राजस्थान

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हाड़ौती के प्रमुख जल संसाधन (Major water resources of Hadoti)
Posted on 01 Jan, 2018 04:17 PM
भारत के प्राचीन ग्रंथों में आरम्भ से ही जल की महत्ता पर बल देते हुए इसके संचयन पर जोर दिया गया है। ‘जलस्य जीवनम’ के सिद्धान्त को चरितार्थ करते हुए विश्व की समस्त प्राचीन सभ्यताओं का विकास विभिन्न नदियों की घाटियों में हुआ है।1 इसका मुख्य कारण यह है कि जल मानव जीवन के सभी पक्षों से जुड़ा रहा है। जल की उपयोगिता के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए मानव समाज ने जल संचय अथवा जल संग्रह के ऐ
पानी और हरियाली से हरा-भरा गाँव
Posted on 26 Dec, 2017 03:00 PM

कई महीने तक खोजबीन करने और तरह-तरह के उपायों पर विचार करने के बाद लक्ष्मण सिंह ने चौका बनाने का विचार सामने रखा। यह गाँव के वातावरण के अनुकूल था और पानी के साथ-साथ माटी के क्षरण को रोकने में भी कारगर था। चौका, चौकोर आकार का कम गहराई वाला एक उथला गड्ढा होता है। इसकी गहराई नौ इंच के आसपास रखी जाती है। इससे इसमें पानी इकट्ठा होता है और फिर एक तरफ से इसकी ऊँचाई हल्की सी कम कर दी जाती है तो यही पानी धीरे-धीरे रिसकर टाँका की तरफ बह जाता है।

लोकभाषा में लापोड़िया का मतलब होता है मूर्खों का गाँव। ऐसा गाँव जहाँ लोग पढ़े लिखे नहीं हैं। अपने साधन और समृद्धि के प्रति उदासीन हैं और शिक्षा संस्कार से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं। मूर्खों के इस गाँव में रहने वाले लोग सदा आपस में लड़ते झगड़ते रहते हैं ताकि उनके ग्राम नाम की महिमा कम न हो। लापोड़िया था भी ऐसा ही लेकिन तीस साल पहले तक। आज का लापोड़िया मूर्खों का गाँव नहीं बल्कि ऐसे समझदार लोगों की सभा है जहाँ लोग अपने साधन संसाधन के प्रति संवेदनशील हो गए हैं। वो अब शिक्षा और संस्कार को प्राथमिकता देते हैं और इन सबसे ऊपर वो पानीदार हो गए हैं।
रेगिस्तान में नमक का दरिया सांभर झील
Posted on 24 Dec, 2017 11:48 AM
सांभर झील भारत की खारे पानी की दूसरी सबसे बड़ी झील है। ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली दक्षिणी पश्चिमी हवाओं के कारण कच्छ की खाड़ी से सोडियम क्लोराइड के हवा से उड़कर आने वाले कण यहाँ गिरते हैं और बाद में यह पानी में घुलकर, इस खारे पानी की झील में तब्दील हो जाते हैं।
खाटू-सिरोही लिनियामेंट के कारण जोधपुर में भूकम्प का खतरा
Posted on 20 Nov, 2017 10:47 AM
जोधपुर। जमीन के नीचे इंडियन प्लेट पर खाटू से लेकर सिरोही तक का लिनियामेंट एक्टिव हो गया है यानी यहाँ की जमीन कमजोर होने से भू-गर्भ की ऊर्जा निकलने का खतरा बढ़ गया है। इसके चलते मारवाड़ और मेवाड़ को पृथक करने वाले इलाकों में भूकम्प की आशंका बढ़ती जा रही है। विशेषकर पाली जिले में, जहाँ रह-रहकर कई बार हल्के भूकम्प आते रहते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जोधपुर में शनिवार को आया भूकम्प भी
हाड़ौती क्षेत्र में जल के ऐतिहासिक स्रोत (Traditional sources of water in the Hadoti region)
Posted on 06 Nov, 2017 11:25 AM
प्राचीनकाल से आधुनिक समय तक मानव अभिव्यक्ति के साधनों में मिट्टीपट, मुद्रा, ताम्र पत्र, पट्टिकाएँ और स्तम्भ आदि इतिहास का बोध कराते रहे हैं। प्रारम्भ में अक्षर ज्ञान के अभाव में मनुष्य ने अपनी अभिव्यक्ति शैलचित्रों में व्यक्त की थी परन्तु जैसे-जैसे अक्षर ज्ञान का विकास प्रारम्भ हुआ वैसे ही मनुष्य ने अभिव्यक्ति के साधनों में शैलचित्रों के स्थान पर शब्दों को पत्थर पर लिखना शुरू किया। शब्दोत्की
हाड़ौती क्षेत्र में जल का इतिहास एवं महत्त्व (History and significance of water in the Hadoti region)
Posted on 03 Nov, 2017 01:06 PM

जल की उत्पत्ति


भारतीय संस्कृति की यह मान्यता सुविदित है कि मानव शरीर पाँच तत्वों का बना हुआ है। “पाँच तत्व का पींजरा तामे पंछी पौन” यह उक्ति प्रसिद्ध है। ये पाँच तत्व है-पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। इन्हें पंचभूत भी कहते हैं क्योंकि ये वे तत्व हैं जिनसे सारी सृष्टि की रचना हुई है।1

आसीदिद तमोभूतम प्रज्ञातमलक्षणम।
हाड़ौती का भूगोल एवं इतिहास (Geography and history of Hadoti)
Posted on 31 Oct, 2017 12:00 PM
चौहान राजपूतों की 24 शाखाओं में से सबसे महत्त्वपूर्ण हाड़ा चौहान शाखा रही है। इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड को हासी के किले से एक शिलालेख मिला था, जिसमें हाड़ाओं को चन्द्रवंशी लिखा गया है।1 सोमेश्वर के बाद उसका पुत्र राय पिथौरा या पृथ्वीराज चौहान राजसिंहासन पर बैठा। पृथ्वीराज चौहान शहाबुद्दीन मोहम्मद गौरी के साथ लड़ता हुआ वीरगति को प्राप्त हुआ। तत्पश्चात चौहानों के हाथ से भारत-वर्ष का रा
राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में जल विरासत - 12वीं सदी से 18वीं सदी तक (Water heritage in Hadoti region of Rajasthan - 12th Century to 18th Century)
Posted on 25 Oct, 2017 10:25 AM

परिचय


जल विधाता की प्रथम सृष्टि है। विधाता ने सृष्टि की रचना करने से पहले जल बनाया फिर उसमें जीवन पैदा किया। मनुस्मृति कहती है ‘‘अप एवं सर्सजादो तासु बीज अवासृजन’’ जल में जीवन के बीज विधाता ने उगाये। जल प्रकृति का अलौकिक वरदान स्वरूप मानव, प्राणी तथा वनस्पति सभी के लिये अनिवार्य है।
अपशिष्ट बचाएगा किसानों की सूखती फसलें
Posted on 12 Oct, 2017 11:55 AM

नारायण ने बताया कि इसे बड़े स्तर पर बाजार में उतारने व स्टार्टअप के लिये सरकार की ओर से ढ

बूढ़ी नहरों के भरोसे खेतों तक कैसे पहुँचेगा नीर
Posted on 26 Sep, 2017 11:16 AM
मॉनसून के दगा देने के बाद कर्जे में डूबे भूमि-पुत्र फिर से खेत-खलिहानों की राह पर चल पड़े हैं। रबी की बुवाई वक्त पर हो और खाने के लिये कुछ इंतजाम हो सके इसे लेकर वे फिर से गम्भीर हो गए, लेकिन संकट फिर भी कम नहीं दिख रहा। पहले मॉनसून दगा दे गया, अब नहरों की दशा उन्हें रुला रही है। चम्बल की नहरों में दस अक्टूबर से पहले पानी छोड़ा जाना है, लेकिन सीएडी प्रशासन कहीं गम्भीर नजर नहीं आ रहा। इ
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