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अपशिष्ट जल का बागबानी में प्रयोग
Posted on 21 Oct, 2008 11:32 AMदिल्ली में गंदे अपशिष्ट जल के अनेक नाले सभी स्थानों पर इधर-उधर से निकलकर यमुना पर प्रदूषण का बोझ बढ़ा रहे हैं। फिलहाल प्रदूषण का बोझ बढ़ाने वाले 22 बड़े नाले हैं। ये शहरी नाले प्राकृतिक रूप से बने हैं और वर्षा आदि के जल को ऊपरी इलाकों से निचले इलाकों में बहाकर ले जाते हुए अंत में नदियों से जुड़ते हैं। भारत की नदियां सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं और दूसरे विकासशील देशों की तुलना में 10 गुना अधिक रोगज
बराबरी, पहुंच और वितरण
Posted on 14 Oct, 2008 02:58 PMभवानी में टकराव तमिलनाडु में भवानी नदी के संग्रहण क्षेत्र में जनसंख्या वृद्धि, अनियोजित विस्तार और घरेलू और औद्योगिक स्तर पर पानी की बढ़ती मांग ने नदी के बेसिन में पानी का इस्तेमाल करने वालों के बीच प्रतियोगिता को बढ़ा दिया है। आर राजगोपाल, एन जयकुमार तमिलनाडु के बीचों-बीच से होकर बहने वाली कावेरी नदी की मुख्य सहायक नदी है भवानी। यह केरल के शांत वन क्षेत्र से उत्पन्न होकर दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर 217 किमी का सफर तय करते हुए भवानी शहर के पास ही कावेरी नदी में मिल जाती है।जलसंरक्षण के आसान तरीके
Posted on 14 Oct, 2008 02:44 PMस्थान- जलगांव जिले में तालुका यावल का अदगांव, परोला तालुका का तितवी गांव और चालीसगांव तालुका का मलशेवगा गांव
उद्देश्य :- कम कीमत पर घरेलू इस्तेमाल योग्य पानी उपलब्ध कराने, इसे गंदा होने से बचाने और साफ रखने के तरीकों को प्रोत्साहित करना जिसका सबसे बडा और सीधा असर बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर रखने पर हो सके।
पानी के स्रोतों का संरक्षण -
Posted on 14 Oct, 2008 02:37 PMअदगांव/ तालुका यावल/ जिला जलगांव
उद्देश्य:- गांवों में पीने योग्य पानी के स्रोतों को स्थानीय स्तर पर प्रदूषणकारी मिश्रण से बचाने के उपाय सुनिश्चित करना
पानी की गुणवत्ता बरकरार रखने के सर्वोत्तम उपाय
Posted on 13 Oct, 2008 05:45 PMपीने योग्य जल के संरक्षण के तरीके - ग्राम अदगांव, तालुका- यावल, जिला जलगांव
उद्देश्य : पानी के टैंक में कैल्शियम कार्बोनेट के जमाव को रोकने और बेहतर क्लोरीन परीक्षण विधि :
भारत में जल संसाधन
Posted on 13 Oct, 2008 02:54 PMदेश में सतही और उप-सतही स्रोतों से जल की उपलब्धता का समुचित मूल्यांकन उचित आयोजना, विकास और प्रबंधन का आधार है । जल संसाधनों की आयोजना, विकास और प्रबंधन को बहु-क्षेत्रीय, बहु-विभागीय और भागीदारीपूर्ण दृष्टिकोण के साथ ही राष्ट्रीय जल नीति, 2002 के अनुसार समन्वित गुणवत्ता, संख्या और पर्यावरण संबंधी पहलुओं पर आधारित एक जलविज्ञान इकाई के आधार पर किया जाना चाहिए ।
बांध तथा जल विद्युत शक्ति
Posted on 13 Oct, 2008 01:35 PMबांध तथा जल विद्युत शक्ति
कुछ बांधों को विशेषतौर पर जल विद्युत जो जल द्वारा निर्मित विद्युत होती है, का निर्माण करने के लिए बनाया जाता है । इस किस्म की विद्युत कार्यशील, प्रदूषण-मुक्त तथा कम लागत की होती है । जल विद्युत सयंत्र घरो, स्कूलों, खेतों, फैक्टियों तथा व्यवसायों को उपयुक्त दर पर विद्युत मुहैया कराते हैं । जल को विशाल पाइपों के जरिए बांध में प्रायः उपलब्ध एक पावर हाऊस तक लाया जाता है । पावर हाऊस में जल की शक्ति टरबाईंनों को गोल-गोल धुमाती है तथा इस निरंतर गति से एक बल उत्पन्न होता है जिससे विद्युत-शक्ति का निर्माण किया जाता है । विद्युत सयंत्र में उत्पन्न विद्युत ऊर्जा बांध के पीछे के जल की स्थिजित ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तन के परिणामस्वरूप प्राप्त की जाती है । यह जल विद्युत शक्ति को तब संग्रहित करके घरों में वितरित किया जाता है जहाँ यह टीवी देखने, कम्प्यूटर पर खेलने, खाना बनाने इत्यादि के काम आती है ।
भारत में परिवारों की सुरक्षित पेयजल तक पहुंच
Posted on 13 Oct, 2008 01:21 PMभारत के पास विश्व की समस्त भूमि का केवल 2.4 प्रतिशत भाग ही है जबकि विश्व की जनसंख्या का 16.7 प्रतिशत जनसंख्या भारत वर्ष में निवास करती है। जनसंख्या में वृद्धि होने के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों पर और भार बढ़ रहा है। जनसंख्या दबाव के कारण कृषि के लिए व्यक्ति को भूमि कम उपलब्ध होगी जिससे खाद्यान्न, पेयजल की उपलब्धता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, लोग वांचित होते जा रहे हैं आईये देखें - भारत में परिवारों की सुरक्षित पेयजल तक पहुंच
बाढ़ और सूखा
Posted on 13 Oct, 2008 11:29 AMबाढ़ क्या है ?
बाढ़ ऐसी प्राकृतिक आपदा है जो अत्यधिक वर्षा होने से नदियों की क्षमता में सामान्य से अधिक अपवाह होने के कारण उत्पन्न होती है। इससे नदियों का जल किनारों से बाहर आकर मैदानी भागों में बहने लगता है। बाढ़ कुछ घण्टों से लेकर कुछ दिनों तक रह सकता है, लेकिन इससे जन, धन और फसलों को बहुत अधिक हानि हो सकती है।
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