पुष्पम ए कुमार

पुष्पम ए कुमार
पर्यावरण की संस्कृति
Posted on 14 Nov, 2014 01:25 PM
प्रकृति के गर्भ से उत्पन्न मानव उसकी सर्वोत्कृष्ट कृति है। किंतु प्रकृति का यह विशिष्ट जीव आज एक विचित्र-सी स्थिति में खड़ा है। विकास की सीमाओं को लांघता हुआ वह कहां से कहां पहुंच गया। विकास की यह गति प्रारंभिक काल में धीमी थी, किंतु आज़ आश्चर्यचकित कर देने वाली इसकी गति अब बेकाबू जा रही है। किसी भी देश या समाज की सभ्यता-संस्कृति उसकी प्रतिष्ठा का प्रतीक है। इसी सभ्यता-संस्कृति का एक आवश्यक अंग होता है पर्यावरण। पर्यावरण का कुछ अंश हमें प्रकृति से हस्तगत होता है और कुछ हम स्वयं निर्माण करते हैं।

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