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सूचना के बदले कितना शुल्क
Posted on 30 Oct, 2010 10:12 AM सूचना का अधिकार क़ानून के तहत जब आप कोई सूचना मांगते हैं तो कई बार आपसे सूचना के बदले पैसा मांगा जाता है। आपसे कहा जाता है कि अमुक सूचना इतने पन्नों की है और प्रति पेज की फोटोकॉपी शुल्क के हिसाब से अमुक राशि जमा कराएं। कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसमें लोक सूचना अधिकारी ने आवेदक से सूचना के बदले 70 लाख रुपये तक जमा कराने को कहा है। कई बार तो यह भी कहा जाता है कि अमुक सूचना काफी बड़ी है और इसे एकत्र करने के लिए एक या दो कर्मचारी को एक सप्ताह तक काम करना पड़ेगा, इसलिए उक्त कर्मचारी के एक सप्ताह का वेतन आपको देना होगा। ज़ाहिर है, सूचना न देने के लिए सरकारी बाबू इस तरह का हथकंडा अपनाते हैं।
जैविक खेती में देशी प्रजाति को बढ़ावा मिलाः मुकेश गुप्ता
Posted on 30 Oct, 2010 10:03 AM


मुकेश गुप्ता मोरारका फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक होने के साथ-साथ जैविक खेती के विशेषज्ञ भी हैं। चौथी दुनिया संवाददाता शशि शेखर ने नवलगढ़ यात्रा के दौरान मुकेश गुप्ता से जैविक खेती के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत की। मसलन, किसानों को अपनी जैविक उपज के लिए बाज़ार कैसे मिले? कृषि के लिए जैविक खेती कैसे वरदान साबित हो रहा है? पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

 

सूचना अधिकार क़ानून: भ्रांतियां और निवारण
Posted on 30 Oct, 2010 09:47 AM
भारत में सूचना अधिकार क़ानून (आरटीआई एक्ट) को लागू हुए पांच साल पूरा हो चुका है, लेकिन आम जनता और सरकारी अधिकारी अभी भी इस क़ानून के कई पहलुओं से अनभिज्ञ हैं। यह अनभिज्ञता दायर की गई अपीलों और लोकसेवकों द्वारा उनके जवाबों को देखकर स्पष्ट हो जाती है। कई बार ऐसी अपीलें दायर की जाती हैं, जिनके पीछे दायर करने वालों के निजी स्वार्थ छुपे होते हैं। राजनीतिक पार्टियां कई बार अधिकारियों से अपनी खुन्न
ऐसे बनाएं आरटीआई आवेदन…
Posted on 30 Oct, 2010 09:38 AM पिछले अंक में हमने आपको बताया था कि आरटीआई के इस्तेमाल में आने वाली द़िक्क़तों से कैसे निपटा जा सकता है। इस अंक से हम लगातार आरटीआई आवेदन का एक प्रारूप प्रकाशित करेंगे, ताकि आप अपना आरटीआई आवेदन ख़ुद तैयार कर सकें। इसी कड़ी में इस बार का आवेदन नरेगा से संबंधित है। यह आवेदन नरेगा में हो रही (अगर ऐसा है तो) धांधली को सामने लाने या जॉब कार्ड बनवाने में मददगार साबित हो सकता है। हम अपने सुधी पाठकों से यह अपेक्षा करते हैं कि वे गांव-देहात में रहने वाले लोगों को भी इस कॉलम के बारे में बताएंगे और इसमें दिए गए आरटीआई आवेदन के प्रारूप को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाएंगे।
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वनाधिकार
Posted on 29 Oct, 2010 10:03 AM

• साल २००६ के १३ दिसंबर को लोकसभा ने ध्वनि मत से अनुसूचित जाति एवम् अन्य परंपरागत वनवासी(वनाधिकार की मान्यता) विधेयक(२००५) को पारित किया। इसका उद्देश्य वनसंपदा और वनभूमि पर अनुसूचित जाति तथा अन्य परंपरागत वनवासियों को अधिकार देना है।

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सूचना का अधिकार
Posted on 29 Oct, 2010 09:52 AM सूचना के अधिकार पर केंद्रित योजना आयोग को विजन फाऊंडेशन द्वारा सौंपे गए दस्तावेज(२००५) के अनुसार- • संविधान के अनुच्छेद १९ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा में कहा गया है-भारत के सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति और अभिभाषण की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है।
सोशल ऑडिट
Posted on 29 Oct, 2010 09:42 AM

खास बात

• साल १९९३ के ७३ वें संविधान संशोधन के अनुसार सोशल ऑडिट करना अनिवार्य है। इसके माध्यम से ग्रामीण समुदाय को अधिकार दिया गया है कि वे अपने इलाके में सभी विकास कार्यों का सोशल ऑडिट करें। इस काम में अधिकारियों को ग्राम-समुदाय का सहयोग करना अनिवार्य माना गया है।*
नरेगा
Posted on 29 Oct, 2010 09:13 AM

खास बात



• अर्जी देने के १५ दिनों के अंदर न्यूनतम निर्धारित मजदूरी की दर पर प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी ग्रामीण परिवार के एक व्यस्क सदस्य को(बशर्ते वह हाथ के काम करने को तैयार हो) १०० दिनों तक रोजगार मुहैया कराने के लिए राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम को भारत की संसद ने साल २००५ में लागू किया किया।*
वीडियो वालंटियर्स को सिटीजन जर्नलिज्म फैलोशिप
Posted on 29 Oct, 2010 09:04 AM

अंतर्राष्ट्रीय कम्युनिटी मीडिया पोर्टल की गोवा केंद्रित एक शाखा वीडियो वॉलंटियर्स ने अपने इंडिया अन्हर्ड नाम के कार्यक्रम के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। कार्यक्रम का यह दूसरा दौर है। इस दौर में चयनित उम्मीदवारों को विभिन्न समुदायों के सरोकार, मुद्दे, आविष्कारी काम, परंपरा आदि से संबंधित वीडियो रिपोर्ट बनाने के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा।सिटीजन जर्नलिज्म के तहत फैलोशिप देने का की यह परियोजना

Video Volunteers
इको फ्रैंडली तरीके से मनाएं त्योहार
Posted on 28 Oct, 2010 11:23 AM

हमारा देश अपनी सनातन सभ्यता व संस्कृति के लिए पहचाना जाता है।


वेदों, उपनिषदों व महाकाव्य और तमाम ग्रंथों से हमें पर्यावरण सुरक्षा व पर्यावरण के प्रति प्रेम की सीख मिलता है। नीम, पीपल, तुलसी आदि कई वृक्ष व पौधे हैं जिन्हें हिन्दू मान्यता में पूजा जाता है। प्राचीन राजव्यवस्था में तो प्रकृति व पर्यावरण को क्षति पहुंचाने को अपराध माने जाने का प्रमाण भी मिलता है। स्वयं कौटिल्य ने इसके लिए कठोर दंड व्यवस्था संबंधी विस्तृत विवरण दिया है।

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