जबलपुर जिला

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निजीकरण नहीं, अपने भीतर झाँकने की आवश्यकता
Posted on 10 Mar, 2011 11:07 AM जबलपुर के पास कूइन द्वारा बनाया गया ताल आज कोई एक हजार वर्ष बाद भी
निशीथ-यात्रा
Posted on 24 Feb, 2011 08:44 PM जबलपुर के समीप भेड़ाघाट के पास नर्मदा के प्रवाह की रक्षा करने वाले संगमरमर के पहाड़ हम रात्रि के समय देख आयेंगे, यह खयाल शायद मध्यरात्रि के स्वप्न में भी न आता। किन्तु ‘सबिन्दु-सिंधु-सुस्खलत् तरंगभंग-रजिंतम्’ कहकर जिसका वर्णन हम किसी समय संध्या-वंदन के साथ गाते थे, उस शर्मदा नर्मदा के दर्शन करने के लिए यह एक सुन्दर काव्यमय स्थान होगा, ऐसी अस्पष्ट कल्पना मन के किसी कोने में पड़ी हुई थी।
धुवांधार
Posted on 24 Feb, 2011 07:43 PM
एक, दो, तीन। धुवांधार अभी-अभी मैंने तीसरी बार देख लिया। धुवांधार नाम सुन्दर है। इस नाम में ही सारा दृश्य समा जाता है। किन्तु अबकी बार इस प्रपात को देखते-देखते मन में आया कि इसको धारधुवां क्यों न कहूं? धार गिरती है, फव्वारे उड़ते हैं और तुरन्त उसके तुषार बनकर कुहरे के बादल हवा में दौड़ते हैं। अतः धारधुवां नाम ही सार्थक लगता है। मगर यह नाम चल नहीं सकता!
जहरीली हो जाएगी नर्मदा
Posted on 22 Feb, 2011 02:57 PM

तमाम शोध और अध्ययन बताते हैं कि नर्मदा को लेकर बनी योजनाओं से दूरगामी परिणाम सकारात्मक नहीं होंगे। भयंकर परिणामों के बावजूद ‘नर्मदा समग्र’ अभियान वाली हमारी सरकार नर्मदा जल में जहर घोलने की तैयारी क्यों कर रही है?

जहरीली हो रही नर्मदा
Posted on 21 Feb, 2011 10:58 AM

देश की सबसे प्राचीनतम नदी नर्मदा का जल तेजी से जहरीला होता जा रहा है। अगर यही स्थिति रही तो मध्यप्रदेश की जीवनरेखा नर्मदा अगले 10-12 सालों में पूरी तरह जहरीली हो जाएगी और इसके आसपास के शहरों-गांवों में बीमारियों का कहर फैल जाएगा। हाल ही मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से नर्मदा के जल की शुद्धता जांचने के लिए किए गए एक परीक्षण में पता चला है कि नर्मदा तेजी से मैली हो रही है। तमाम शोध और

पुन: अपि नर्मदा
Posted on 19 Feb, 2011 12:10 PM
कितना अच्छा हुआ कि संक्रांति के दूसरे ही दिन नर्मदा मैया का काव्यमय दर्शन करके पुनीत हो सके! धुआंधार, चौंसठ योगिनीवाला गौरीशंकर का मंदिर और सफेद, नीले, पीले, हरे, काले पहाड़ों के बीच रास्ता निकालने वाली शांत गंभीर और प्रसन्न शीतल पानी वाली नर्मदा का भेड़ाघाट यह प्रेरणा दायीत्रयी है।
कैसे कहें यह राष्ट्रीय तीर्थ है .......!!!
Posted on 16 Feb, 2011 09:22 AM


कल एक बांध को देखा तो कसक जाग उठी ।
एक तीर्थ बनाने में कितने घर डूबे होंगे ।।

कौन मरा, कौन जिया, किसकी जमीनें डूबीं, कोई बहीखाता नहीं है यहां ।
आज कौन है, कहां हैं, कोई नहीं जानता ।
पर कल रिक्शा चलाते मिला था, एक आदमी सतना की सड़कों पर ।
कुरेदा तो बताया कि बरगी से आया हूं।
वो तो आज भी रहते हैं अंधेरे में ही

हाथ कटाने को तैयार ?
Posted on 15 Feb, 2011 03:41 PM काम के अभाव में यहां के लोगों का पलायन जारी है। खामखेड़ा के बीरनलाल कहते हैं कि पहले तो हमें डुबो कर मार ड़ाला, अब काम ना देकर मार डालेगी ये सरकार !! पेट के बच्चे तक के लिये यहां पर योजनायें हैं लेकिन हम क्या विदेशी हैं, आतंकवादी हैं ?
काली चाय का गणित
Posted on 15 Feb, 2011 03:26 PM जब बाँध बनने की बात होती थी तो हम लोग हंसते थे कि जिस नर्मदा माई को भगवान नहीं बाँध पाये और जो अमरकंटक से निकलकर कल-कल बहती ही रही है,उसे कौन बाँध सकता है ? और जब भगवान नहीं बाँध पाये तो नर्मदा विकास (प्राधिकरण) की क्या बिसात ...........?
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