पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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मंगल सोम होय सिवराती
Posted on 26 Mar, 2010 09:56 AM
मंगल सोम होय सिवराती। पछिवाँ बाय बहै दिन राती।।
घोड़ा रोड़ा टिड्डी उड़ै। राजा मरैं कि परती पड़ै।।


भावार्थ- यदि शिवरात्री सोम या मंगल को हो और रात दिन पछुवा हवा बहती रहे तो अनुमान लगा लेना चाहिए कि घोड़ा, रोड़ा (एक पतिंगा) और टिड्डी दल (एक प्रकार का कीड़ा) उड़ेगा तथा राजा की मृत्यु होगी या सूखा पड़ेगा और खेत परती रह जायेंगे।

भरणि बिसाखा कृत्तिका
Posted on 26 Mar, 2010 09:53 AM
भरणि बिसाखा कृत्तिका, आद्रा मघा मूल।
इनमें काटै कूकुरा, भड्डर है प्रतिकूल।।


भावार्थ- भड्डरी का कहना है कि यदि भरणी, विशाखा, कृत्तिका, आर्द्रा, मघा और मूल नक्षत्रों में कुत्ता काट ले तो बहुत बुरा होता है।

भैंस जो जन्में पड़वा
Posted on 26 Mar, 2010 09:52 AM
भैंस जो जन्में पड़वा, बहू जो जन्मे धीय।
समें कुलच्छन जानिये, कातिक बरसे मीय।।


भावार्थ- भैंस यदि पड़वा को जन्म दे, बहू कन्या को और कार्तिक में पानी बरसे तो ये तीनों समय के कुलक्षण हैं।

भैंसि पाँच खट स्वान
Posted on 26 Mar, 2010 09:50 AM
भैंसि पाँच खट स्वान। एक बैल यक बकरा जान।।
तीनि धेनु गज सात प्रमान। चलत मिलैं मति करौ पयान।।


भावार्थ- यदि यात्रा पर जाते समय पाँच भैंसें, छः कुत्ते, एक बैल, एक बकरा, तीन गायें और सात हाथी मिलें तो यात्रा स्थगित कर देनी चाहिए।

भूरी हथिनी चँदुली जोय
Posted on 26 Mar, 2010 09:43 AM
भूरी हथिनी चँदुली जोय।
पूस महावट बिरले होय।।


शब्दार्थ- चँदुली जोय- गन्जे सिर वाली स्त्री।

भावार्थ- भूरे रंग की हथिनी, गंजे सिर वाली स्त्री और पूस महीने की वर्षा बहुत शुभ मानी जाती है। यह कभी-कभी ही नसीब होती है।

पुरुब गुधूली पश्चिम प्रात
Posted on 26 Mar, 2010 09:41 AM
पुरुब गुधूली पश्चिम प्रात। उत्तर दुपहर दक्खिन रात।।
का करै भद्रा का दिगसूल। कहैं भड्डर सब चकनाचूर।।

नारि सुहागिन जल घट लावै
Posted on 26 Mar, 2010 09:39 AM
नारि सुहागिन जल घट लावै। दधि मछली जो सनमुख आवै।।
सनमुख धेनु पिआवै बाछा। यहि सगुन हैं सब से आछा।।


भावार्थ- यदि सौभाग्यसाली स्त्री पानी से भरा घड़ा ला रही हो, कोई सामने से दही और मछली ला रहा हो या गाय बछड़े को दूध पिला रही हो तो यह सबसे अच्छा शकुन होता है।

जिन बाराँ रवि संक्रमै
Posted on 26 Mar, 2010 09:37 AM
जिन बाराँ रवि संक्रमै, तासों चौथे बार।
असुभ परंती सुभ करै, जोसी जोतिस सार।।


भावार्थ- जिस दिन सूर्य की संक्रांति हो और उसका चौथा दिन अशुभ हो, तो फलशुभ होगा। यही भड्डरी ज्योतिषी के अनुसार ज्योतिष का सार है।

चलत समय नेउरा मिलि जाय
Posted on 26 Mar, 2010 09:36 AM
चलत समय नेउरा मिलि जाय। बाम बाग चारा चखु खाय।।
काग दाहिने खेत सुहाय। सफल मनोरथ समझहु भाय़।।


भावार्थ- यदि कहीं जाते समय रास्ते में नेवला मिल जाये, निलकंठ बाई तरफ चारा खा रहा हो और दाहिने तरप खेत में कौवा हो तो जिस कार्य से व्यक्ति निकला है वह अवश्य सिद्ध होगा।

गवन समय जो स्वान
Posted on 26 Mar, 2010 09:33 AM
गवन समय जो स्वान। फरफराय दे कान।।
एक सूद्र दो बैस असार। तीनि विप्र और छत्री चार।।

सनमुख आवैं जो नौ नार। कहैं भड्डरी असुभ विचार।।


शब्दार्थ- स्वान- कुत्ता। फरफराय-फड़फड़ाना।
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