कृष्ण गोपाल 'व्यास’
बरसाती पानी में छुपा है बीहड़ों का इलाज
Posted on 23 Aug, 2018 03:26 PMमिट्टी के कटाव का सबसे बदनुमा चेहरा यदि कहीं दिखता है तो वह बीहड़ में दिखाई देता है। बरसाती पानी से कटी-पिटी धरती ऊबड़-खाबड़ तथा पूरी तरह उद्योग, बसाहट या खेती के लिये अनुपयुक्त होती है। दूर से ही पहचान में आ जाती है। भारत में उन्हें उत्तर प
समझें नदियों की भाषा
Posted on 04 May, 2018 06:24 PMजंगल ही वास्तव में नदियों को बचाने के यंत्र हैं। वृक्षारोपण करते समय बहुत सावधानी से प्रजातियों का चयन किया जाना
नर्मदा कछार के बाँध - बढ़ता जल संकट
Posted on 13 Apr, 2018 03:44 PM
नर्मदा के जल के अतिदोहन और उसके कछार प्रदेश में अबाध रूप से जारी रेत के खनन ने पूरे इलाके के बाँधों में जल भण्डारण व जलचक्र पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। इसकी झलक आपको मध्य प्रदेश के जल संसाधन विभाग की बेवसाइट पर उपलब्ध जानकारी से मिल जाएगी।
जल चौपालों के संकेत
Posted on 04 Feb, 2018 01:39 PMचौपालों का संदेश है कि बरसात की भविष्यवाणियों के अनुमानों को खेती, पेयजल, जलाशयों और नदियों की आवश्यकताओं
नलकूप खुदाई - बच्चों को एक्सीडेंट से बचाने के प्रयास
Posted on 25 Dec, 2017 10:30 AMसकारात्मक प्रयासों के बावजूद यदा-कदा बच्चों के कुओं में गिरने तथा दुर्घटनाग्रस्त होने की घटनाएँ हो रही हैं
2 जुलाई - मध्य प्रदेश में वृक्षारोपण और पर्यावरण के महापर्व को कारगर बनाने का अवसर
Posted on 03 Jul, 2017 10:17 AM
नर्मदा सेवा यात्रा के बाद 2 जुलाई 2017 को मध्य प्रदेश में एक बार फिर इतिहास रचा गया है। इस इतिहास के केन्द्र में हैं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का वह संकल्प जो नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान उनके द्वारा बारम्बार दुहराया गया था। वह संकल्प जिसके मार्फत नर्मदा क्षेत्र और उसके आसपास के समूचे समाज को वृक्षारोपण और पर्यावरण बचाने की कोशिश से जोड़ने का पुरजोर प्रयास किया गया था।
प्राकृतिक संसाधनों की बदहाली से विचलित सोनांचल विकास मंच
Posted on 13 Jun, 2017 11:48 AM
मध्य प्रदेश राज्य के पूर्व में छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा से सटे अनूपपुर, उमरिया और शहडोल जिलों को मिलाकर शहडोल संभाग बना है। इस संभाग की कुल आबादी लगभग 24.60 लाख है। संभाग प्राकृतिक संसाधनों से सम्पन्न है। अच्छी खासी बरसात होती है। इस क्षेत्र में कोयले की बहुत सी खदानें हैं। उन खदानों के कारण पूरे देश में इस इलाके की पहचान मुख्य कोयला उत्पादक क्षेत्र के रूप में है। कोयले के अलावा इस इलाके में घने जंगल हैं। इस इलाके की मुख्य नदी सोन है। संभाग की पहचान अपेक्षाकृत पिछड़े इलाके के रूप में है। इस संभाग में अनेक जनजातियाँ निवास करती हैं।