भारत

Term Path Alias

/regions/india

आगे रवि पाछे चलै
Posted on 17 Mar, 2010 01:05 PM
आगे रवि पाछे चलै, मंगल जो आसाढ़।
तौ बरसै अनमोल ही, पृथी अनंदै बाढ़।।


भावार्थ – भड्डरी का मानना है कि यदि आषाढ़ मास में सूर्य आगे-आगे और मंगल उसके पीछे-पीछे चले तो वर्षा अधिक होगी और पृथ्वी पर आनन्द की वृद्धि होगी।

आसाढ़ी पूनो दिना
Posted on 17 Mar, 2010 12:03 PM
आसाढ़ी पूनो दिना, गाज, बीज बरसंत।
नासै लक्षण काल का, आनन्द माने संत।।


शब्दार्थ – गाज – गर्जन। बीज – बिजली।

भावार्थ – आषाढ़ मास की पूर्णमासी को यदि आकाश में बादल गरजें और बिजली चमके तो वर्षा अधिक होगी और अकाल समाप्त हो जायेगा तथा सज्जन आनन्दित होंगे।

आसाढ़ी पूनो दिना
Posted on 17 Mar, 2010 11:55 AM
आसाढ़ी पूनो दिना, बादर भीनो चन्द।
सो भड्डर जोसी कहै सकल नराँ आनन्द।।


शब्दार्थ – भीनो – छिपा हुआ। नरा – आदमी।

भावार्थ – यदि आषाढ़ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा बादलों में छिपा हो तो भड्डर ज्योतिषी कहते हैं कि पानी खूब बरसेगा जिससे फसलों को लाभ मिलेगा और लोग आनन्द का अनुभव करेंगे।

आसाढ़ मास पूनो दिवस
Posted on 17 Mar, 2010 11:27 AM
आसाढ़ मास पूनो दिवस, बादल घेरे चंद।
तो भड्डर जोसी कहै, होवै परमानंद।।


शब्दार्थ – पूनो – पूर्णिमा, जोसी – ज्योतिषी।

भावार्थ – यदी आषाढ़ मास की पूर्णिमा को बादल चन्द्रमा को घेर लें तो भड्डर ज्योतिषी कहते हैं कि वर्षा ऋतु में आनन्ध ही आनन्द होगा।

आर्द्रा चौथ मघा पंचम
Posted on 17 Mar, 2010 11:04 AM
आर्द्रा चौथ मघा पंचम।


भावार्थ – आर्द्रा नक्षत्र वर्षा का मुख्य नक्षत्र है। उसमें यदि पानी बरस गया तो आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य और श्लेषा ये चारों नक्षत्र बरसेंगे। इसी प्रकार यदि मघा बरस गया तो पाँचों नक्षत्रों-पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा और स्वाती में पानी बरसेगा।

आदि न बरसे अद्रा
Posted on 17 Mar, 2010 08:29 AM
आदि न बरसे अद्रा, हस्त न बरसे निदान।
कहै घाघ सुनु घाघिनी, भये किसान-पिसान।।


भावार्थ- आर्द्रा नक्षत्र के आरम्भ और हस्त नक्षत्र के अन्त में वर्षा न हुई तो घाघ कवि अपनी स्त्री को सम्बोधित करते हुए कहते हैं कि ऐसी दशा में किसान पिस जाता है अर्थात् बर्बाद हो जाता हैं।

अद्रा गैलै तीनि गैल
Posted on 17 Mar, 2010 08:24 AM
अद्रा गैलै तीनि गैल, सन, साठी औ कपास।
हथिया गैलै सबै गैल, आगिल पाछिल नास।।


भावार्थ- यदि आर्द्रा नक्षत्र चला गया और वर्षा न हुई तो सनई, साठी और कपास इन तीनों में से कोई फसल नहीं होगी। इसी प्रकार यदि हस्त नक्षत्र में वर्षा न हुई तो अगली-पिछली दोनों बोयी फसलें नष्ट हो जायेंगी।

अम्बाझोर बहै पुरवाई
Posted on 16 Mar, 2010 04:20 PM
अम्बाझोर बहै पुरवाई।
तौ जानौ बरखा ऋतु आई।।


भावार्थ- यदि ग्रीष्म के अन्त में आमों को झकझोर कर गिरा देने वाली पुरवा हवा तेजी से बहे तो समझ लेना चाहिए कि वर्षा ऋतु आने वाली है।

अगहन द्वादस मेघ अकास
Posted on 16 Mar, 2010 03:55 PM
अगहन द्वादस मेघ अकास,
असाढ़ बरसै अखनाधार।


शब्दार्थ- अखनाधार – मूसलाधार

भावार्थ- यदि अगहन की द्वादशी को आकाश में बादलों के समूह घुमड़ रहे हों तो आषाढ़ में मूसलाधार वर्षा होगी।

आसाढ़ मास आठें अंधियारी
Posted on 16 Mar, 2010 03:24 PM
आसाढ़ मास आठें अंधियारी।
जो निकले चन्दा जलधारी।।

चन्दा निकले बादल फोर।
साढ़े तीन मास बरखा का जोर।।


भावार्थ- यदि आषाढ़ कृष्ण पक्ष की अष्टमी को चन्द्रमा बादलों के बीच से निकले तो साढ़े-तीन महीने वर्षा अच्छी होगी।

×