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मौत बाँटता आर्सेनिक
Posted on 27 Sep, 2016 03:40 PM
उत्तर प्रदेश के बलिया समेत कई जिलों में आर्सेनिक का प्रकोप कोई घटना नहीं है, लेकिन अब हालात बदतर होते जा रहे हैं और स्वास्थ्य सेवाओं की ओर प्रशासन का जरा भी ध्यान नहीं है। अठारह वर्ष के देव कुमार चौबे पिछले पाँच साल से हर रोज किसी-न-किसी डॉक्टर के पास जा रहे हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के हरिहरपुर गाँव के रहने वाले देव कुमार के पूरे बदन पर
स्वच्छ जल बचाए संक्रमण से
Posted on 27 Sep, 2016 02:59 PM
बरसात का मौसम वह समय है, जब दूषित पानी और मच्छरों का संक्रमण बढ़ जाता है। मलेरिया से लेकर पेचिस, हैजा और दस्त जैसी बीमारियाँ अपना पैर पसारने लगती हैं।
भूकम्प से कैसे निपटें (How to deal with Earthquake in Hindi)
Posted on 22 Aug, 2016 02:50 AM

भूकम्प का पूर्वानुमान सम्भव नहीं


भूकम्प एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका पूर्वानुमान सम्भव नहीं है। विज्ञान की तमाम आधुनिक सुविधाओं के बावजूद भूकम्प आने के समय, भूकम्प के असर का दायरा और तीव्रता बताना मुश्किल है।

बीबीसी को दिये गये अपने एक बयान में प्रो. चंदन घोष बताते हैं कि जब कोई भूकम्प आता है तो दो तरह के वेव निकलते हैं। एक को प्राइमरी वेव कहते हैं और दूसरे को सेकेन्ड्री वेव कहते हैं।

प्राइमरी वेव की गति औसतन 6 कि.मी. प्रति सेकेन्ड की होती है जबकि सेकेन्ड्री वेव औसतन 4 कि.मी. प्रति सेकेन्ड की रफ्तार से चलती है। इस अन्तर के चलते हरेक 100 कि.मी. पर 8 सेकेन्ड का अन्तर हो जाता है। यानि भूकम्प केन्द्र से 100 कि.मी. दूरी पर 8 सेकेन्ड पहले पता चल सकता है कि भूकम्प आने वाले है।
जलाशयों की गाद हटाने में बाढ़ का उपयोग
Posted on 26 Jul, 2016 12:19 PM
बाँधों के विशाल जलाशयों की गाद को कुदरती तरीके से निकाला जा सकता है। यह चमत्कार भी नहीं है। यह सुनकर या पढ़कर भले ही अटपटा लगे पर यह सम्भव है। चीन ने इसे बिना मानवीय श्रम या धन खर्च किये, कर दिखाया है। यह किसी भी देश में हो सकता है। भारत में भी ऐसा हो सकता है।
भारत में हरित क्रांति के पूर्व एवं पश्चात कृषि उत्पादकता का विश्लेषणात्मक अध्ययन (An analytical study of agricultural productivity in India in pre & post Green revolution era)
Posted on 25 Jul, 2016 04:29 PM

सारांश


‘‘हरित क्रांति ने मनुष्य के भुखमरी एवं वंचना के विरुद्ध युद्ध में अस्थायी सफलता प्राप्त की है। इसने मनुष्य को साँस लेने हेतु स्थान प्रदान किया है।’’ -डा. नारमन ई. बारलाग (नोबेल भाषण, दिसम्बर 11, 1970)
अतिवृष्टि का चरम है बादल फटना (Cloudburst)
Posted on 05 Jul, 2016 02:00 PM


मौसम वैज्ञानिकों की नजर में बादल फटने की घटना अतिवृष्टि की चरम स्थिति और असामान्य घटना है। इस घटना की अवधि बहुत कम अर्थात कुछ ही मिनट होती है पर उस छोटी अवधि में पानी की बहुत बड़ी मात्रा, अचानक, बरस पड़ती है। मौसम वैज्ञानिकों की भाषा में यदि बारिश की गति एक घंटे में 100 मिलीमीटर हो तो उसे बादल फटना मानेंगे।

पानी की मात्रा का अनुमान इस उदाहरण से लगाया जा सकता है कि बादल फटने की घटना के दौरान यदि एक वर्ग किलोमीटर इलाके पर 25 मिलीमीटर पानी बरसे तो उस पानी का भार 25000 मीट्रिक टन होगा। यह मात्रा अचानक भयावह बाढ़ लाती है। रास्ते में पड़ने वाले अवरोधों को बहाकर ले जाती है। बादल फटने के साथ-साथ, कभी-कभी, बहुत कम समय के लिये ओला वृष्टि होती है या आँधी तूफान आते हैं।

पानी-रे-पानी तेरा रंग कैसा
Posted on 03 Jul, 2016 04:13 PM
पानी बचाने के हमारे तरीके कैसे-कैसे थे, इसका अहसास इस बात से
जल-समृद्धि के देश में क्यों है ऐसी प्यास
Posted on 02 Jul, 2016 12:51 PM
पिछले कई सालों से यह बात जुमले की तरह अक्सर सुनने को मिल जाती है कि तीसरा विश्वयुद्ध पानी के लिये होगा। यह तो खैर कब होगा, क्या होगा, पर मैं तो यह याद दिलाना चाहता हूँ कि जो हो रहा है, वह ही कहाँ कम है। आज भी दो प्रदेशों के बीच युद्ध हो रहा है, दो देशों के बीच भी हो रहा है। बांग्लादेश और भारत पानी को लेकर लड़े। पंजाब से निकलने वाली नदियाँ, जो पाकिस्ता
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