पी.सी. बोध
पी.सी. बोध
हिमालय की पहाड़ियों में आटा चक्कियाँ
Posted on 14 May, 2015 04:29 PMजरा सोचिए हाथ से चलाई जाने वाली उन आटा चक्कियों को, जिनको देखते ही भारत के महान सन्त कबीर के आँखों में आँसू आ गए, क्योंकि उनके मन में इन्हें देखते ही भाव जागा। कुदरत के उस चक्की के दो पाटों का जिन्हें हम धरती व आकाश कहते हैं और जिनके बीच में मानव उसी तरह पिसता है जैसे चक्की के दो पाटों के बीच में अनाज के दाने पिसते हैं। कबीर ने जिस चक्की से कुदरत के इस महान चक्की की परिकल्पना की वह आज भी भारत के ग![](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/17012180814_9726bf0791_z_3.jpg?itok=WqyCSeie)