मनीष वैद्य

मनीष वैद्य
कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा : भरी बारिश में जल संकट
Posted on 17 Aug, 2017 04:22 PM

तेजी से बिगड़ते पर्यावरण के नुकसान अब हमें साफ़–साफ़ दिखने लगे हैं। इस मानसून में देश के अलग–अलग हिस्सों में कहीं भयावह बाढ़ के हालातों का सामना करना पड़ रहा है तो कहीं लोग पीने के पानी तक को मोहताज हुए जा रहे हैं। मानसून का आधे से ज़्यादा मौसम बीत गया है लेकिन इतनी भी बारिश नहीं हुई है कि नदी–नाले, कुएँ–बावड़ी और तालाब भर सकें। अकेले मध्यप्रदेश के आधे से ज़्यादा जिलों में पर्याप्त बारिश नहीं हो सकी
water crisis
जल, जंगल जमीन के कामों को समर्पित व्यक्तित्व : महेश शर्मा
Posted on 20 May, 2017 03:33 PM


मध्यप्रदेश के झाबुआ में आदिवासी परंपरा हलमा को पुनर्जीवित कर हजारों जल संरचनाएं बनाने की कोशिश में जुटे महेश शर्मा से विशेष मुलाकात के बाद तैयार प्रोफाइल

 

 

तेरह सौ गाँवों को पानीदार बनाने की कोशिश


.45-48 डिग्री तापमान में उस उजाड़ इलाके में लू के सनसनाते थपेड़ों और तेज धूप में पखेरू भी पेड़ों की छाँह में सुस्ताने लगते हैं, ऐसे में एक आदमी अपने जुनून की जिद में गाँव–गाँव सूखे तालाबों को गहरा करवाने, नए तालाब बनाने और जंगलों को सुरक्षित करने की फ़िक्र में घूम रहा हो तो इस जज्बे को सलाम करने की इच्छा होना स्वाभाविक ही है।

बात मध्य प्रदेश के झाबुआ आदिवासी इलाके में करीब तेरह सौ गाँवों को पानी और पर्यावरण संपन्न बनाने में जुटे सामाजिक कार्यकर्ता महेश शर्मा की है। वे यूँ तो बीते चालीस सालों से समाज को समृद्ध बनाने के लिये स्वस्थ पर्यावरण की पैरवी करते हुए काम करते रहे हैं लेकिन बीते दस सालों से उन्होंने अपना पूरा फोकस आदिवासी गाँवों पर ही कर दिया है। इस बीच उन्होंने आदिवासियों की अल्पज्ञात परम्परा हलमा को पुनर्जीवित किया तथा पंद्रह हजार से ज़्यादा आदिवासियों के साथ मिलकर खुद श्रमदान करते हुए झाबुआ शहर के पास वीरान हो चुकी हाथीपावा पहाड़ी पर पचास हजार से ज़्यादा कंटूर ट्रेंच (खंतियाँ) खोद कर साल दर साल इसे बढ़ाते हुए पहाड़ी को अब हरियाली का बाना ओढ़ा दिया है।

Mahesh Sharma
नदी का घर छोड़ गया उसका प्रहरी
Posted on 19 May, 2017 01:52 PM


पर्यावरण मंत्री तथा नर्मदा को अगाध प्रेम करने वाले अनिल माधव दवे के निधन पर श्रद्धांजलि

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