सुभद्राकुमारी चौहान

सुभद्राकुमारी चौहान
जल समाधि
Posted on 18 Aug, 2013 03:58 PM
अति कृतज्ञ हूंगी मैं तेरी
ऐसा चित्र बना देना।
दुखित हृदय के भाव हमारे।
उस पर सब दिखला देना।

प्रभु की निर्दयता, जीवों की
कातरता दरसा देना।
मृत्यु समय के गौरव को भी
भली-भांति झलका देना।।

भाव न बतलाए जाते हैं।
शब्द न ऐसे पाती हूं।
इसीलिए हे चतुर चितेरे!
तुझको विनय सुनाती हूं।।

देख सम्हलकर, खूब सम्हलकर
×