पंकज शुक्ला

पंकज शुक्ला
32 हजार स्कूलों में पानी अनुपस्थित
Posted on 23 Mar, 2011 04:45 PM

8 हजार स्कूलों में विद्यार्थी प्यासे

आपका पानी कौन सा?
Posted on 23 Mar, 2011 04:35 PM
आदमी बुलबुला है पानी का और पानी की बहती सतह पर टूटता भी है, डूबता भी है, फिर उभरता है, फिर से बहता है, न समंदर निगल सका इसको, न तवारीख तोड़ पाई है, वक्त की मौज पर सदा बहता आदमी बुलबुला है पानी का।
पानीदार लोग
Posted on 23 Mar, 2011 04:29 PM
पानी बचाने का संकल्प भी कैसा है। जैसे खराब परीक्षा परिणाम के बाद अगले सत्र के पहले दिन से हाड़तोड़ पढ़ाई का संकल्प..जैसे बीमारी के बाद संयमित जीवन का संकल्प..दफ्तर में समय पर आने का संकल्प..नशे की लत को छोड़ देने का संकल्प..
..वो सुराही...वो यादें
Posted on 23 Mar, 2011 04:24 PM
एक शेर है..
उसने चुराया पानी
Posted on 23 Mar, 2011 04:03 PM

पानी के लिए विश्व युद्ध होगा, कुछ समय पहले तक इस भविष्यवाणी का मखौल उड़ाया जाता था। आज आस-पास

‘ब’ से बावड़ी
Posted on 21 Mar, 2011 04:53 PM
बीचों बीच में एक बिंदु/
जो जीवन का प्रतीक है/
मुख्य आयत के भीतर लहरें हैं/
बाहर हैं सीढ़ियाँ

चारों कोने पर फूल हैं/
जो जीवन को सुगंध से भर देते हैं। पानी पर आधारित/
एक पूरे जीवन दर्शन को/
इतने सरल सरस ढंग से/
आठ दस रेखाओं में/
उतार पाना कठिन काम है/
लेकिन हमारे समाज का बड़ा हिस्सा/
बहुत सहजता के साथ/
इस बावड़ी को/
गुदने की तरह/
अपने तन पर उकेरता है।
सीता बावड़ी
दो घूंट पानी
Posted on 19 Mar, 2011 10:15 AM
‘पानी पिलाया?’ दो शब्दों का यह छोटा सा सवाल अपने भीतर ग्रंथों के बराबर का जवाब समेटे हुए है। एक ‘हां’ सुनते ही प्यासे कंठ के तृप्त होने के बात चेहरे पर उभरे संतुष्टि के भाव याद हो आते हैं और जब इसका प्रयोग मुहावरे के रूप में हो तो जवाब सुन दूसरे पक्ष की हार सुकून देती है। पानी है ही ऐसी चीज निर्जीव में प्राणों का संचार कर देने वाला पानी असल आब है। आजकल तो नहीं दिखता लेकिन कुछ बरस पहले तक पानी पिला
तालाब का सूखना
Posted on 19 Mar, 2011 10:12 AM
तालाब या झील के मायने क्या हैं? मिट्टी की दीवारों के बीच सहेजा गया पानी कहीं प्राकृतिक संरचना तो कहीं इंसानी जुनून का परिणाम। यही तालाब, पोखर, झील आज सूख रहे हैं... देखभाल के अभाव में रीत रहे हैं और कहीं मैदान, कहीं कूड़ागाह के रूप में तब्दील हो रहे हैं। कितना दुखद पहलू है कि जिन झीलों में जहाज चला करते थे... जिनको नाप लेने के लिए भुजाएं आजमाईश किया करती थीं...जो प्यास बुझाते थे...
पानी को न जाना कुछ भी
Posted on 19 Mar, 2011 10:08 AM
मीरा बाई ने बरसों पहले एक भजन में कुछ सवाल पूछे थे। उनका पहला प्रश्न था- जल से पतला कौन है? सभी जानते हैं कि जल से पतला ज्ञान बताया गया था। बात इतनी सी है कि जल की इस तरलता को समझने में हमने बरसों लगा दिए, फिर भी अज्ञानी ही रहे।
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