नमिता
नमिता
नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा में तब्दील होगा स्पर्श गंगा बोर्ड
Posted on 07 Sep, 2017 10:25 AMवैसे तो गंगा के सवाल पहले से ही गंगा के पानी के साथ तैरते रहे, परन्तु गंगा के सवाल वर्ष 1982 से इसलिये खड़े हैं कि गंगा संरक्षण और गंगा की अविरलता पर सरकारों ने अरबों रुपयों का वारा-न्यारा किया है। हालाँकि गंगा की धारा अपने प्राकृतिक स्वरूप से कुछेक जगहों को छोड़कर अविरल बहती रही है, मगर गंगा का पानी, बजट के आने से अत्यधिक प्रदूषित होता जा रहा है। गंगाज
एक जलस्रोत ऐसा भी, जो भूत के नाम से प्रचलित हैं
Posted on 29 Jun, 2017 01:01 PM
सीमान्त जनपद उत्तरकाशी में बहने वाली यमुना नदी में सैकड़ों छोटी-छोटी जल धाराएँ संगम बनाती है। इनमें से एक जलधारा यमुना नदी की दाईं ओर कुड़ गाँव से निकलती है। जहाँ से यह जलधारा निकलती है वहाँ इस जलधारे को ‘भूत राजा का पन्यारा’ कहते हैं।
जल संरक्षण के नाम का केदारकुण्ड
Posted on 09 May, 2017 01:37 PMसीमान्त जनपद उत्तरकाशी का ढ़काड़ा नाम का एक ऐसा गाँव जो हिमाचल और उत्तराखण्ड की सीमा पर स्थित है। इस गाँव से केदारनाथ की दूरी सैकड़ों किमी है। परन्तु गाँव में एक जलकुण्ड है, जिसे लोग केदारकुण्ड कहते हैं। जिस जमाने में इस कुण्ड की स्थापना हुई होगी उस जमाने में तो केदारनाथ की यात्रा पैदल ही नापनी पड़ती थी और महीनों लग जाते थे। ऐसा इस गाँव के लोग बताते हैं। फिर भी गाँव में केदारकुण्ड है। बरसात
पहाड़ की तरफ पसरने लगा पपीता
Posted on 15 Nov, 2018 01:22 PMऔषधीय गुणों से भरपूर, पपीता मैदानी इलाकों का सर्वश्रेष्ठ फल माना जाता है। पर मौजूदा समय में यह पहाड़ की तरफ भी दिखने लगा है। चम्पावत जिले के निचले क्षेत्रों में जहाँ तापमान 38 से 44 डिग्री सेल्सियस के मध्य रहता है पपीता के पेड़ उग आये हैं। जिले के चिल्थी क्षेत्र के निवासी मोहन बिष्ट के बगान में लगे पेड़ पपीता के फल से भर गए हैं।मिट नहीं रहे बाँधों के निर्माण से पैदा हुए जख्म
Posted on 15 Nov, 2018 11:58 AMवर्ष 2013 में हुई उत्तराखण्ड की त्रासदी और केरल की बाढ़ का एक प्रमुख कारण बड़े बाँधों के रख-रखाव में बरती जा रही लापरवाही को माना जा रहा है। एक बार फिर से देश भर में बाँधों को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। चर्चा का विषय है कि जब बड़े बाँधों के परिणाम इतने घातक हैं तो सरकार क्यएक संगीतमय आवाज पर खतरा
Posted on 10 Nov, 2018 04:59 PMउत्तराखण्ड के हिमालयी क्षेत्रों में गूँजने वाले पक्षियों की चहचहाहट से कौन वाकिफ नहीं!जल के आगमन से खुले आजीविका के द्वार
Posted on 04 Nov, 2018 12:00 PMराज्य बनने के कुछ समय बाद विश्व बैंक के सहयोग से उत्तराखण्ड के आठ जिलों में ‘जलागम परियोजना’ की शुरुआत की गई थी। वर्तमान में इस योजना का दूसरा चरण आरम्भ हो चुका है। अक्टूबर माह के आरम्भ में विश्व बैंक की एक टीम देहरादून जिले के जनजातीय क्षेत्र जौनसार में इस योजना की समीक्षा के लिये आई थी। वहाँ के बाशिन्दों ने टीम के लोगों का जोरदार स्वागत किया।