डॉ. दुर्गादत्त ओझा

डॉ. दुर्गादत्त ओझा
जैव-प्रौद्योगिकी : खतरे की आहट भी
Posted on 10 Dec, 2016 03:30 PM

वैश्विक स्तर पर जैव-प्रौद्योगिकी की वर्तमान प्रगति को देखते हुए तो ऐसा प्रतीत होता है कि वर्तमान सहस्त्राब्दी ‘बायोटेक मिलेनियम’ होगी, क्योंकि असंख्य एवं अपार मनु-पुत्रों की क्षुधा शांति, स्वास्थ्य एवं जीवन रक्षा में निश्चय ही जैव-प्रौद्योगिकी की निर्णायक भूमिका रहेगी। परंतु, जैव-प्रौद्योगिकी के कई विवादित पहलू भी बन गए हैं।
भूमि संसाधन संरक्षण में मृदा की उपयोगिता
Posted on 27 Aug, 2014 11:42 PM
मिट्टी एक अमूल्य संसाधन है जिसका उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से किया जाना
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