कुमार ​कृष्णन

कुमार ​कृष्णन
भूजल के दोहन से अमृत बना जहर
Posted on 24 Jul, 2015 04:46 PM
आज देश में जल गुणवत्ता के सवाल से ज्यादा महत्त्वपूर्ण गुणवत्ता का सवाल है। जगह—जगह आरओ या फिल्टर लग चुके हैं। इंडियन काउंसिल आॅफ रिसर्च का आकलन है कि आने वाले दिनों में पानी पीने योग्य नहीं रह जाएगा। ग्रेटर नोएडा के आसपास के 60 से ज्यादा गाँवों में लोग कैंसर के शिकार हैं। दरअसल अन्धाधुन्ध औद्योगीकरण के कारण सुरक्षित भूजल पूरी तरह से दूषित हो गया है। आर्सेनिक, फ्लोराइड, नाइट्रेट जैसे जहरीले तत्व पाए गए हैं। विकास संवाद की ओर से मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में 'मीडिया और स्वास्थ्य' के तीन दिवसीय राष्ट्रीय पत्रकार समागम का दूसरा दिन कई मायने में महत्त्वपूर्ण रहा। इसके दूसरे सत्र में जहाँ फ्लोराइड नॉलेज एंड एक्शन नेटवर्क और हिन्दी इण्डिया वाटर पोर्टल की ओर से प्रकाशित पुस्तक 'अमृत बनता जहर' का लोकार्पण किया गया, वहीं दूसरी पुस्तक 'कुपोषण और हम' का लोकार्पण हुआ। दोनों पुस्तकें स्वास्थ्य के मौलिक जानकारी के लिये समसामयिक हैं।

'अमृत बनता जहर' में हिन्दी इण्डिया वाटर पोर्टल से मीनाक्षी अरोड़ा और केसर ने प्रस्तावना में ही स्पष्ट कर दिया कि भूजल के अत्यधिक दोहन का नतीजा ही 'अमृत बनता जहर' है। फ्लोराइड का ख़ामियाज़ा देश के 19 राज्यों के 243 जिलों में लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
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