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रवि के आगे सुरगुरु
Posted on 25 Mar, 2010 04:24 PM
रवि के आगे सुरगुरु, ससि सुक्रा परबेस।
दिवस चु चौथे पाँचवें, रुधिर बहन्तो देस।।


भावार्थ- सूर्य के आगे वृहस्पति हों, चन्द्रमा शुक्र की परिधि में प्रवेश करें, तो उसके चौथे पाँचवें दिन देश में रक्त बहेगा।

रवि के आगे सुरगुरु
Posted on 25 Mar, 2010 04:22 PM
रवि के आगे सुरगुरु, ससि सुक्रा परबेस।
दिवस चु चौथे पाँचवें, रुधिर बहन्तो देस।।


भावार्थ- सूर्य के आगे वृहस्पति हों, चन्द्रमा शुक्र की परिधि में प्रवेश करें, तो उसके चौथे पाँचवें दिन देश में रक्त बहेगा।

राम बाँस जहँ धँसै अचूका
Posted on 25 Mar, 2010 04:18 PM
राम बाँस जहँ धँसै अचूका।
तहँ पानी की आस अखूटा।।


शब्दार्थ- राम बाँस- ऐसा बाँस जिसके सिरे पर नोकदार लोहा जड़ा हो।

भावार्थ- जिस स्थान पर रामबाँस बिना रुकावट के धँस जाये वहाँ कुआँ खोदने पर इतना पानी होगा कि कभी खत्म नहीं होगा।

मंगलवारी होय दिवारी
Posted on 25 Mar, 2010 04:16 PM
मंगलवारी होय दिवारी।
हँसै किसान रोवै बैपारी।।


भावार्थ- दीपावली यदि मंगलवार को पड़ती है तो किसान हँसेंगे और व्यापारी रोयेंगे।

माघे मंगर जेठ रवि
Posted on 25 Mar, 2010 04:14 PM
माघे मंगर जेठ रवि, जो सनि भादों होय।
छत्र टूटि धरती परे, कि अन्न महँगो होय।।


भावार्थ- यदि माघ मास में पाँच मंगलवार, जेठ में पाँच रविवार या भादों में पाँच शनिवार पड़ें तो राजा का नाश होगा या अन्न महँगा होगा।

मास ऋष्य जो तीज अँध्यारी
Posted on 25 Mar, 2010 04:12 PM
मास ऋष्य जो तीज अँध्यारी, लेहु जोतिसी ताहि विचारी।
तिहि नक्षत्र जो पूरनमासी, निहचै चन्द्रगहन उपजासी।।


भावार्थ- महीने की कृष्ण पक्ष की तृतीया को कौन सा नक्षत्र है ज्योतिष से इसका विचार कर लेना चाहिए। यदि उसी नक्षत्र में पूर्णिमा पड़े तो निश्चय ही चन्द्र ग्रहण होगा।

मूल गल्यो रोहिनि गली
Posted on 25 Mar, 2010 04:08 PM
मूल गल्यो रोहिनि गली, अद्रा बाजी बाय।
हाली बेंचो बरधिया, खेती लाभ नसाय।।


भावार्थ- यदि मूल और रोहिणी नक्षत्र में बादल छाये हों और आद्रा नक्षत्र में हवा चल रही हो तो किसान को चाहिए कि वह जल्दी से बैलों को बेच डालें क्योंकि खेती में लाभ की सम्भावना नहीं है।

मीन सनीचर कर्क गुरु
Posted on 25 Mar, 2010 04:06 PM
मीन सनीचर कर्क गुरु, जो तुल मंगल होय।
गोहूँ गोरस गोरड़ी, बिरला बिलसै कोय।।


भावार्थ- यदि मीन का शनिश्चर, कर्क का वृहस्पति और तुला का मंगल हो, तो गेहूँ, दूध और ईख की उपज कम होगी और शायद ही कोई इनका सेवन कर पाएगा।

माघ उजेरी अष्टमी
Posted on 25 Mar, 2010 04:04 PM
माघ उजेरी अष्टमी, वार होय जो चन्द।
तेल घीव को जानिये, महँगो होय दुचन्द।।


शब्दार्थ- दुचन्द-दुगना।

भावार्थ- यदि माघ शुक्ल पक्ष अष्टमी को सोमवार हो तो तेल और घी का दाम दूना हो जायेगा।

माघ पांच जो हों रविवार
Posted on 25 Mar, 2010 04:02 PM
माघ पांच जो हों रविवार।
तो भी जोसी समय विचार।।


भावार्थ- यदि माघ मास में पाँच रविवार पड़ें तो समय अच्छा होगा, ऐसा भड्डरी ज्योतिषी का मानना है।

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