पुष्पा खरे

पुष्पा खरे
वर्षा: बुन्देली लोकगीत
Posted on 13 Mar, 2014 10:44 PM
कन्हैया तोरी चितवन लागे प्यारी।

सावन गरजे भादों बरसे

बिजुरी चमके न्यारी (कन्हैया)

मोर जो नाचे पपीहा बोले

कोयल कूके प्यारी (प्यारी)

नन्हीं-नन्हीं बुंदिया मेहा बरसे

छाई घटा अंधियारी (कन्हैया)

सब सखियां मिल गाना गाए

नाचे दे दे तारी (कन्हैया)

2 राते बरस गओ पानी
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