विज्ञान प्रसार

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सहजन के बीजों का जल परिशोधन हेतु उपयोग
Posted on 16 Sep, 2010 04:23 PM

मोरिंगा ओलीफ़ेरा जिसे सामान्य भाषा में सहजन कहा जाता है, एक वृक्ष है जो अफ्रीका, केंद्रीय तथा दक्षिणी अमेरिका, भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया में उगाया जाता है। सहजन के बीजों में 30 से 50 प्रतिशत तक तेल पाया जाता है जो बढ़िया खाद्य तेल भी है और उसका उपयोग बायोडीज़ल बनाने के लिए भी किया जाता है जिसमें NOX उत्सर्जन कम होते हैं और ईंधन में भी स्थायित्व होता है।
सहजन के बीजों का जल परिशोधन हेतु उपयोग
Posted on 19 Jul, 2011 11:42 AM
मोरिंगा ओलीफ़ेरा जिसे सामान्य भाषा में सहजन कहा जाता है, एक वृक्ष है जो अफ्रीका, केंद्रीय तथा दक्षिणी अमेरिका, भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया में उगाया जाता है। सहजन के बीजों में 30 से 50 प्रतिशत तक तेल पाया जाता है जो बढ़िया खाद्य तेल भी है और उसका उपयोग बायोडीज़ल बनाने के लिए भी किया जाता है जिसमें NOX उत्सर्जन कम होते हैं और ईंधन में भी स्थायित्व होता है।

सहजन सूखे का सामना करने में सक्षम होने के साथ ही खाने तथा प्रकाश हेतु तेल और जमीन के लिए उर्वरक प्रदान करता है। इसकी फलियों, पत्तियां, फूल और बीज पौष्टिक भोजन प्रदान करते हैं। सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि पेयजल के परिशोधन हेतु इसके बीजों का निःशुल्क उपयोग किया जा सकता है।
ग्रेफीन जल से आर्सेनिक हटाता है
Posted on 16 Sep, 2010 01:03 PM
ग्रेफीन कार्बन का एक द्वि-आयामी अपरूप है जिसकी खोज सन् 2004 में हुई थी। ग्रेफीन एक-परमाणु मोटाई की, द्वि-आयामी, विस्तृत, कार्बन परमाणुओं की समतल शीट होती है। ग्रेफीन कार्बन परमाणुओं की समतल, षट्भुजाकार संरचनाएं होती हैं जिनको ऐसा माना जा सकता है कि जैसे त्रि-आयामी ग्रेफाइट क्रिस्टल की एकल परत को उतार लिया गया हो। ग्रेफीन की यह एकल परत संरचना, जो मधुमक्खी के छत्ते जैसी दिखाई पड़ती है, सभी कार
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