अजय सिंह
अजय सिंह
चंबल में नयी सभ्यता का उदय
Posted on 31 Dec, 2011 10:58 AMचंबल नदी की पवित्रता बरकरार रहने की वजह है धार्मिक आस्था। अगर धार्मिक दृष्टि से नदी को अपवित्र न कहा गया होता, तो शायद मनुष्य ने इस जलस्रोत को भी कब का अपवित्र कर दिया होता। कई पवित्र नदियां इस दुर्दशा का शिकार हो चुकी हैं। इसका उदाहरण है गंगा नदी, जिस पर भारतीय सभ्यता का विकास हुआ है। पर इस नदी की पवित्रता के साथ जिस तरह का खिलवाड़ हुआ है, उससे गंगा कई जगहों पर लुप्तप्राय हो गयी है। बनारस में अस्सी घाट पर गंगा में प्रदूषण और सभ्यता के क्षरण का नमूना देखा जा सकता है। इसी तरह चंबल नदी के साथ बहने वाली यमुना नदी तो मानवीय प्रदूषण की पराकाष्ठा है।
चंबल नदी की पवित्रता बरकरार रहने की वजह है धार्मिक आस्था। अगर धार्मिक दृष्टि से नदी को अपवित्र न कहा गया होता, तो शायद मनुष्य ने इस जलस्रोत को भी कब का अपवित्र कर दिया होता। चंबल अभिशप्त नदी है। हजारों वर्षों में इस नदी के किनारे किसी सभ्यता का उदय नहीं हुआ। कोई भी बड़ा शहर इस नदी के किनारे नहीं बसा। इसके बीहड़ अपराध व अराजकता के लिए जाने जाते थे। मान सिंह, माधो सिंह, मोहर सिंह, तहसीलदार सिंह जैसे कई नाम हैं, जो आतंक का पर्याय थे। हाल के दिनों में फूलन देवी, लालाराम जैसे कई गिरोह सरदार इन बीहड़ों में पनाह लेते रहे हैं। जाहिर है इस नदी के बीहड़ों में जिस संस्कृति का जन्म हुआ, वह थी-दस्यु संस्कृति। यानी जंगल का कानून। शक्तिशाली का भोजन कमजोर है। लगभग 80 और 90 के दशक तक इस क्षेत्र के सार्वजनिक जीवन का यह मूलमंत्र था। शायद ही कोई राजनीतिक दल व राजनेता ऐसा होगा, जिसका दस्यु गिरोह से संपर्क न हो।सभ्यता, राजनीति और गंगा
Posted on 14 Jul, 2011 02:53 PMसैकड़ों करोड़ रुपये गंगा की सफ़ाई पर लगाने के बाद भी नदी आज पहले से न सिर्फ़ ज्यादा दूषित है, ब