गिरिजाकुमार माथुर
गिरिजाकुमार माथुर
बाँहों वाली नदी
Posted on 16 Sep, 2013 03:05 PMजैसे लहरों की हजार बाँहें खोलमिलने को आती नदी
वापस लौट गई हो
पराए फूलों की घाटी में
मुड़कर डूब गई हो!
कितना दुखदाई है
किसी भी चीज का
मिलते-मिलते खो जाना
कैसा होता है
अपनी हर बात का
नहीं हुआ हो जाना!