-के.एन. गोविन्दाचार्य

-के.एन. गोविन्दाचार्य
लोहारी नागपाला शुभ शुरुआत
Posted on 22 Sep, 2010 11:10 AM
विकास की अंधी दौड़ में हमारी सरकारें नदियों का गला घोंटने में लगी हैं। उनकी कुदृष्टि से महान गंगा भी बची नहीं है। आज गंगा का नैसर्गिक जल प्रवाह खतरे में है। बिजली पैदा करने के नाम पर गंगा नदी सुरंगों में डाली जा रही है। इससे अविरल प्रवाह अवरुद्ध हो गया है।नदियों का प्रवाह शुद्ध रहे, इसके लिए जरूरी है कि उनका नैसर्गिक जल प्रवाह बना रहे। नदियों का वेग ही उनकी शुद्धि के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक तत्व है। ‘रजसा शुद्धते नारी, नदी वेगेन शुद्धते।’ अर्थात जैसे रजस्वला होकर नारी शुद्ध हो जाती है उसी प्रकार नदियां अपने वेग से शुद्ध होती है । यह भारतीय संस्कृति की अनुभव सिद्ध मान्यता है। इसलिए अविरल नैसर्गिक प्रवाह नदी की निर्मलता के लिए अनिवार्य शर्त है। लेकिन विकास की अंधी दौड़ में हमारी सरकारें नदियों का गला घोंटने में लगी हैं। उनकी कुदृष्टि से महान गंगा भी बची नहीं है। आज गंगा का नैसर्गिक जल प्रवाह खतरे में है। बिजली पैदा करने के नाम पर गंगा नदी सुरंगों में डाली जा रही है। इससे अविरल प्रवाह अवरुद्ध हो गया है।

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