दीपनारायण पांडेय

दीपनारायण पांडेय
अरावली में पारम्परिक वन प्रबन्ध
Posted on 05 Apr, 2016 10:34 AM
भारत में जल, वायु, वन, सूर्य, आकाश सभी को भगवान का रूप माना गया है। इसमें राज्य का कोई दखल नहीं था, इसलिये सभी लोग सहजता से इनका मर्यादित उपयोग करते थे और जनसंख्या दबाव बढ़ने के बाद भी ये प्राकृतिक भण्डार सबकी आवश्यकता की पूर्ति करते थे, इसलिये लम्बे समय तक सन्तुलन बना रहा। लेकिन धीरे-धीरे विचारों में बदलाव आया और वन प्रबन्ध की आवश्यकता आ पड़ी। अरावली पर्वतमाला के वनों का पारम्परिक वन प्
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