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अपशिष्ट जल को निकालने की विधियां
Posted on 23 Sep, 2008 11:19 AM

भूमि की सतह अथवा भूमि के नीचे से अतिरिक्त जल (स्वत्रंत पानी या गुरूत्वाकर्षण जल) को निकालकर पौधो को बढ़ने के लिये अच्छी परिस्थितियो को देना ही जल निकास कहलाता है। भूमि से पौधों की वृद्वि को उचित वातावरण देने के लिये आवश्यकता से अधिक जल को उचित ढंग से निकालने की प्रक्रिया को जल निकास कहते है। भूमि सतह से अतिरिक्त जल को निकालने की क्रिया को सतही या पृष्ठीय जल निकास कहते है।

irrigation
अपकेन्द्रीय पम्पों का प्रचालन सिद्धान्त
Posted on 23 Sep, 2008 10:56 AM अगर एक बाल्टी को एक हाथ की लम्बाई पर घुमाये तो यह क्रिया उसमें भरे जल पर इतना दाब उत्पन्न कर देगी कि उसके तल में लगी टोंटी से पानी की एक धार निकलने लगेगी। एक अपकेन्द्रीय पम्प में आंतरनोदकों पर लगे वेन (vane) हाथ और रस्सी के समान ही कार्य करते हैं। पम्प का बाल्यूट बाल्टी की तरह पानी रखता है। दोनों मामलों के सिद्धान्त एक समान हैं। जैसे आतरनोदक घूमता है यह पानी को बाहरी किनारों की ओर फेंकता है। वाल्य
यॉंत्रिक शक्ति चालित उपकरण
Posted on 23 Sep, 2008 10:50 AM

यॉंत्रिक शक्ति चालित उपकरणों में विभिन्न प्रकार के पम्प आते हैं। पम्पों के प्रचालन में लगने वाले यांत्रिक सिद्धान्तों के आधार पर उनको निम्नलिखित वर्गो में बाटा जाता हैः

1- घूणी पम्प (Rotary pump)

2- ऊर्ध्वाधर टरबाइन पम्प (Vertical turbine pump)
3- निमज्जक पम्प (Submersible pump)
4- नोदक पम्प (Propeller pump)

Tube well
छत पर वर्षा जल को संचयन करने से क्या अभिप्राय है?
Posted on 23 Sep, 2008 08:52 AM छत पर वर्षा जल को संचयन करने से क्या अभिप्राय है।

• शहरी क्षेत्र में दत पर प्राप्त वर्षा जल का संचयन व कृत्रिम पुनर्भरण द्वारा भूमि जल भण्डारण में वृद्धि क़रने के लिए इसका उपयोग।

• छत के निकासी पाइप को जोड़कर एकत्रित जल को मौजुदा कुंए / टयूबवैल / बोरवैल में अथवा विशेष तौर पर बनाए गये कुएं में डालना।
क्लिनिक, जो सुधारेगा धरती की सेहत
Posted on 22 Sep, 2008 11:09 AM एनबीटीः ऐसे दौर में जबकि प्रदूषण, ग्लोबल वॉर्मिन्ग और दूसरी समस्याएं हमारे लिए परेशानी का सबब बनती जा रही हैं, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में एक इन्वाइरन्मंट हेल्थ क्लिनिक खोला गया है। इस क्लिनिक में आप अपने आसपास और पर्यावरण से जुड़ी किसी भी समस्या पर बात कर सकते हैं और उसके लिए समाधान भी मांग सकते हैं। और तो और आपको मिलने वाले सुझाव भी उसी तर्ज और उतने ही अहम होंगे, जितने कि डॉक्टर से मिली दवा।
नदी मुख अथवा लघु खाड़ियों की खोज
Posted on 21 Sep, 2008 08:06 PM

नदीमुख वे स्‍थान होते हैं जहां ताजे पानी की नदियां और धाराएं समुद्र के पानी से मिलती हुई महासागरों में गिरती हैं। विभिन्‍न प्रकार के पक्षी, मछली तथा अन्‍य वन्‍य जातियां इन नदी मुखों को अपना आवास बनाती हैं। इन नदी मुखों तथा इसके आसपास की भूमि पर जनता निवास करती है, मछलियां पकड़ती हैं, तैरती है और प्रकृति का आनंद उठाती है।

exploring extuaries
भारत-बंग्लादेश समस्या जैसी जल समस्या
Posted on 21 Sep, 2008 05:44 PM

खीरी संसदीय क्षेत्र के प्रतिनिधि, समाजवादी पार्टी के सांसद रविप्रकाश वर्मा देश के सुलझे हुये विचारवान सांसदों में से हैं। वे नेपाल की नदियों से होने वाले संभावित खतरे के प्रति न सिर्फ सतर्क हैं बल्कि संसद को भी आगाह करते रहे हैं। उनके नजरिये से भारत के पाकिस्तान समस्या मूलत: जल समस्या है।

संरक्षित ग्रामीण जल प्रबंधन
Posted on 20 Sep, 2008 01:06 PM

प्रतिदर्श अध्‍ययन/ ललित शर्मा , जय सहगल, एलोरा मुबाशिर/ सहगल फाउन्डेशन, गुड़गांव/ - यह दस्‍तावेज ग्रामीण जल प्रबंधन से संबंधित ग्राहयता के तत्‍वों पर प्रकाश डालता है, किंतु इसमें शोध के माध्‍यम से मशीनरी की तकनीकी ग्राहयता को सुधारने पर ध्‍यान केंद्रित किया गया है। जल प्रबंधन संरचना की असफलता अक्‍सर तलछट प्रबंधन की डिजाईन की कमी के कारण होती है। एक आदर्श

Sehgal foundation
त्वरित जल परीक्षण किट
Posted on 20 Sep, 2008 10:53 AM

रक्षा अनुसंधान प्रयोगशाला-रअप्र ने त्वरित जल प्ररीक्षण इकाई 'गुंज' का निर्माण किया है। गुंज दुर्गम क्षेत्रों मे निवास कर रहे लोगों के लिए विशेष महत्वपूर्ण है क्योंकि इन क्षेत्रों मे स्वच्छ पेय जल की अनुपलब्धता रहती है। ऐसे क्षेत्रों में जल-जनित रोगों से छुटकारा पाने के लिये पेयजल की गुणवत्ता की जाँच आवश्यक है। जल-जनित रोग जन-स्वास्थ्य के लिये बहुत ही घातक हैं। कोई भी अल्प शिक्षित व्यक्ति अपने स

जल जनित रोग और सावधानियाँ
Posted on 20 Sep, 2008 08:38 AM

जल या पानी अनेक अर्थों में जीवनदाता है। इसीलिए कहा भी गया है। जल ही जीवन है। मनुष्य ही नहीं जल का उपयोग सभी सजीव प्राणियों के लिए अनिवार्य होता है। पेड़ पौधों एवं वनस्पति जगत के साथ कृषि फसलों की सिंचाई के लिए भी यह आवश्यक होता है। यह उन पांच तत्वों में से एक है जिससे हमारे शरीर की रचना हुई है और हमारे मन, वाणी, चक्षु, श्रोत तथा आत्मा को तृप्त करती है। इसके बिना हम जीवित नहीं रह सकते। शरीर में

मानव शरीर में उपस्थित जल
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