पंकज सिंह

पंकज सिंह
बाढ़ में
Posted on 15 Oct, 2013 01:37 PM
बाढ़ में बहते जाते हैं पुरखों के संदूक सारा माल-मता
औजार
हमारे मामूली रोजगार के
कागज-पत्तर जिनमें थे
हारों के दुखों के हाल
जिन्हें कोई दर्ज नहीं करता
कला कर्म की भाषा के धंधे और इतिहास
जिनसे बेखबर रहते हैं
हर कहीं गाफिल एक से

पानी में दिखता है कभी तेज बहाव में
छटपटाता हुआ कोई
बेमानी मगर उसकी छटपटाहट बिलकुल निरुपाय
वन अधिकार लागू करने के लिए संघर्ष
Posted on 26 Sep, 2013 04:13 PM
सम्मेलन में पारित ‘महान घोषणापत्र’ में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया
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