अनिल सिंदूर

अनिल सिंदूर
बुन्देलखण्ड - आओ लौट चलें तालाबों की ओर
Posted on 21 May, 2016 10:02 AM

पानी संचयन का 8वीं शताब्दी से चला आ रहा परम्परागत तरीका आज भी कारगर
चन्देल शासकों ने बनवाए थे 4000 तालाब, कुछ आज भी मौजूद

36 वर्षों के बाद भी सरकारों ने नहीं ली सुध, फ्लोराइड ने सोनभद्र को किया अपाहिज
Posted on 18 Apr, 2016 01:09 PM


विकास और विनाश की बिसात में फसा मानव
नागरिकों का टूटा भरोसा, हताशा के साथ झुंझलाहट

बुन्देलखण्ड पैकेज : केन्द्र तथा राज्यों को जारी करना होगा श्वेत पत्र – राजेन्द्र सिंह
Posted on 02 Feb, 2016 10:00 AM

1. उजाड़, सुखाड़ तथा बिगाड़ बचाना है तो बुन्देलखण्ड के तालाबों को संरक्षित करना होगा।
2. सदियों से चले आ रहे पानी संचयन तरीके आज भी कारगर


ऐतिहासिक बेतवा नदी पर माफियाओं की कुत्सित नज़र
Posted on 17 Jan, 2016 10:03 AM

1. हाईकोर्ट तथा एनजीटी के आदेशों को ठेंगा दिखा माफ़िया कर रहे अवैध खनन
2. शासन-प्रशासन मौन
3. जालौन जिले के एक ही गाँव में खनन को लगभग 500 ट्रक


बुन्देलखण्ड : पानी की त्राहिमाम, खेती की कौन कहे पीने के लाले
Posted on 14 Jan, 2016 02:29 PM

1. कुए, बाबड़ी, हैण्डपम्प सब सूखे
2. गाँव के अधिकतर लोग बाहर शौच जाने को मजबूर
3. गाँव में 377 वीपीएल परिवार


बच्चों ने रखी तालाब पर ‘स्वच्छता की पाठशाला’
Posted on 15 Dec, 2015 11:51 AM
1. एसडीएम एवं नागरिकों से पूछे तीखे सवाल
2. नुक्कड़ नाटक कर पढ़ाया स्वच्छता का पाठ

गंगा में गन्दगी को देख एनजीटी हैरान
Posted on 14 Dec, 2015 03:13 PM
1. 41 एमएलडी पानी सीधे गंगा में, ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 9 एमएलडी
2. शोधन के बाद पानी में क्षारीय तत्त्व, पीएच वेल्यू 9
3. ज्यादातर टेनरी नहीं कर रही प्राथमिक सोधन
4. क्रोमियम 2 मिलीग्राम के सापेक्ष 70 मिलीग्राम प्रतिलीटर, टोटल सॉलिडसस्पेंडेड 600 मिलीग्राम के सापेक्ष 4000 मिलीग्राम
जालौन में तालाबों पर अतिक्रमण, उच्च न्यायालय में पीआईएल नतीजा शिफ़र
Posted on 26 Nov, 2015 02:10 PM


1. नगर में 36 तालाब, अतिक्रमण से कोई अछूता नहीं
2. 2008 में दाखिल हुई पीआईएल

बुन्देलखण्ड की लोक संस्कृति : जल संरक्षण के लिये ‘कुआँ पूजन’
Posted on 30 Oct, 2015 03:00 PM

लोक संस्कृति मनुष्य को बेहतर बनाने का काम करती है यही वजह है कि सैकड़ों वर्षों से बुन्देलखण्ड की लोक संस्कृति में गर्भवती महिलाएँ बच्चा पैदा होने के सवा माह बाद जब घर से पहली बार निकलती हैं तो वह हिन्दूओं के देवता ब्रह्मा, विष्णु, महेश की पूजा को नहीं जाती बल्कि ‘कुआँ पूजन’ को जाती है जिससे आने वाली पीढ़ी जल के महत्त्व को समझे। यह बात जालौन जिले के मुख्यालय उरई में आयोजित राष्ट्रीय लोक कला महोत्स

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