मीनाक्षी अरोड़ा
मीनाक्षी अरोड़ा
प्यासी होती सभ्यता
Posted on 07 Jul, 2010 02:13 PMहमारे आस-पास के जीव-जन्तु और पौधे खत्म होते जा रहे हैं। हम केवल चिंता और चिंतन का नाटक कर रहे हैं। दूसरों के जीवन को समाप्त करके आदमी अपने जीवन चक्र को कब तक सुरक्षित रख पाएगा? ईश्वर के बनाए हर जीव का मनुष्य के जीवन चक्र में महत्व है। मनुष्य दूसरे जीव के जीवन में जहर घोल कर अपने जीवन में अमृत कैसे पाएगा?'अगले सौ वर्षों में धरती से मनुष्यों का सफाया हो जाएगा।' ये शब्द आस्ट्रेलियन नेशनल युनिवर्सिटी के प्रोफेसर फ्रैंक फैनर के हैं। उनका कहना है कि ‘जनसंख्या विस्फोट और प्राकृतिक संसाधनों के बेतहाशा इस्तेमाल की वजह से इन्सानी नस्ल खत्म हो जाएगी। साथ ही कई और प्रजातियाँ भी नहीं रहेंगी। यह स्थिति आइस-एज या किसी भयानक उल्का पिंड के धरती से टकराने के बाद की स्थिति जैसी होगी।’ फ्रैंक कहते हैं कि विनाश की ओर बढ़ती धरती की परिस्थितियों को पलटा नहीं जा सकता। पर मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता क्योंकि कई लोग हालात में सुधार की कोशिश कर रहे हैं। पर मुझे लगता है कि अब काफी देर हो चुकी है।
धीरे-धीरे धरती से बहुत सारे जीव-जन्तु विदा हो गए। दुनिया से विलुप्त प्राणियों की ‘रेड लिस्ट’ लगातार लम्बी होती जा रही है। इन्सानी फितरत और प्राकृतिक संसाधनों
जल चक्र (Water Cycle)
Posted on 02 Feb, 2010 12:36 PM
Water Cycle
जल चक्र
मूल फाइल आप अटैचमेंट से डाउनलोड कर सकते हैं
कोप से होप के बजाए निकल रहे हैं गुप्त मसौदे
Posted on 18 Dec, 2009 04:30 PMकोप15 में फूटा विकासशील देशों का कोप
कोप 15: कोपेनहेगन, होपेनहेगन नहीं कोकेनहेगन
Posted on 16 Dec, 2009 11:53 AMकोपेनहेगन जलवायु शिखर वार्ता के लिए आने वाले हर प्रतिनिधि का स्वागत शहर के मध्य में स्थित एक विशाल नकली हरी रंगीन धरती का हमशक्ल गुब्बारा दिखाकर किया जा रहा है। इस घूमते ग्लोब पर दुनिया भर के कॉर्पोरेटियों के लोगो बने हुए हैं - कोक ब्रांड की अफ्रीका पर मुहर लगी है, जबकि कार्ल्सबर्ग एशिया पर राज करता प्रतीत होता है। प्लास्टिक का यह धरती का हमशक्ल गुब्बारा इस शिखर वार्ता के लिए आदर्श और उपयुक्त प