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कृषि-जलवायु क्षेत्र
Posted on 11 Sep, 2008 12:26 PMकृषि अर्थव्यवस्था के क्षेत्रीकरण सम्बन्धी पूर्व अध्ययनों की जांच करने के बाद योजना आयोग ने यह सिफारिश की कि कृषि-आयोजना कृषि-जलवायु क्षेत्रों के आधार पर तैयार की जानी चाहिए। संसाधन विकास के लिए देश को कृषि-जलवायु विशेषताओं, विशेष रूप से तापमान और वर्षा सहित मृदा कोटि, जलवायु और जल संसाधन उपलब्धता के आधार पर स्थूलतः निम्नानुसार पंद्रह कृषि जलवायु क्षेत्रों में बांटा गया हैःतापमान
Posted on 11 Sep, 2008 12:15 PMतापमान में भिन्नताएं भी भारतीय उप-महाद्वीप की विशेष पहचान है। नवम्बर से फरवरी तक के सर्दियों के महीनों के दौरान देश के अधिकांश हिस्से में महाद्वीपी हवाओं के कारण तापमान में दक्षिण से पश्चिम की तरफ गिरावट आ जाती है।वर्षा
Posted on 11 Sep, 2008 12:11 PMभारत में वर्षा दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पूर्वी मानसून की घटती-बढ़ती मात्रा, उथले चक्रवातीय अवनमन और विक्षोभ तथा तेज स्थानीय तूफानों पर निर्भर करती है जो ऐसे क्षेत्रों का निर्माण करते हैं जिनमें समुद्र की ठंडी नमीदार बयार पृथ्वी से उठने वाली गरम सूखी बयार से मिलती है और तूफानी स्थिति को प्राप्त होती है। भारत में (तमिलनाडु को छोड़कर) अधिकांश वर्षा जून से सितम्बर के बीच दक्षिण-पश्चिम मानसून के कारण होतजलवायु
Posted on 11 Sep, 2008 12:02 PMउत्तर में हिमालय पर्वत की विशाल पर्वतमालाओं और उनके वुजारोधों तथा दक्षिण में महासागर की मौजूदगी भारत की जलवायु पर सक्रिय दो प्रमुख प्रभाव हैं। पहला प्रभाव केन्द्रीय एशिया से आने वाले शीत बयारों के प्रभाव को अवेद्य रूप से रोकता है और इस उप-महाद्वीप को उष्णकटिबन्धीय प्रकार की जलवायु के तत्व प्रदान करता है। दूसरा प्रभाव भारत पहुचंने वाली शीतल नमी-धारक बयारों का स्रोत है और वह महासागरीय प्रकृति की जलवजल का भू-आकृति-विज्ञान
Posted on 11 Sep, 2008 11:56 AMभू-आकृति-विज्ञान की दृष्टि से भारत को सात सुपरिभाषित क्षेत्रों में बांटा जा सकता है जो इस प्रकार हैं:(i)हिमालय की विशाल पर्वतमालाओं सहित, उत्तरी पर्वतमालाएं;
(ii) विशाल मैदानी क्षेत्र जिसके आर-पार सिंधु और गंगा ब्रह्मपुत्र नदी प्रणालियां मौजूद हैं। इसका एक तिहाई भाग पश्चिमी राजस्थान के सूखे-क्षेत्र में पड़ता है, शेष इलाका अधिकाशंतः उर्वर मैदानी क्षेत्र है;
भारतीय संविधान में जल की स्थिति
Posted on 11 Sep, 2008 11:45 AMभारत राज्यों का संघ है। राज्य और केन्द्र के बीच दायित्वों के आबंटन के सम्बन्ध में संवैधानिक प्रावधान तीन श्रेणियों में आते हैं: संघ सूची (सूची-I), राज्य सूची (सूची-II) तथा समवर्ती सूची (सूची-III)। संविधान के अनुच्छेद 246 का सम्बन्ध संसद और राज्यों के विधानमण्डलों द्वारा बनाई जाने वाली विधियों की विषय-वस्तु के साथ है। क्योंकि देश में अधिकांश नदियां अन्तर्राज्यीय हैं, इन नदियों के पानी का विनियमन
देश के वृहद नदी बेसिन
Posted on 10 Sep, 2008 08:17 PMभारत में नदियों की भरमार है। 252.8 मिलियन हैक्टेयर (एमएचए) के आवाह क्षेत्र सहित 12 नदियां वृहद नदियों के रूप में वर्गीकृत हैं। वृहद नदियों में गंगा-ब्रह्मपुत्र मेघना प्रणाली, जिसका आवाह क्षेत्र लगभग 110 मिलियन हैक्टेयर है जो कि देश की सभीवृहद नदियों के आवाह क्षेत्र के 43 प्रतिशत से बढ़ कर है सबसे विशाल प्रणाली है। 10 मिलियन हैक्टेयर से अधिक के आवाह क्षेत्र सहित अन्य वृहद नदियां इस प्रकार हैं सि
बाढ़ नियंत्रण
Posted on 09 Sep, 2008 10:42 AMबाढ़ का अर्थ है किसी भी नदी/नाले में पानी का अत्यधिक बहाव होना जिसके कारण पानी (अपवाह) का नदी के किनारों से बाहर बहकर आसपास की भूमि को जलमग्न करना। बाढ़ के कारण जानमाल की हानि, संचार सेवाओं में अवरोध, फसलों का नष्ट होना, बीमारियों का प्रसार आदि अनेकों समस्याएं पैदा हो जाती है।बाढ़ नियंत्रण के मुख्य उपाय हैं -
भारत जल पोर्टल
Posted on 09 Sep, 2008 10:07 AMभारत जल पोर्टल जल प्रबंधन के कार्य से जुड़े लोगों के बीच इससे संबंधित जानकारी बाँटने का एक खुला और संयुक्त मंच है, जो वेब-आधारित है।
इसका प्रयास है जल-विशेषज्ञों का अमूल्य अनुभव प्राप्त कर, उसे संकलित किया जाए, प्रौद्योगिकी की सहायता से उसकी उपयोगिता में संवर्धन किया जाए और तत्पश्चात इंटरनेट के माध्यम से समुदाय के उपयोगार्थ उसका व्यापक प्रसारण किया जाए।