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कार कछौटी सुनरे बान
Posted on 24 Mar, 2010 10:16 AM
कार कछौटी सुनरे बान।
इन्हैं छाँड़ि जनि बेसह्यो आन।।


भावार्थ- काली कच्छ और सुन्दर रंग रूप वाले बैल को ही सदैव खरीदना चाहिए।

करिया काछी धौंरा बान
Posted on 24 Mar, 2010 10:14 AM
करिया काछी धौंरा बान।
इन्हैं छाँड़ा जनि बेसह्यो आन।।


भावार्थ- किसान को बैल खरीदते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि या तो वह सफेद रंग का हो या फिर काली कच्छ (पूँछ के नीचे का भाग) वाला हो।

एक समय बिधिना का खेल
Posted on 24 Mar, 2010 10:13 AM
एक समय बिधिना का खेल। रहा उसर में चरत अकेल।।
एक बटोही हर हर कहा। ठाढ़े गिरा होस ना रहा।।


भावार्थ- एक गादर बैल कहता है कि ईश्वर की लीला तो देखो; एक बार मैं ऊसर में अकेला चर रहा था। एक आदमी ने ‘हर-हर’ कहा मैं उसे हल समझ कर बेहोश हो गया।

एक बात तुम सुनहु हमारी
Posted on 24 Mar, 2010 10:11 AM
एक बात तुम सुनहु हमारी।
बूढ़ बैल से भली कुदारी।।


भावार्थ- घाघ कहते हैं कि किसान को कभी भी बूढ़ा बैल नहीं रखना चाहिए उससे अच्छा तो वह कुदाल से ही खेती कर ले।

उजर बरौंनी मुँह का महुआ
Posted on 24 Mar, 2010 10:09 AM
उजर बरौंनी मुँह का महुआ। ताहि देखि हरवाहा रोवा।।

भावार्थ- जिस बैल की बरौंनी सफेद और मुँह का रंग पीला हो, उसे देख कर हलवाहा भी रो देता है क्योंकि ऐसे बैल बड़े ही सुस्त एवं आलसी होते हैं।

पशु सम्बन्धी कहावतें
Posted on 24 Mar, 2010 10:02 AM
अमहा जबहा जोतहु जाए।
भीख माँगि के जाहु बिलाए।।


भावार्थ- यदि किसान ने अमहा और जबहा नस्ल वाले बैलों से खेत की जुताई की तो उसे भीख ही माँगनी पड़ेगी और अन्त में बर्बाद हो जायेगा।

सावन सूखे धान
Posted on 24 Mar, 2010 09:21 AM
सावन सूखे धान,
फागुन सूखे गोहूँ।


भावार्थ- यदि सावन में सूखा पड़ जाये तो धान हो सकता है और फागुन में सूखा पड़ जाये तो गेहूँ की पैदावार हो सकती है।

बैसाख सुदी प्रथमै दिवस
Posted on 24 Mar, 2010 09:15 AM
बैसाख सुदी प्रथमै दिवस, बादर बिज्जु करेइ।
दामा बिना बिसाहिजै, पूरा साख भरेइ।।


भावार्थ- यदि वैशाख शुक्ल प्रतिपदा को आसमान में बादल हों और बिजली चमक रही हो तो उस वर्ष ऐसी पैदावार होगी कि अन्न खरीदने वाला कोई नहीं मिलेगा।

गेहूँ बाहे चना दलाये
Posted on 24 Mar, 2010 09:13 AM
गेहूँ बाहे चना दलाये।
धान बिगाहे मक्की निराये।।
ऊख कसाये।


भावार्थ- गेहूँ के खेत को कई बार जोतने से, चने को खोंटने से, धान के खेत को बिदाहने से (धान के उग जाने पर फिर जुतवा देने से), मक्के को निराने से और ईख को बोने से पहले पानी में छोड़ देने से पैदावार अच्छी होती है।

कुही अमावस मूल बिन
Posted on 24 Mar, 2010 09:10 AM
कुही अमावस मूल बिन, बिन रोहिनि अखतीज।
स्रवन बिना हो स्रावनी, आधा उपजै बीज।।


शब्दार्थ- स्रावनी-सावन की पूर्णिमा।

भावार्थ- यदि अमावस मूल नक्षत्र में न पड़े, अक्षय तृतीया को रोहिणी न हो और श्रावण पूर्णिमा के दिन श्रवण नक्षत्र न पड़े तो बीज आधा उगेगा अर्थात् पैदावार कम होगी।

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