गोपाल कृष्ण

गोपाल कृष्ण
गोपाल कृष्ण
पानी और पर्यावरण पर काम करनेवाले गोपालकृष्ण शिपब्रेकिंग उद्योग, एसबेस्ट्स और कचरा प्रबंधन में घातक तकनीकि से उत्पन्न खतरों पर लगातार सक्रिय लेखन और आंदोलन कर रहे हैं. बैन एसबेस्टस नेटवर्क के संयोजक. जेएनयू में पब्लिक हेल्थ पर शोधरत गोपाल कृष्ण को आप krishnagreen@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं.
भारत में जल की उपलब्धता का गणित यानी वाटर बजटिंग
आइए एक छोटा सा गणित करें कि क्या धरती पर सबके लिए पानी है। पृथ्वी का लगभग 71% भाग जल से घिरा हुआ है किन्तु, इसका 97% जल खारा होने के कारण पीने योग्य नहीं है शेष बचे हुए 3% जल में से (जो कि पीने योग्य है), 2% हिमनद (ग्लेशियर) के रूप में है और इस प्रकार जलमंडल में उपलब्ध समस्त जल की केवल 1% से भी कम मात्रा ही पीने योग्य है जो कि सतही एवं भूजल के रूप में नदियों, झरनों, झीलों, तालाबों, कुओं आदि के रूप में उपलब्ध है। और यदि इस उपलब्ध जल को पृथ्वी में उपस्थित कुल आबादी (8 बिलियन) में समान रूप से बाँटा जाये तो जल की उपलब्धता 7,800 घनमीटर/व्यक्ति/वर्ष निर्धारित की जा सकती है जो कि एक जल समृद्ध श्रेणी का उदाहरण है। यानी धरती पर सबके लिए पानी है। Posted on 22 Aug, 2024 11:35 PM

जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। यही वजह है कि, मानव अपने नए गृह के अन्वेषण के दौरान सर्वप्रथम जिस तत्व की खोज करता है वह जल ही है। जल न केवल मानव सभ्यता अपितु विभिन्न जन्तु, वनस्पति एवं पर्यावरण के चिरकालीन विकास के लिए महत्वपूर्ण एवं अमूल्य धरोहर है। पुरातत्ववेत्ताओं ने भी अपने अध्ययन में यही पाया है कि अतीत में मानव सभ्यता एवं नगरों का विकास नदियों और जल स्त्रोतों के आस-पास ही हुआ

भारत में जल की उपलब्धता कितनी है?
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