Posted on 17 Mar, 2010 11:55 AM आसाढ़ी पूनो दिना, बादर भीनो चन्द। सो भड्डर जोसी कहै सकल नराँ आनन्द।।
शब्दार्थ – भीनो – छिपा हुआ। नरा – आदमी।
भावार्थ – यदि आषाढ़ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा बादलों में छिपा हो तो भड्डर ज्योतिषी कहते हैं कि पानी खूब बरसेगा जिससे फसलों को लाभ मिलेगा और लोग आनन्द का अनुभव करेंगे।
Posted on 17 Mar, 2010 11:04 AM आर्द्रा चौथ मघा पंचम।
भावार्थ – आर्द्रा नक्षत्र वर्षा का मुख्य नक्षत्र है। उसमें यदि पानी बरस गया तो आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य और श्लेषा ये चारों नक्षत्र बरसेंगे। इसी प्रकार यदि मघा बरस गया तो पाँचों नक्षत्रों-पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा और स्वाती में पानी बरसेगा।
Posted on 17 Mar, 2010 08:29 AM आदि न बरसे अद्रा, हस्त न बरसे निदान। कहै घाघ सुनु घाघिनी, भये किसान-पिसान।।
भावार्थ- आर्द्रा नक्षत्र के आरम्भ और हस्त नक्षत्र के अन्त में वर्षा न हुई तो घाघ कवि अपनी स्त्री को सम्बोधित करते हुए कहते हैं कि ऐसी दशा में किसान पिस जाता है अर्थात् बर्बाद हो जाता हैं।
Posted on 17 Mar, 2010 08:24 AM अद्रा गैलै तीनि गैल, सन, साठी औ कपास। हथिया गैलै सबै गैल, आगिल पाछिल नास।।
भावार्थ- यदि आर्द्रा नक्षत्र चला गया और वर्षा न हुई तो सनई, साठी और कपास इन तीनों में से कोई फसल नहीं होगी। इसी प्रकार यदि हस्त नक्षत्र में वर्षा न हुई तो अगली-पिछली दोनों बोयी फसलें नष्ट हो जायेंगी।