कृष्ण गोपाल 'व्यास’
जल विज्ञान का मुगल कालीन साक्ष्य
Posted on 11 Apr, 2016 04:15 PMमूल भंडारे और चिन्ताहरण भंडारे का पानी, आपस में मिलने के बाद,
मध्य प्रदेश में जलवायु परिवर्तन के संकेत
Posted on 06 Mar, 2016 09:55 AM
कुछ समय पहले, मध्य प्रदेश सरकार के हाउसिंग एंड एनवायरनमेंट विभाग के अन्तर्गत कार्यरत इप्को (एनवारनमेंटल प्लानिंग एंड कोआर्डिनेशन सेल) संगठन ने यूएनडीपी के सहयोग से मध्य प्रदेश में सम्भावित जलवायु परिवर्तन पर कार्य योजना तैयार कराई थी। यह कार्य योजना अप्रैल 2012 में प्रकाशित हुई थी।
संरक्षण और बहाली की बाट जोहते वेटलैंड
Posted on 30 Jan, 2016 10:47 AMविश्व आर्द्रभूमि दिवस, 2 फरवरी 2016 पर विशेष
समाज, दीपावली और पर्यावरण
Posted on 08 Nov, 2015 03:47 PMदीपावली विशेष
भारतीय जन मानस की स्मृतियों में रचा-बसा है कि दीपावली के ही दिन भगवान राम लंका विजय कर अयोध्या लौटे थे। उनकी अयोध्या वापसी पर नगरवासियों ने ख़ुशियाँ मनाई थीं और रात्रि में पूरे नगर को दीपों से सजाया था। अयोध्या वापसी को चिरस्थायी बनाने के लिये हर साल दीवाली मनाई जाती है। रामायण काल से यह प्रथा चली आ रही है।
इसके अलावा, लगभग पूरे देश में रामलीला का आयोजन होता है। लोग उसके रंग में रंग जाते हैं। दशहरे के दिन रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण का वध आयोजन होता है। लोग बड़ी मात्रा में इस उत्सव में हिस्सेदारी करते हैं। लोगों को बधाई देते हैं और असत्य पर सत्य की जीत का उत्सव मनाते हैं।
ग़ौरतलब है कि भारत में भरपूर बरसात के सूचक उत्तरा नक्षत्र (12 सितम्बर से 22 सितम्बर) की विदाई के साथ त्योहारों यथा हरितालिका, ऋषि पंचमी, राधाष्टमी, डोल ग्यारस, अनन्त चतुर्दशी, नवरात्रि उत्सव, विजयादशमी, शरदपूर्णिमा और फिर दीपावली का सिलसिला प्रारम्भ होता है।
पड़ोसी, साझा नदियाँ और भारत
Posted on 17 Oct, 2015 09:23 AMकन्फ्लिक्ट रिजोल्यूशन दिवस, 15 अक्टूबर 2015 पर विशेष
हर खेत के लिये पानी : नई उम्मीदों की पहल
Posted on 24 Jul, 2015 01:57 PMपुराने जल संचय मॉडलों की मदद से किसी भी गाँव में माँग के अनु
नदी पुराण
Posted on 14 Jun, 2015 03:53 PM
आमतौर पर नदी वैज्ञानिक ही नदियों के जन्म या प्राकृतिक जिम्मेदारियों की हकीक़त को जानने का प्रयास करते हैं। आम नागरिक के लिये यह विषय बहुत आकर्षक नहीं है इसलिये वे उसे, सामान्यतः जानने का प्रयास नहीं करते। वास्तव में नदी की कहानी बेहद सरल और सहज है।
वैज्ञानिक बताते हैं कि प्रत्येक नदी प्राकृतिक जलचक्र का अभिन्न अंग है। उसके जन्म के लिये बरसात या बर्फ के पिघलने से मिला पानी जिम्मेदार होता है। उसका मार्ग ढ़ालू जमीन पर बहता पानी, भूमि कटाव की मदद से तय करता है। ग्लेशियरों से निकली नदियों को छोड़कर बाकी नदियों में बरसात बाद बहने वाला पानी ज़मीन के नीचे से मिलता है।