अरुण तिवारी
नदी संसद से सीखें पंचायती राज
Posted on 05 Dec, 2015 01:18 PMजलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव कह रहे हैं कि काम पानी का हो, खेती या ग्राम स्वावलम्बन का; साझे की माँग जल्द ही आवश्यक हो जाने वाली है। सहकारी खेती, सहकारी उद्यम, सहकारी ग्रामोद्योग, सहकारी जलोपयोग प्रणाली के बगैर, गाँवों का अस्तित्व व विकास, एक अत्यन्त कठिन चढ़ाई होगी।
कचरा-समुद्र-जलवायु अन्तर्सम्बन्ध और सबक
Posted on 04 Dec, 2015 03:00 PMतापमान बढे़गा, तो जैविक कचरे में सड़न की प्रक्रिया और तीव्र होगी। जभारत नदी दिवस 2015 : एक रिपोर्ट
Posted on 30 Nov, 2015 11:18 AM‘नदी का विज्ञान’ विषय पर व्याख्यान की शुरुआत करते हुए श्री अनुपम मिदृष्टि बदलें, उपभोग घटाएँ
Posted on 29 Nov, 2015 09:56 AMसतलुज, गंगा, गोदावरी के मैदान, प्राकृतिक रूप से काफी समृद्ध हैं। जाभारत नदी दिवस
Posted on 28 Nov, 2015 08:58 AMतिथि : 28 नवम्बर, 2015
कार्यक्रम समय: प्रातः 11 बजे से दोपहर 1.30 बजे
पंजीकरण एवं चाय : प्रातः 10.30 बजे
स्थान : इनटेक (71, लोदी स्टेट, नई दिल्ली)
आयोजक : पीस इंस्टीट्ययुट चेरिटेबल ट्रस्ट, डब्ल्यू डब्ल्यू एफ इण्डिया, इनटेक, टॉक्सिक लिंक एवं सैंड्रप
विशेष सहयोग : लोक विज्ञान संस्थान (देहरादून) तथा अर्घ्यम ट्रस्ट (बंगलुरु)
कार्यक्रम अध्यक्ष : श्री शशि शेखर (सचिव, जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरोद्धार मंत्रालय, भारत सरकार)
कार्यक्रम मुख्य अतिथि : श्री कपिल मिश्र (जल मंत्री, दिल्ली सरकार)विशेष आकर्षण
1. प्रदर्शनी एवं उसका उद्घाटन (11.00 से 11.10 बजे)
विषय : यमुना नदी - अतीत, वर्तमान एवं भविष्य।
प्रदर्शनी का उद्घाटन दिल्ली सरकार के जल मंत्री श्री कपिल मिश्र करेंगे।
दुुनिया की छत से देखें जलवायु परिवर्तन
Posted on 27 Nov, 2015 10:10 AM आगामी पेरिस जलवायु सम्मेलन से पूर्व अभी देश, विकासशील और विकसित के बीच बँटे नजर आ रहे हैं। बँटवारे का आधार आर्थिक है और माँग का आधार भी। किन्तु क्या प्रकृति से साथ व्यवहार का आधार आर्थिक हो सकता है?उपभोग और प्रकृति को नुकसान की दृष्टि से देखें तो यह दायित्व निश्चय ही विकसित कहे जाने वाले देशों का ज्यादा है, किन्तु इस लेख के माध्यम से मैं यह रेखांकित करना चाहता हूँ कि मानव उत्पत्ति के मूल स्थान के लिहाज से यह दायित्व सबसे ज्यादा हम हिमालयी देशों का है; कारण कि सृष्टि में मानव की उत्पत्ति सबसे पहले हिमालय की गोद में बसे वर्तमान तिब्बत में ही हुई। आज मानव उत्पत्ति का यह क्षेत्र ही संकट में है।