उत्तर प्रदेश

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कृषि उत्पादकता एवं जनसंख्या संतुलन (भाग-2)
Posted on 02 Oct, 2017 11:54 AM
प्राकृतिक संसाधन किसी देश की अमूल्य निधि होते हैं, परंतु उन्हें गतिशील बनाने, जीवन देने और उपयोगी बनाने का दायित्व देश की मानव शक्ति पर ही होता है, इस दृष्टि से देश की जनसंख्या उसके आर्थिक विकास एवं समृद्धि का आधार स्तंभ होती है। जनसंख्या को मानवीय पूँजी कहना कदाचित अनुचित न होगा। विकसित देशों की वर्तमान प्रगति, समृद्धि व संपन्नता की पृष्ठभूमि में वहाँ की मानव शक्ति ही है जिसने प्राकृतिक संस
कृषि उत्पादकता एवं जनसंख्या संतुलन
Posted on 01 Oct, 2017 11:03 AM
किसी भी क्षेत्र की कृषि जटिलताओं को समझने के लिये उस क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली समस्त फसलों का एक साथ अध्ययन आवश्यक होता है। इस अध्ययन से कृषि क्षेत्रीय विशेषतायें स्पष्ट होती हैं। सस्य संयोजन अध्ययन के अध्यापन के अभाव में कृषि की क्षेत्रीय विशेषताओं का उपयुक्त ज्ञान नहीं होता है। फसल संयोजन स्वरूप वास्तव में अकस्मात नहीं होता है अपितु वहाँ के भौतिक (जलवायु, धरातल, अपवाह तथा मिट्टी) तथा स
हिण्डन नदी - एक जीवित नदी की दर्दनाक मौत
Posted on 29 Sep, 2017 04:25 PM
गंगा-यमुना के दोआब में सहारनपुर जनपद से प्रारम्भ होकर मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ, बागपत व गाजियाबाद से होते हुए अन्त में जब हिण्डन नदी गौतमबुद्धनगर जनपद के तिलवाड़ा गाँव से पश्चिम व मोमनाथल गाँव से पूर्व में यमुना में मिलती है तो इसमें बहते हुए काले रंग के बदबूदार पानी को देखकर कोई कह नहीं सकता है कि यह एक जीवित नदी है। यही नहीं अगर किसी अंजान व्यक्ति को इस स्थान पर लाकर पूछा जाये कि यह कौन सी
हिण्डन नदी का उद्गम स्थल है शिवालिक पहाड़ी
30 सितम्बर से जल बचाओ यात्रा का शुभारम्भ
Posted on 28 Sep, 2017 11:10 AM
हापुड़ 28 सितम्बर 2017 जिला पंचायत सदस्य 30 सितम्बर से सिंभावली ब्लॉक के गाँव मतनोरा से भूजल की बर्बादी रोकने के लिये जल बचाओ यात्रा की शुरूआत करेंगे। जनपद में भूजल का स्तर तेजी से गिर रहा है। वहीं दूसरी तरफ उपलब्ध जल प्रदूषित हो रहा है। जनपद में दो ब्लॉक का जलस्तर तो खतरनाक हो रहा है जिसके चलते ग्रामीणों में कैंसर जैसी और भी भयानक बीमारियों से जूझ रहे हैं।
कृषि भूमि उपयोग का तकनीकी स्तर
Posted on 27 Sep, 2017 04:16 PM
प्रकृति ने अपनी उदारता से मनुष्य को विविध आवश्यकताएँ पूरी करने के लिये विभिन्न साधनों का नि:शुल्क उपहार दिया है। प्राकृतिक परिवेश से मनुष्य को विभिन्न उपयोगों के लिये प्राप्त इन प्राकृतिक नि:शुल्क उपहारों को प्राकृतिक संसाधन कहा जाता है। इन प्राकृतिक संसाधनों को जितनी कुशलता से प्रयोग योग्य वस्तुओं एवं सेवाओं में परिवर्तित कर लिया जाये, उतने ही श्रेयष्कर रूप में व्यक्ति की भोजन, आवास, वस्त्र
बुन्देलखण्ड में सूखे का सामना
Posted on 27 Sep, 2017 11:53 AM
अनुवाद - संजय तिवारी

बुन्देलों का इतिहास मुठभेड़ और मुकाबलों से भरा रहा है। अपनी समृद्धि को बचाने के लिये वो सदियों बाहरी आक्रमणकारियों से लड़ते भिड़ते रहे हैं। आजादी के बाद भले ही उनको अब बाहरी आक्रमणकारियों से लड़ने की जरूरत न हो लेकिन अब उनकी लड़ाई अपनी समृद्धि को पाने के लिये जारी है। सूखे का भयावह शिकार बन चुके बुन्देलखण्ड की यह लड़ाई उनकी अपनी परम्पराओं को पाने की लड़ाई है। उनकी अपनी प्रकृति और पर्यावरण ही उनके लिये आक्रांता बन गये हैं लेकिन अब बुन्देले इस आपदा से निपटने के लिये भी कमर कसकर तैयार हैं।

सामान्य भूमि उपयोग एवं कृषि भूमि उपयोग
Posted on 25 Sep, 2017 04:15 PM
देश का कुल क्षेत्रफल उस सीमा को निर्धारित करता है जहाँ तक विकास प्रक्रिया के दौरान उत्पत्ति के साधन के रूप में भूमि का समतल विस्तार संभव होता है। जैसे-जैसे विकास प्रक्रिया आगे बढ़ती है और नये मोड़ लेती है, समतल भूमि की माँग बढ़ती है, नये कार्यों और उद्योगों के लिये भूमि की आवश्यकता होती है व परम्परागत उपयोगों में अधिक मात्रा में भूमि की माँग की जाती है। सामान्यतया इन नये उपयोगों अथवा परम्परागत
1988 से भी पहले से फैक्ट्री बना रही हैं हिंडन को जहरीला
Posted on 24 Sep, 2017 10:16 AM

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पत्र से हुआ खुलासा

अध्ययन क्षेत्र की वर्तमान स्थिति
Posted on 23 Sep, 2017 04:53 PM

भौगोलिक स्थिति वर्षा एवं आर्द्रता मिट्टी, प्राकृतिक वनस्पतियाँ कृषि उद्योग सहकारी समितियाँ परिवहन एवं संचार सुविधायें जनसंख्या :

मुनाफे की खेती बना करेला
Posted on 23 Sep, 2017 10:18 AM
कौशांबी। करेले का स्वाद भले ही कड़वा हो, लेकिन कौशांबी में सैकड़ों किसानों की जिन्दगी में करेले ने खासा मिठास घोल रखा है। गंगा की तराई से बसे सैकड़ों किसानों ने पूरी मेहनत से करेले की खेती किया और नतीजा यह रहा कि आज कौशांबी में बड़े पैमाने पर करेले का निर्यात हो रहा है। करेले की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि बारिश के सीजन में किसी दूसरी हरी सब्जी की खेती करने में नुकसान की आशंका बनी रहती है। जबकि करेला की खेती में ऐसी सम्भावना बहुत कम रहती है। करेला से किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा हो रहा है। जिला उद्यान विभाग भी करेला की खेती करने वाले किसानों की मदद कर रहा है। विभाग करेले की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहन के रूप में धनराशि भी देता है।

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