लखनऊ

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गोमती नदी के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास
गोमती का जन्म हिमालय की तलहटी में जनपद पीलीभीत से 30 किमी पूर्व तथा पूरनपुर (पुराणपुर) से 12 किमी उत्तर में माधोटांडा के निकट फुलहर झील (गोमत ताल) से हुआ। गोमती 660 किमी की यात्रा में 14 जिले पीलीभीत, शाहजहाँपुर, लखीमपुर, हरदोई, सीतापुर, लखनऊ, बाराबंकी, अयोध्या, अमेठी, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, जौनपुर, गाजीपुर के 22735 वर्ग किमी जल ग्रहण क्षेत्र के वर्शा जल को संजोकर मार्केण्डेश्वर तपस्थली के पास कैची घाट, वाराणसी में गंगा मैया की गोद में समा जाती है। गोमती पहाड़ों से नहीं, गौरूपी धरती की कोख (भूगर्भ जल) से जन्मी नदी है, इसलिए गोमती कहलाती है। इसके प्राण भूजल स्रोतों में निहित हैं। Posted on 13 May, 2024 08:38 AM

गोमती का परिचय 

आदि गंगा गोमती, माँ गंगा से प्राचीन नहीं हैं। माँ गंगा को भगीरथ द्वारा पृथ्वी पर लाया गया था, जबकि भूगर्भ जल से पृथ्वी के उद्भव मालखण्ड से सतत सदानीरा पौराणिक नदी गोमती है। गोमती को आदि गंगा कहा गया है। गोमती के जल में तप की प्रकृति है। इसके तट पर आदिपुरुष मनु-सतरूपा ने तपस्या कर पुत्र रूप में भगवान श्रीराम का वरदान पाया और गोमती जल में स्नान करके भरत व भगवान राम द्वार

गोमती (प्रतिकात्मक तस्वीर)
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