ज्ञानेन्द्र रावत

ज्ञानेन्द्र रावत
आज भी अनसुलझा है गंगा की प्रदूषण मुक्ति का सवाल
Posted on 16 Jul, 2017 11:18 AM


आज गंगा की प्रदूषण मुक्ति का सवाल उलझ कर रह गया है। 2014 में राजग सरकार के अस्तित्व में आने के बाद से ही गंगा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्राथमिकताओं में सर्वोपरि है। नमामि गंगे मिशन उसी की परिणति है। आज राजग सरकार अपने कार्यकाल के तीन साल पूरे कर चुकी है लेकिन हालात इसके गवाह हैं कि गंगा बीते तीन सालों में सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी प्रदूषण से मुक्त नहीं हो पाई है।

गंगा नदी
बढ़ती आबादी के कारण जीना होगा मुहाल
Posted on 10 Jul, 2017 03:25 PM


विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई पर विशेष

.आज दुनिया बढ़ती आबादी के विकराल संकट का सामना कर रही है। यह समूची दुनिया के लिये भयावह चुनौती है। असलियत यह है कि इस सदी के अंत तक दुनिया की आबादी साढ़े बारह अरब का आंकड़ा पार कर जायेगी। विश्व की आबादी इस समय सात अरब को पार कर चुकी है और हर साल इसमें अस्सी लाख की बढ़ोत्तरी हो रही है। शायद यही वजह रही है जिसके चलते दुनिया के मशहूर वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने कहा है कि पृथ्वी पर टिके रहने में हमारी प्रजाति का कोई दीर्घकालिक भविष्य नहीं है। यदि मनुष्य बचे रहना चाहता है तो उसे 200 से 500 साल के अंदर पृथ्वी को छोड़कर अंतरिक्ष में नया ठिकाना खोज लेना होगा। बढ़ती आबादी समूची दुनिया के लिये एक बहुत बड़ा खतरा बनती जा रही है। सदी के अंत तक आबादी की भयावहता की आशंका से सभी चिंतित हैं। दरअसल आने वाले 83 सालों के दौरान सबसे ज्यादा आबादी अफ्रीका में बढ़ेगी।

world population day
बेहद जरूरी है पर्यावरण बचाने हेतु प्रकृति से जुड़ाव
Posted on 30 Jun, 2017 11:43 AM

वनों की कटाई से कम हो रहे जंगलों के कारण वन्यजीवों की तादाद म
save environment
आज अहम है पर्यावरण रक्षा का सवाल
Posted on 04 Jun, 2017 11:00 AM


विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून पर विशेष

.Environment on top priority

World Environment Day
प्रदूषण के चलते कैसे जियेंगे लोग
Posted on 20 May, 2017 10:23 AM

यह सच है कि देश में भयावह हो चुकी वायु प्रदूषण की समस्या से म
pollution
आसान नहीं है गंगा की शुद्धि का मसला
Posted on 15 May, 2017 11:08 AM


ऐसा लगता है कि गंगा की शुद्धि का मसला जितना आसान समझा जा रहा था उतना है नहीं। असलियत यह है कि भले मोदी सरकार इस बाबत लाख दावे करे लेकिन केन्द्र सरकार के सात मंत्रालयों की लाख कोशिशों के बावजूद 2014 से लेकर आज तक गंगा की एक बूँद भी साफ नहीं हो पाई है। 2017 के पाँच महीने पूरे होने को हैं, परिणाम वही ढाक के तीन पात के रूप में सामने आए हैं। कहने का तात्पर्य यह कि इस बारे में अभी तक तो कुछ सार्थक परिणाम सामने आए नहीं हैं जबकि इस परियोजना को 2018 में पूरा होने का दावा किया जा रहा था। गंगा आज भी मैली है। दावे कुछ भी किए जायें असलियत यह है कि आज भी गंगा में कारखानों से गिरने वाले रसायन-युक्त अवशेष और गंदे नालों पर अंकुश नहीं लग सका है। नतीजन उसमें ऑक्सीजन की मात्रा बराबर कम होती जा रही है।

river
पर्यावरण विकास का आधार बने तभी धरती बचेगी
Posted on 20 Apr, 2017 03:21 PM

पृथ्वी दिवस, 22 अप्रैल 2017 पर विशेष

गर्म हो रही पृथ्वी
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