उत्तराखंड

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बांधों से पर्यावरण को नुकसान : मोहन थपलियाल
Posted on 28 May, 2014 01:12 PM भुवन पाठक द्वारा मोहन थपलियाल जी का लिया गया साक्षात्कार का कुछ अंश।

भाई साहब आप अपना परिचय दीजिए?
मैं तपोवन का पूर्व ग्राम प्रधान था उसके बाद में जिला पंचायत का सदस्य रहा।

मैं आपको ही ढूंड रहा था, आपसे इस परियोजना के संबंध में कुछ प्रश्न करने हैं। इस परियोजना के बारे में लोगों तथा आपकी क्या सोच है?
छोटे जल संरचनाओं को सहेजना जरूरी : रमेश डिमरी
Posted on 28 May, 2014 12:41 PM जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष रमेश डिमरी से भुवन पाठक द्वारा की गई बातचीत पर आधारित साक्षात्कार।

रमेश जी आप अपने राजनैतिक पृष्ठभूमि के बारे में हमें कुछ बताएं।
प्राकृतिक संसाधनों की राजनीति और उत्तराखंड का भविष्य
Posted on 27 May, 2014 01:15 PM पहले लोग अपने लिए वन पंचायतों में जंगलों को बचाते थे। उसमें कहीं भ
बांध से उत्तराखंड के गांवों पर खतरा
Posted on 27 May, 2014 11:18 AM ओमप्रकाश डोभाल से भुवन पाठक द्वारा ली गई साक्षात्कार पर आधारित लेख।

डोभाल जी आप अपना पूरा नाम और क्या करते हैं इसके बारे में थोड़ा बताएंगे?
मैं, एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हूं और हमारा एक संगठन भी है जिसका अध्यक्ष मैं ही हूं। हम लोग सामाजिक कार्यों के तहत लोगों को कम्प्यूटर शिक्षा भी देते हैं।

क्या करना चाहते हैं?
उत्तराखंड में उद्योगीकरण का बढ़ावा
Posted on 26 May, 2014 03:28 PM जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष अरुण कुमार शाह से भुवन पाठक द्वारा की गई बातचीत पर आधारित साक्षात्कार।

आप अपना थोड़ा सा परिचय देते हुए अपनी राजनीतिक भूमिका के बारे में बताएं?
खनन से जल, जंगल, जमीन की जैवविविधता पर प्रतिकूल असर : विजय जड़धारी
Posted on 26 May, 2014 11:17 AM आप, अपना थोड़ा सा परिचय दीजिए।
मैं, हिंगोल घाटी के जड़धार गांव में रहा हूं और उत्तराखंड में पर्यावरण जागरुकता को लेकर चले विभिन्न आंदोलनों जैसे चिपको, खनन विरोधी आंदोलन, टिहरी बांध विरोधी आंदोलन और अब बीज बचाओ आंदोलन मैं शामिल रहा।
पर्यावरण के छेड़छाड़ से हमें भारी नुकसान होगा : सुंदर लाल बहुगुणा
Posted on 25 May, 2014 02:12 PM हमारी भारतीय संस्कृति अरण्य संस्कृति थी। हमारे शिक्षा के केन्द्र, अर्थात आश्रम अरण्य में थे। गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने अरण्यों को पुर्नजीवित करने के लिए शांति निकेतन की स्थापना की। कमरों के अंदर पढ़ने का चलन तो अंग्रेजों ने पैदा किया था क्योंकि उनका देश ठंडा था और घरों से बाहर बैठकर पढ़ाई नहीं हो सकती थी। इसलिए उन्होंने ये सारा जाल बुना। उनके आने से पहले
उत्तराखंड के जल, जंगल और जमीन के लिए लोगों का संघर्ष मौजूद रहेगा : रघु तिवारी
Posted on 24 May, 2014 02:10 PM आप अपना थोड़ा सा परिचय दीजिए।
मेरा जन्म अल्मोड़ा में रानीखेत जिले के गंगोली गांव में हुआ। जहां तक शिक्षा का सवाल है, वो तो मैंने समाज से प्राप्त की और वो अब भी जारी है। स्कूल काॅलेज के बारे में कहूं तो मैंने राजनीति विज्ञान से एम.ए. करने के बाद एल.एल.बीकिया। अपनी पढ़ाई के साथ-साथ मैं, सामाजिक आंदोलनों से भी जुड़ा रहा। आज भी मैं, देश में घूम-घूमकर शिक्षा प्राप्त कर रहा हूं।
पर्यावरण संरक्षण के लिए स्वयं जागरूक होना होगा : कुंवर प्रसून
Posted on 23 May, 2014 11:34 AM सैडेड द्वारा कुंवर प्रसून से हुए बातचीत पर आधारित साक्षात्कार।

आप अपना थोड़ा परिचय दीजिए?
मैं, सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ-साथ पत्रकारिता से भी जुड़ा हूं।

अपने आंदोलनों के बारे में कुछ बताइए।
प्रारंभ में मैं, शराब बंदी, चिपको और खनन विरोधी आंदोलन से जुड़ा रहा। आजकल मैं बीज बचाओ आंदोलन चला रहा हूं।
निजी कंपनियों के दबाव में बिकाऊ हुए प्राकृतिक संसाधन
Posted on 23 May, 2014 10:21 AM सैडेड द्वारा कामेश्वर बहुगुणा की ली गई साक्षात्कार पर आधारित बातचीत।

आप अपना परिचय दीजिए?
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