हजारीबाग जिला

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खनन का अधिकार चाहिए
Posted on 06 Jan, 2014 02:43 PM कर्णपुरा घाटी के मूल निवासी डॉ.
काला सोना बचाने की जंग
Posted on 31 Dec, 2013 01:13 PM झारखंड की कर्णपुरा घाटी में धरती के नीचे दबे कोयले को हड़पने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियां लंबे अरसे से जुटी हुई हैं। लेकिन अब वहां के स्थानीय बाशिंदों ने अपनी इस खनिज संपदा को बचाने के लिए कमर कस ली है। सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले ने भी उनका उत्साह बढ़ाया है। इस उभरते आंदोलन का जायजा ले रहे हैं मनोज त्यागी।

कर्णपुरा घाटी में आराहरा जैसे दो सौ पाच गांव हैं जिनकी जमीन के नीचे ऐसा ही काला सोना मौजूद है। इन गांवों में साढ़े तीन लाख की आबादी रहती है। एनटीपीसी के अलावा पैंतीस और देशी विदेशी कंपनियों को सरकार इन गांवों की जमीन को कोयला ब्लाकों में तब्दील कर अब तक आबंटित कर चुकी है। यहां जमीन के अधिग्रहण की पुरजोर कोशिश कंपनियां कर रही हैं, पर इन गांवों के किसान हकीकत समझ गए हैं। उन्होंने अपने नजदीक में पहले खुली खदानों से विस्थापित हुए किसानों का दर्दनाक हाल देखा है। वे दहशत में हैं। शायद इसी दहशत से उनमें एक नया संकल्प उभर रहा है। झारखंड के हजारीबाग जिले के बड़का गांव प्रखंड में कर्णपुरा घाटी के बीच में स्थित है आराहरा गांव। पूरे गांव के नीचे काला सोना कहे जाने वाले बेशकीमती कोयले का विशाल भंडार है। रांची के सेंट्रल प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट (सीएमपीडीआईएल) के अध्ययन के मुताबिक यहां एक एकड़ जमीन के नीचे औसतन एक लाख से ढाई लाख टन कोयला भंडार है जिसका बाजार मूल्य करीब साठ करोड़ रुपए बैठता है। यहां कोयला खनन के लिए जमीन के अंदर खान नहीं बनानी पड़ती, ऊपर की तीन-चार फुट मिट्टी हटा देने से कोयले की परत चमकाने लगती है औऱ उसे गैंती से तोड़कर या हल्का-फुल्का विस्फोट करके उखाड़ा जा सकता है।
बिना ईंधन के चलता है यह लिफ्ट एरीगेशन
Posted on 31 May, 2013 10:39 AM भारतीय सेना से रिटायर्ड हजारीबाग के रहने वाले एक कर्नल ने जल प्रबंधन के लिए देसी पंप ईजाद किया है। यह एक ऐसा एरीगेशन सिस्टम है जिसमें बिना बिजली, डीजल, केरोसिन, पेट्रोल आदि ईंधन के पानी को पाइप के जरिये ऊपर पहुंचाया जाता है। जल प्रबंधन में कर्नल की इस नवीन खोज पर केंद्रित उमेश यादव की रिपोर्ट।
पानी का संकट, महंगे पेट्रोल-डीजल और राज्य में बिजली की बदतर स्थिति झारखंड के लिए बड़ी समस्या है। ऐसे में इसका हल तो ढूढ़ना ही पड़ेगा। इन्हीं चुनौतियों से निबटने के लिए प्रकृति जल ऊर्जा पंप का विकास किया गया है। बिना सरकारी मदद के शुरूआत में यह महंगी लगती है। लेकिन, तीन साल के ईंधन खर्च की बचत से ही इसकी लागत वसूल हो जाती है। ऐसे में यह बहुत सस्ती है। हजारीबाग जिले के मासिपिरी गांव निवासी कर्नल विनय कुमार सेना की नौकरी से रिटायर्ड होकर वर्ष 2005 में अपने गांव लौटे। यहां पर उन्होंने ग्रामीणों को जल संकट से जूझते देखा। पानी के अभाव में फसलों को होने वाली क्षति एवं लोगों के जीवन में आने वाली दिक्कतों ने उन्हें बेचैन कर दिया। सेना की नौकरी ने उन्हें वह मानसिक दृढ़ता प्रदान की थी जिसके चलते वह यथास्थितिवादी बन कर नहीं रह सकते थे। इसलिए उन्होंने इस संकट का हल निकालने की ठानी। तीन-चार साल के अथक प्रयास से जो परिणाम सामने आया वह चौकाने वाला था। एक ऐसी खोज सामने थी जो बिना किसी ईंधन के पानी का प्रबंध कर सकता था। यह खोज था प्रकृति जल ऊर्जा पंप। फिर क्या था कर्नल विनय की बांछें खिल उठी। उन्होंने इसे अपने कृषि फार्म में प्रयोग किया।
8000 साल पुरानी दामोदर घाटी सभ्यता दफन हो जाएगी
Posted on 28 Jul, 2011 08:59 AM

झारखंड में औद्योगीकरण के खिलाफ एक नये मोर्चे की तैयारी शुरू हुई है। जमीन के सवाल पर जन-विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा, अब पर्यावरण संरक्षक भी गोलबंद हो रहे हैं। उनकी तिरछी नजर उद्योगों के लिये आबंटित कोल ब्लॉकों पर है। खास बात यह है कि इस मोर्चे के लिये अंतरराष्ट्रीय सहमति जुटायी जा रही है। जानेमाने पर्यावरण व वन्यजीव संरक्षक बुलु इमाम खुलकर कहते हैं- ‘मानवाधिकार का सवाल सरकारों पर अब प्रभाव

दामोदर नदी अब खत्म होने के कगार पर
आईआईटी धनबाद करेगी प्रदूषण जांच के लिए अध्ययन
Posted on 14 May, 2019 03:34 PM

राज्य में 101 स्थानों पर प्रदूषण जांच की ऑटोमेटिक मशीन लगाने से पहले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (इंडियन स्कूल ऑफ़ माइंस) धनबाद तकनीकी अध्ययन करेगा। इस संबंध में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जेएसपीसीबी) को निर्देशित किया है।

There are several power plants in the state, one of the main reasons for pollution
न होने दें तालाबों का अतिक्रमण
Posted on 22 Nov, 2012 09:41 AM तालाब का न केवल मनुष्य बल्कि धरती के विभित्र जीव-जंतुओं के जीवन में बड़ा योगदान है। इसके बिना जीवन संकट से घिर जाता है। ऐसे में तालाब को बचाने के लिए आप आगे आयें। किसी भी परिस्थिति में तालाबों का अतिक्रमण न होने दें। आप इसके खिलाफ लडें.। तालाब अतिक्रमणकारियों के खिलाफ आप शासन-प्रशासन के पास शिकायत करें। इससे भी बात न बने तो कोर्ट से गुहार लगायें। भारत का उच्चतम न्यायालय आपके साथ है। जगपाल सिंह एवं
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