उमाशंकर मिश्र

उमाशंकर मिश्र
खेतों में उगाया पैसा
Posted on 15 Aug, 2011 09:24 AM

मात्र आठवीं कक्षा तक पढ़े महावीर को यह पता नहीं था कि एक बीघा खेत से 60-70 हजार रुपया कमाया जा सकता है। वह तो अब तक यही देखता आया था कि सरसों हो या गेहूं, एक बीघा खेत से साल भर में 8-10 हजार रुपये की आमदनी ही हो सकती है। महावीर रात-दिन खेत में जी तोड़ मेहनत करता। सर्दी, गर्मी और बरसात से भी हार नहीं मानता किन्तु उसके पास मौजूद पांच बीघा जमीन से उसके परिवार का गुजारा नहीं हो पा रहा था। खेती-बाड़

पपीता की खेती
खाद्यान्न सुरक्षा और बदलता पर्यावरण
जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। लेकिन, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी के एक शोध के नतीजों ने इस चिंता को और बढ़ा दिया है। इस शोध के मुताबिक देश के दो तिहाई हिस्से में जलवायु परिवर्तन से पैदा होने वाली समस्याओं का सामना करने की क्षमता नहीं है।
Posted on 06 Jul, 2023 12:11 PM

धरती की आबोहवा बदल रही है और भविष्य की खाद्यान्न सुरक्षा खतरे में है। 132 करोड़ की जनसंख्या वाले देश के नीति-निर्माता और वैज्ञानिक परेशान हैं कि बढ़ती आबादी, शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के गिरते स्तर के कारण फसलोत्पादन में होने वाली गिरावट को कैसे रोका जाए। 

खाद्यान्न सुरक्षा औ बदलता पर्यावरण:-फोटो क्रेडिट:-IWP Flicker 
प्यास बुझाने के लिये कोहरे का सहारा
Posted on 11 Oct, 2018 05:42 PM


नई दिल्ली: कोहरे को सिर्फ धुन्ध का गुबार समझना गलत है क्योंकि इस धुन्ध में पानी का विपुल भंडार होता है, जिसे एकत्रित करके पेयजल के रूप में उपयोग कर सकते हैं। दुनियाभर में वैज्ञानिक कोहरे या ओस जैसे अप्रत्याशित स्रोतों से पीने का पानी प्राप्त करने की तकनीक विकसित करने में जुटे हुए हैं, ताकि पानी की किल्लत वाले इलाकों में लोगों को पेयजल उपलब्ध कराया जा सके।

डॉ. वेंकट कृष्णन, आईआईटी, मंडी
गेहूँ में जिंक घनत्व निर्धारित करने वाले जीनोमिक क्षेत्रों का पता चला
Posted on 04 Oct, 2018 04:37 PM

नई दिल्ली।पोषण सुरक्षा में सुधार और खाद्यान्नों में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाने के लिये फसलों का जीनोमिक अध्ययन करने में वैज्ञानिक लगातार जुटे हुए हैं। वैज्ञानिकों की एक अन्तरराष्ट्रीय टीम ने अब गेहूँ में जिंक की सघन मात्रा के लिये जिम्मेदार महत्त्वपूर्ण जीनोमिक क्षेत्रों का पता लगाया है जो अधिक जिंक युक्त गेहूँ की पोषक किस्में विकसित करने में मददगार हो सकते हैं।
रिसर्च टीम
सिक्किम को मिला पहला भूस्खलन निगरानी तंत्र
Posted on 24 Sep, 2018 06:04 PM


गंगटोक। सिक्किम में भूस्खलन की रियल टाइम निगरानी के लिये पहली बार चेतावनी तंत्र स्थापित किया गया है। भूस्खलन के लिये संवेदनशील माने जाने वाले उत्तर-पूर्वी हिमालय क्षेत्र में स्थापित यह प्रणाली समय रहते भूस्खलन के खतरे की जानकारी दे सकती है, जिससे जान-माल के नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

चांदमरी गांव में स्थापित भूस्खलन चेतावनी प्रणाली
पराली के प्रदूषण से प्रभावित हो रही है ग्रामीण बच्चों की सेहत
Posted on 14 Aug, 2018 05:29 PM

पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण का असर बच्चों की सेहत पर पड़ रहा है। पंजाब के मालवा क्षेत्र में स्थित पटियाला, संगरूर और फतेहगढ़ साहिब जिलों के ग्रामीण इलाकों में किए गए भारतीय वैज्ञानिकों के ताजा अध्ययन में यह बात उभरकर आयी है।
वायु प्रदूषण
युवा वैज्ञानिकों के लिये विज्ञान संचार से जुड़ने का अवसर
Posted on 13 Aug, 2018 05:18 PM
विज्ञान संचारक (फोटो साभार - अवसर) नई दिल्ली। विज्ञान को सरल भाषा में लोगों तक पहुँचाने के लिये अब युवा वैज्ञानिकों का सहारा लिया जाएगा। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने इस सम्बन्ध में एक राष्ट्रीय प्रतियोगिता की घोषणा की है।
विज्ञान संचारक
पुरी में मिले लुप्त हो चुकी नदी के निशान
Posted on 09 Aug, 2018 04:10 PM

नदी मानचित्र पुरी (फोटो साभार : इंडिया साइंस वायर) नई दिल्ली: भारतीय वैज्ञानिकों के ताजा अध्ययन में ओडिशा के पुरी शहर में पानी के एक पुराने प्रवाह मार्ग के निशान मिले हैं, जिसके बारे में शोधकर्ताओं का मानना है कि ये निशान लुप्त हो चुकी सारदा नदी के हो सकते हैं, जिसका उल्लेख ऐतिहासिक ग्रन्थ
नदी मानचित्र पुरी (फोटो साभार : इंडिया साइंस वायर)
कल आकाश में होंगी दो दुर्लभ खगोलीय घटनाएँ
Posted on 26 Jul, 2018 05:46 PM
नई दिल्ली। रात में आकाश को निहारने में रुचि रखने वालों को कल दो दुर्लभ खगोलीय घटनाएँ देखने को मिल सकती हैं। एक तरफ दुनिया भर में लोग सदी के सबसे लम्बी अवधि के पूर्ण चंद्रग्रहण का इन्तजार कर रहे हैं तो दूसरी ओर उन्हें इसी तरह की एक अन्य दुर्लभ खगोलीय घटना भी देखने को मिल सकती है।
mars planet
बिहार में चिन्ताजनक है भूजल स्तर की स्थिति
Posted on 10 Jul, 2018 05:54 PM


नई दिल्ली। बिहार के कई जिलों में भूजल स्तर की स्थिति पिछले 30 सालों में चिन्ताजनक हो गई है। कुछ जिलों में भूजल स्तर दो से तीन मीटर तक गिर गया है।

एक ताजा अध्ययन के अनुसार, भूजल में इस गिरावट का मुख्य कारण झाड़ीदार वनस्पति क्षेत्रों एवं जल निकाय क्षेत्रों का तेजी से सिमटना है। आबादी में बढ़ोत्तरी और कृषि क्षेत्र में विस्तार के कारण भी भूजल की माँग बढ़ी है।

वर्ष 1984 से 2013 के दौरान मानसून से पहले और बाद में भूजल स्तर की स्थिति
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