अरुण तिवारी
कुंभ निवेदन
Posted on 15 Jan, 2013 02:36 PMए नये भारत के दिन बता!
ए नदिया जी के कुंभ बता!
उजरे-कारे सब मन बता!!
क्या गंगदीप जलाना याद तुम्हें
या कुंभ जगाना भूल गये ?
या भूल गये कि कुंभ सिर्फ नहान नहीं,
गंगा यूं ही है महान नहीं।
नदी सभ्यतायें तो कई जनी,
पर संस्कृति गंग ही परवान चढ़ी।
“नदियों में गंगधार हूं मैं’’
क्या श्रीकृष्ण वाक्य तुम भूल गये?
![kumbh request](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/kumbh%20request_3.jpg?itok=exCHq3Ij)
हिंडन के हितैषी
Posted on 09 Jan, 2013 03:02 PMकिसी को व्यथित करे न करे, हिंडन पर होते अत्याचार ने मोहम्मदपुर धूमी के जयपाल को बेहद व्यथित किया। उसकी सारी रात आंखों में कटी। सुबह होते ही उसकी बेचैनी कागज पर उतर आई:
हम इसकी रेती में खेले। इस पर लगते देखे मेले।
इसने बहुत आक्रमण झेले। कहां तक इसकी व्यथा सुनायें।।
बचपन में हम भी नहाते थे। मेलों में साधु आते थे।
![hindon river walk](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/hindon%20river%20walk_3.jpg?itok=dZoedhJH)
हिंडन के हत्यारे
Posted on 09 Jan, 2013 02:24 PMआज हम दोष चाहें किसी को दें, शिवनन्दी का प्रतिरूप बने हरनन्दी का पितृस्वरूप तो उसी दिन मर गया था, जिस दिन इसका नाम हिंडन पड़ा। सिर्फ पितृस्वरूप मरा हो, इतना नहीं... हिंडन ने अब खुद विषधर का रूप धारण कर लिया है। जैसा कभी यमुना ने कालियादेह का रूप धरा था। हिंडन का यह रूप हमें जीवन देने वाला न होकर जीवन लेने वाला हो गया। हमारी बेवकूफी देखिए!
![save hindon](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/save%20hindon_3.jpg?itok=s38wrnXH)
हिंडन के संगी
Posted on 09 Jan, 2013 12:55 PMहर बड़ी नदी की तरह हिंडन की देह भी अकेली नहीं है। हिंडन के उद्गम स्रोतों में बारिश के बाद कदाचित ही पानी रहता है, बावजूद इसके हिंडन बरसाती नदी कभी नहीं रही। हिंडन बारहमासी है। जाहिर है कि कई संगी-साथी मिलकर हिंडन की संपूर्ण देह को बनाते हैं: 41 किमी.
![make hindon pollution free walk](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/make%20hindon%20pollution%20free%20walk_3.jpg?itok=sVsIix9d)
सबकी राय का सम्मान और साझेदारी का ऐलान
Posted on 17 Dec, 2012 10:58 AMराष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन की पर्यावरणीय प्रबंधन योजना बनाने वालों के दिमाग में एक बात तो साफ है कि जरूरत क्या है। वे अच्छी तरह जानते हैं कि वाकई होना क्या चाहिए। उन्हें यह भी मालूम है कि तकनीक, पैसा, सामाजिक सहयोग, न्यायपालिका, नगरपालिका और शासकीय तंत्र के एकजुट हुए बगैर गंगा बेसिन की पर्यावरण प्रबंधन योजना का सफल क्रियान्वयन संभव नहीं होगा। इन सभी का सहयोग चाहिए, तो योजना निर्माण के शुरुआती स्तर स![](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/summit_photo_3.jpg?itok=GRoD_A4H)
शौच सफाई में भी मुनाफे की ताक में कंपनियां
Posted on 14 Dec, 2012 11:57 AMजिस तेजी से मात्र पिछले 6 महीनों में दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की जलापूर्ति में पीपीपी को लागू किया गय
![Toilet](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Toilet_1_17.jpg?itok=fDbYxjEe)
नदियों को मिले ‘नैचुरल मदर’ का संवैधानिक दर्जा
Posted on 04 Dec, 2012 11:34 AMयदि हम नाम बदलकर अमानीशाह या नजफगढ़ नाला बना दी गई क्रमशः जयपुर की द्रव्यवती व अलवर से बहकर दिल्ली आने वाल
![river](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/river_23_3.jpg?itok=LeBGLgCJ)
पानी बोलता है
Posted on 04 Dec, 2012 10:22 AMअखबारों में, मंचों पर, नदी की लहरों में, समुद्र की गर्जना में, बारिश की बूंदों में..पानी पा जाने पर तृप्त आसों में तो मैने पानी की आवाज पहले भी सुनी थी, लेकिन यह आवाज मेरे लिए नई थी। जहां पानी दिखता न हो, वहां भी पानी की आवाज!
![गंगा मंदिर](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Temple_4.jpg?itok=I91y9Rg3)
गढ़गंगा संसद : संस्कृति मंत्री को भी सिर्फ जनान्दोलन से ही उम्मीद
Posted on 03 Dec, 2012 09:57 AM गंगा संसद में गंगा की अविरलता और निर्मलता को लेकर कई पहलुओं पर चर![ganga sansad](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/ganga%20sansad_0_3.jpg?itok=saV7d1Db)