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दिल्ली
पौधारोपण से गंगा को बचाने की योजना
Posted on 27 Aug, 2012 11:49 AMविभिन्न शोधों से पता चला है कि देश में कई पौधों की प्रजातियां ऐसी हैं जो केवल गंदे पानी के कीटाणुओं को अपना भोजन बनाकर ही पनपती हैं। ऐसे पौधे खासतौर पर उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में आसानी से पाए जाते हैं। गांवों में गंदे पानी को इकट्ठा किया जाएगा। उसके बाद उसमें उन पौधों का रोपण कर दिया जाएगा। पौधे गंदे पानी के कीटाणुओं को अपना भोजन बनाकर उसे प्राकृतिक रूप से शुद्ध करने में मदद करेंगे।
उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में गायत्री मंत्र के माध्यम से भारतीय संस्कृति और विज्ञान को प्रसारित करने में जुटी संस्था ‘शांति कुंज’ ने अब पूरे देश में पौधारोपण के माध्यम से गंगा प्रदूषण को कम करने की नायाब योजना शुरू की है। शांतिकुंज में देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर चिन्मय पंड्या ने बताया कि इस योजना के तहत हजारों की संख्या में स्वयंसेवकों के माध्यम से ऐसे पौधे लगाए जाएंगे जो गंगा प्रदूषण को रोकने में कारगर साबित होते हैं।गंगा पुनर्जीवन चेतना केन्द्र स्थापना
Posted on 26 Aug, 2012 01:46 PMगंगा की सेवा और सामुदायिक प्रबंधन सुनिश्चित करने हेतु बड़ी संख्या में गंगा योद्धाओं की जरूरत का अहसास हो रहा है। इस आवश्यकतापूर्ति में योगदान देने हेतु ‘गंगा पूनर्जीवन चेतना केन्द्र’, तरुण भारत संघ परिसर में 20 अगस्त को स्थापित किया जाएगा।
तरुण भारत संघ की कार्यकारिणी ने 3 जून की बैठक में तय किया था कि अब तरुण भारत संघ परिसर को गंगा योद्धाओं को प्रशिक्षित करने के लिए उपयोग किया जाएगा। यह संगठन महात्मा गांधी की विचारधारा में विश्वास रखता है। इसलिए गंगा के शोषक, प्रदूषक और कब्जाधारियों के विरुद्ध सत्याग्रह करेगा। इस सत्याग्रह में गंगा के लिए समर्पित सच्चे योद्धाओं की जरूरत है। ये योद्धा शांतिमय एवं अहिंसक तरीके से गंगा की अविरलता सुनिश्चित कराऐंगे।घातक है फ्लोराइड का जहर
Posted on 24 Aug, 2012 04:37 PMजल प्रदूषण में एक प्रमुख तत्व है फ्लोराइड देश के कई हिस्सों के भूजल में फ्लोराइड पाया जाता है। फ्लोराइड युक्त जल लगातार पीने से फ्लोरोसिस नाम की बीमारी होती है। इससे हड्डियां टेढ़ी, खोखली और कमजोर होने लगती है। रीढ़ की हड्डी में भी यह धीरे-धीरे जमा होने लगता है। जिससे हमारी सामान्य दैनिक क्रियाएं भी प्रभावित होने लगती है। अपने पीने के जल स्रोतों को समय-समय पर परिक्षण कराते रहना चाहिए। इसमें
मिशन फॉर क्लीन गंगा-2020 ब्यूरोक्रेट्सों की चोंचलेबाजी और चालबाजी है : आचार्य जितेंद्र
Posted on 24 Aug, 2012 03:54 PMगंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री और लड़ाकू तेवर के धनी आचार्य जितेंद्र गंगा के विभिन्न सवालों पर लगातार सक्रिय और संघर्षरत रही है। गंगा एक्शन प्लान में खर्च होने वाले 15 हजार करोड़ रुपए के बंदरबांट को लेकर ब्यूरोक्रेट्स और एनजीओ के खेल से वे काफी चिंतित हैं। प्रस्तुत है आचार्य जितेंद्र से निराला की बातचीत।गंगा की अविरलता और निर्मलता में कौन अहम मसला है?
जैवप्रौद्योगिकी में करियर (Career in Biotechnology in India)
Posted on 23 Aug, 2012 10:34 AMजैवप्रौद्योगिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का युग्मक है, जो जीवन से संबंधित है। यह जीवन के मूल को जानने और प्रौद्योगिकी के उपयोग द्वारा इसके प्रबंधन एवं/या अन्य प्रौद्योगिकियों में इसके उपयोग का विज्ञान है। जैवप्रौद्योगिकी एक ऐसा वैज्ञानिक विषय है जिसमें अन्य सभी विषय परस्पर मिश्रित होते हैं। विज्ञान की सभी शाखाएं मोलेक्यूलर स्तर पर अभिसरित होती हैं और इस तरह जैवप्रौद्योगिकी विज्ञान के सभी छात्
पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में करियर
Posted on 23 Aug, 2012 10:19 AMएक व्यवसाय के रुप में पुस्तकालयाध्यक्षता (लाइब्रेरियनशिप) रोजगार के विविध अवसर प्रदान करती है। पुस्तकालय तथा सूचना-विज्ञान में आज करियर की अनेक संभावनाएं हैं। अर्हताप्राप्त लोगों को विभिन्न पुस्तकालयों तथा सूचना केन्द्रों में रोजगार दिया जाता है। प्रशिक्षित पुस्तकालय व्यक्ति अध्यापक तथा लाइब्रेरियन दोनों रूप में रोजगार के अवसर तलाश कर सकते हैं। वास्तव में, अपनी रुचि तथा पृष्ठभूमि के अनुरूप पुस्तकाराष्ट्रीय जलनीति 2012 का संशोधित मसौदा : थोड़ा ठीक हुआ, काफी कमियां बाकी
Posted on 22 Aug, 2012 12:11 PMप्रस्तुतिराजीव चन्देल
यदि राज्य सरकारें व स्थानीय निकायें यह सुनिश्चित करें की नजीकरण को प्रोत्साहित किया जाना है। लेकिन एक तरफ तो निजीकरण कम करने की पहल की गई है, वहीं दूसरी तरफ यह कहा जा रहा है कि प्राइवेट सेक्टर को शर्तों के आधार पर सेवा प्रदाता बनाया जा सकता है, लेकिन इन नीतियों के बनिस्बत यह भी देखना है जो कि समान रूप से महत्वपूर्ण है। देश में जल प्रबंधन को निजी हाथों में अनुबंधित किये जाने के बाद प्रायः यह देखा गया कि वह सेवा प्रदाता व्यक्तिगत लाभार्थी के रूप में इस उद्देश्य से बदल गये जिससे निजी कंपनियों को मुनाफा हो।
राष्ट्रीय जल नीति का संशोधित मसौदा, जिसे हाल में ही सामने लाया गया है, उसमें पहले की अपेक्षा स्पष्ट तौर पर सुधार हैं। नये मसौदे से यह प्रतीत होता है कि ड्राफ्ट कमेटी ने पहले तैयार किये गये मसौदे (पूर्व योजना) में कई आपत्तियों को शामिल किया है। बावजूद इसके, इसे अंतिम नहीं मान लेना चाहिए। अभी इस पर अत्यधिक कार्य होना चाहिए। भारत सरकार के जल संसाधन मंत्रालय ने 25 जुलाई 2012 को राष्ट्रीय जल नीति (2012) के संशोधित प्रारूप (Revised) को सार्वजनिक किया। पहले इस मसौदे को इसी साल जनवरी में जनता के समक्ष रख कर इस पर टिप्पणियां मांगी गई थी। लेकिन इस मसौदे के साथ भी वही कुछ हुआ, जो कि आम सहमति पर किये जाने वाले विकास योजनाओं के साथ होता आया है। कुछ को छोड़कर कई अन्य मामलों के अनुभव ऐसे हैं जिनमें सरकारें पहले लोगों से टिप्पणियां (comments) मांगती हैं, लेकिन मिल जाने पर प्रायः उन पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता।