पूर्णिया जिला

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प्लांटीबॉडी जैवप्रौद्योगिकी अनुसन्धान की नई दिशा
Posted on 11 Dec, 2017 11:48 AM
शायद बहुत कम लोगों ने ही प्लांटीबॉडी का नाम सुना होगा। प्लांटीबॉडी पादप द्वारा निर्मित एंटीबॉडी है। साधारणतः सामान्य पादप एंटीबॉडी का निर्माण नहीं करते हैं। प्लांटीबॉडी का निर्माण ट्रांसजेनिक (जी.एम.) पादप के द्वारा होता है। हम सभी जानते हैं एंटीबॉडी एक प्रकार की ग्लाइकोप्रोटीन होती है, जो हम मनुष्यों एवं अन्य जानवरों में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का मुख्य भाग है। जैव प्रौद्योगिकी के अन्तर्
हजारों हेक्टेयर की जल जमाव वाली जमीन को बनाया उपजाऊ
Posted on 03 Feb, 2017 01:20 PM
मखाने की खेती की विशेषता यह है कि इसकी लागत बहुत कम है। इसकी
Fox nut cultivation
कोसी: पुरानी कहानी, नया पाठ
Posted on 24 Aug, 2012 12:11 PM

भारत यायावर द्वारा संपादित फणीश्वरनाथ रेणु के चुनिंदा रिपोर्ताज रचनाओं के संग्रह से ‘पुरानी कहानी : नया पाठ’ रिपोर्ताज लिया गया है। रेणु रिपोर्ताज के काफी बड़े आयाम में बाढ़ फैला हुआ है। बाढ़ उनके जेहन में ऐसे फैला हुआ था कि रेणु घंटों-घंटों संस्मरण सुनाते रह सकते थे। ‘पुरानी कहानी : नया पाठ’ में रेणु ने कोसी की बाढ़ कथा को रिपोर्ताज के रूप में प्रस्तुत किया है।

बंगाल की खाड़ी में डिप्रेशन–तूफान–उठा!

हिमालय की किसी चोटी का बर्फ पिघला और तराई के घनघोर जंगलों के ऊपर काले-काले बादल मंडराने लगे। दिशाएं सांस रोके मौन-स्तब्ध!

कारी-कोसी के कछार पर चरते हुए पशु-गाय, बैल, भैंस-नदी में पानी पीते समय कुछ सूंघकर भड़के, आंतकित हुए। एक बूढ़ी गाय पूंछ उठाकर आर्त-नाद करती हुई भागी। बूढ़े चरवाहे ने नदी के जल को गौर से देखा। चुल्लू में लिया-कनकन ठंडा! सूवा-सचमुच, गेरुआ पानी!

गेरुआ पानी अर्थात पहाड़ का पानी-बाढ़ का पानी?
जवान चरवाहों ने उसकी बात को हंसी में उड़ा दिया। किंतु जानवरों की देह की कंपकंपी बढ़ती गयी। वे झुंड बांधकर कगार पर खड़े नदी की ओर देखते और भड़कते। फिर धरती पर मुँह नहीं रोपा किसी बछड़े ने भी।
डायन कोसी
Posted on 23 Aug, 2012 11:08 AM

फणीश्वरनाथ रेणु मुंशी प्रेमचंद के बाद के काल के सबसे प्रमुख रचनाकार हैं। मैला आंचल, परति परिकथा सहित कई उपन्यासों के रचनाकार रेणु रिपोर्ताज भी लिखते थे। उनके प्रसिद्ध रिपोर्ताज में बाढ़ पर ‘जै गंगे’ (1947), ‘डायन कोसी’ (1948), ‘अकाल पर हड्डियों का पुल’ तथा ‘हिल रहा हिमालय’ आदि प्रमुख हैं। ‘डायन कोसी’ इनमें सर्वाधिक चर्चित माना गया है। इसका कई भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है। लगभग 65 साल पहले लिखा गया रेणु का ‘डायन कोसी’ रिपोर्ताज बाढ़ और कोसी के कई अनसुलझे पहलुओं को समझने में मदद करता है।

कोसी नदी में आई बाढ़ से हो रहा मिट्टी कटावकोसी नदी में आई बाढ़ से हो रहा मिट्टी कटावहिमालय की किसी चोटी की बर्फ पिघली या किसी तराई में घनघोर वर्षा हुई और कोसी की निर्मल धारा में गंदले पानी की हल्की रेखा छा गई।

सत्ता के दुश्चक्र में फिर डूबेगा कोसी क्षेत्र
Posted on 28 Jun, 2011 09:23 AM

कोसी फिर अपनी गति से अपने इलाके में खेलने को बेताब है। सहरसा और पूर्णिया प्रमंडलों के सात जिलो

जलप्रलय ने सुखा दिया मां का आंचल
Posted on 05 Sep, 2008 10:02 AM

जागरण/पूर्णिया/मधेपुरा। भारतीय परंपरा में नदियां जीवन दायिनी मानी जाती हैं। मां भी जीवन देती है। लेकिन बिहार के लिए शाप बन चुकी कोसी में आई प्रलयकारी बाढ़ में सब कुछ गंवाने वाली बिलख रही है, क्योंकि अपने दुधमुंहे को पिलाने के लिए उसके आंचल में दूध नहीं उतर रहा है। प्राकृतिक आपदा में लोगों के सिर ढांपने की जगह बने पूर्णिया रेलवे स्टेशन पर शरण लिए झुनकी अपन

Flood affects life
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