Posted on 18 Oct, 2013 10:53 AMयह तथ्य है कि कृषि प्रधान देश भारत गाँवों में बसता है, जहां लोगों का मुख्य धंधा खेतीबाड़ी करना है। जैसा कि उल्लेख किया जा चुका है, कहावतों का अधिक प्रचलन गाँवों में है। इसलिए स्वाभाविक है कि कृषि संबंधी ऐसी अधिक कहावतें कही जाती हैं जिनका संदर्भ वर्षा अथवा सूखा से होता है। ऐसी अधिकांश कहावतें घाघ और भड्डरी के नाम से कही गई है। कई इलाकों में सिंचाई सुविधाओं के अभाव से वर्षा का महत्व अधिक बढ़ जाता
Posted on 16 Oct, 2013 11:39 AMसाल 2010 में पूरे अमेरिका से 250 मिलियन टन कूड़ा निकलता था, हो सकता है, ये आंकड़े आपको ज्यादा न लग रहे हो, लेकिन अगर इसे दूसरे नज़रिए से देखें तो पूरे अमेरिका में हर व्यक्ति करीब 2 किलो कूड़ा निकालता है जिसमें से 0.6849245 किलो कूड़ा रीसाइकिल करने वाला होता है। अमेरिका में हर साल निकलने वाले इतने कूड़े से कई बड़े पार्क बनाए जा सकते हैं। हममें से कई लोगों क शायद इस बारे में न पता हो कि हमारे घर में
Posted on 15 Oct, 2013 03:34 PMमौसम वैज्ञानिक, वर्षा करने के लिए इस विधि की क्षमता का अभी वैज्ञानिक दृष्टि से अनुसंधान ही नहीं कर पाए थे कि उससे बहुत पहले ही सरल
Posted on 15 Oct, 2013 01:39 PMवहां नहीं है नदी लिया है बदल अपना रास्ता उसने। घाट है सिर्फ, पुराना सीढ़ियाँ जिसकी मिट्टी में दबी हैं पर बजिद है वह यही है तीर्थ उसका। जहाँ चाहे नदी बहती रहे वह तरा था यहीं चाहे डुबकी-भर ही सही।