7.jpg?itok=HV5kMmXo)